पानी का भंडारण करने के साथ ही पर्यटन के लिए भी जाने जाते हैं भारत के ये विशाल बांध

बाढ़ को रोकने और पानी का भंडारण करने के लिए देशभर में कई बांध बनाए गए हैं जो घरेलू, उद्योग और सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराते हैं। इसी के साथ ही बांध के पानी का उपयोग बिजली पैदा करने में भी किया जाता हैं। भारत में छोटे बड़े लगभग 4,000 बांध हैं जिनमें बड़ी संख्या में बहुउद्देशीय बांध शामिल हैं। लेकिन देश में कुछ बांध ऐसे हैं जो वास्तुकला और सिविल इंजीनियरिंग चमत्कारों के आदर्श उदाहरण हैं। आज इस कड़ी में हम आपको देश के कुछ ऐसे बांध के बारे में बताने जा रहे हैं जो पानी का भंडारण करने के साथ ही पर्यटन के लिए भी जाने जाते हैं। यदि आप छुट्टी का अलग अनुभव लेना चाहते हैं तो यहां बताए जा रहे बांध का सुनहरा नजारा लेने जा सकते हैं। आइये जानते हैं इन बांध के बारे में...

इंदिरा सागर बांध

मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी पर बना इंदिरा सागर बांध 92 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, जो भारत के सबसे ऊँचे बांधो में से एक है। इंदिरा सागर बांध की आधारशिला 23 अक्टूबर 1984 को भारत की पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा रखी गई थी जबकि मुख्य बांध का निर्माण 1992 में शुरू हुआ था। यह बांध क्षेत्र में जल संकट के मुद्दे से निपटने में एक प्राथमिक भूमिका निभाता है। इंदिरा सागर बांध में 7,904, 454 एकड़-फीट की क्षमता वाला देश का सबसे बड़ा जल भंडार हैं।

हीराकुंड बांध

हीराकुंड बांधदुनिया के सबसे लंबे और बड़ा बांधों में से एक है जो उड़ीसा राज्य के संबलपुर से 15 किलोमीटर दूर महानदी पर स्थित है जिसकी लंबाई लगभग 26 किलोमीटर है जिसे भारत के सबसे लंबे और दुनिया में लंबे बांधों के लिए जाना जाता है। इस बांध को सन् 1957 में निर्मित किया गया था जिसे सिंचाई की जरूरतों को पूरा करने के लिए किया गया था। ये एशिया की सबसे बड़ी मानवनिर्मित हीराकुंड झील है जिसकी लंबाई 4801 मीटर है जिसमें 810 करोड़ घन मीटर जल संचित होता है। हीराकुंड बांध बेहद खुबसूरत होने के कारण पर्यटकों का आकर्षण का केंद्र बना रहता है।

टिहरी बांध

260 मीटर की ऊंचाई के साथ, टिहरी बांध भारत का सबसे ऊंचा और विश्व का 8वां सबसे ऊंचा बांध है। 575 मीटर की लंबाई, 20 मीटर की चोटी की चौड़ाई और आधार चौड़ाई 1,128 मीटर के साथ टिहरी 52 वर्ग किलोमीटर के सतह क्षेत्र पर फैला है। इसमें 2.6 घन किलोमीटर का एक जलाशय है। टिहरी बांध दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण जलविद्युत जल परियोजना है और भागीरथी और भिलंगना नदियों से पानी खींचती है जो हिमालय से बहती हैं। सिंचाई और दैनिक खपत के लिए पानी की आपूर्ति के अलावा, बांध से 1,000 मेगावाट जलविद्युत उत्पन्न करता है। टिहरी बांध बनाने का प्लान वर्ष 1961 में किया गया था और 1978 में इसका निर्माण शुरू हुआ और वर्ष 2006 में पूरा हुआ।

भाखड़ा नांगल बांध

भाखड़ा नांगल बांध हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में सतलुज नदी पर बना हुआ है और इस बांध को गोबिंद सागर ’के रूप में भी जाना जाता है। 225 मीटर की ऊंचाई और 520 मीटर की लंबाई के साथ भाखड़ा नांगल डेम भारत का सबसे बड़ा डेम और एशिया का दूसरा सबसे बड़ा डेम है। इसके आलवा यहाँ बांध दुनिया के सबसे ऊंचे गुरुत्वाकर्षण बांधों में से एक है। बांध के लिए प्रारंभिक काम की शुरूवात 1946 में हुई थी जबकि इसका निर्माण 1948 में शुरू हुआ था। यह बांध हर साल देश भर से पर्यटकों की एक बड़ी संख्या को अपनी तरफ आकर्षित करता है। लेकिन दुर्भाग्य से कुछ सुरक्षा कारणों से साल 2009 में भाखड़ा नांगल बांध पर्यटकों के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया।

सरदार सरोवर बांध

सरदार सरोवर बांध गुजरात राज्य में नर्मदा नदी पर बना यह बाँध 138 मीटर (नींव सहित 163 मीटर) ऊंचा तथा 1210 मीटर लंबा है। सरदार सरोवर बाँध ये जितना खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध है उतना ही विवादों से भरा है। नर्मदा नदी बना यह बाँध 30 बांधों में से सरदार सरोवर बांध सबसे बड़ी बाँध है, जिसको लेकर लगातार विरोध होता रहा है। इस का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुँचा लेकिन सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद लोगों के विस्थापन के मामले को सुलझाया गया और बांध का निर्माण पूरा किया गया। सरदार सरोवर बाँध का मुख्य उद्देश्य है कि गुजरात राज्य के सूखाग्रस्त इलाकों में पानी पहुंचाना तथा मध्य प्रदेश राज्य के लिए बिजली तैयार करना है।

नागार्जुन सागर बांध

नागार्जुन सागर बांध दुनिया का सबसे बड़ा चिनाई वाला बांध है, यह कृष्णा नदी पर बना है। बांध 490 फीट ऊंचा, 1.6 किलोमीटर लंबा है। इसमें 26 फाटक है और इसकी क्षमता 11,472 मिलियन क्यूबिक मीटर है। डैम में 8 इकाई के साथ 815.6 मेगावाट की बिजली उत्पादन क्षमता है। बांध का नाम बौद्ध भिक्षु आचार्य नागार्जुन के नाम पर रखा गया है। नागार्जुन सागर नलगोंडा, गुंटूर, खम्मम और प्रकाशम जिलों की सिंचाई करता है, जो 10 लाख एकड़ से अधिक क्षेत्र है। इस बांध का निर्माण 1972 में लगभग 45,000 से 70,000 श्रमिकों ने किया था।

इडुक्की आर्क बांध

भारतीय राज्य केरल में स्थित इडुक्की बांध, भारत का पहला मेहराब बांध है जो केरल में पेरियार नदी के पार बनाया गया था। इडुक्की बांध एक दोहरी वक्रता वाला आर्क बांध है जो कुरावती और कुरवन नामक दो पहाडियों की बीच बनाया गया है। 550 फीट की ऊंचाई वाला इडुक्की आर्क डैम एशिया के सबसे ऊंचे मेहराब बांधों में से एक है। इस बांध का निर्माण चेरुथोनी और कुलमवु में दो अन्य बांधों के साथ किया गया था। तीनों बांधों ने मिलकर एक कृत्रिम झील बनाई है जो 23 वर्ग मील के क्षेत्र में फैली हुई है। संग्रहित पानी का उपयोग मलमाट्टम पावर हाउस में बिजली का उत्पादन करने के लिए किया जाता है और यहाँ से 780 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाता है।