माउंट आबू भारत के राजस्थान राज्य के सिरोही जिले में स्थित एक नगर है। यह अरावली पहाडिय़ों में स्थित एक हिल स्टेशन है जो एक 22 किमी लम्बे और 9 किमी चौड़े पत्थरीले पठार पर बसा हुआ है। इसकी सबसे ऊँची चोटी 1,722 मी. (5,650 फीट) ऊँची गुरु शिखर है। माउंट आबू को राजस्थान का शिमला भी कहा जाता है। समुद्र तल से 1220 मीटर की ऊँचाई पर स्थित आबू पर्वत (माउण्ट आबू) राजस्थान का एकमात्र पहाड़ी नगर है । इस शहर का प्राचीन नाम अर्बुदांचल था, इस स्थान पर साक्षात भगवान शिव ने भील दंपत्ति आहुक और आहूजा को दर्शन दिए थे। यह अरावली पर्वत का सर्वोच्च शिखर, जैनियों का प्रमुख तीर्थस्थान तथा राज्य का ग्रीष्मकालीन शैलावास है। अरावली श्रेणियों के अत्यंत दक्षिण-पश्चिम छोर पर ग्रेनाइट शिलाओं के एकल पिंड के रूप में स्थित आबू पर्वत पश्चिमी बनास नदी की लगभग 10 किमी संकरी घाटी द्वारा अन्य श्रेणियों से पृथक् हो जाता है। पर्वत के ऊपर अवस्थित ऐतिहासिक स्मारकों, धार्मिक तीर्थमंदिरों एवं कलाभवनों में शिल्प-चित्र-स्थापत्य कलाओं की स्थायी निधियाँ हैं। यहाँ की गुफा में एक पदचिहृ अंकित है जिसे लोग भृगु का पदचिह् मानते हैं। पर्वत के मध्य में संगमरमर के दो विशाल जैन मंदिर हैं।
माउंट आबू प्राचीनकाल से ही साधु संतों का निवास स्थान रहा है। पौराणिक कथाओं के अनुसार हिन्दू धर्म के तैंतीस करोड़ देवी देवता इस पवित्र पर्वत पर भ्रमण करते हैं। कहा जाता है कि महान संत वशिष्ठ ने पृथ्वी से असुरों के विनाश के लिए यहां यज्ञ का आयोजन किया था। जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर भी यहां आए थे। उसके बाद से माउंट आबू जैन अनुयायियों के लिए एक पवित्र और पूजनीय तीर्थस्थल बना हुआ है। एक कहावत के अनुसार आबू नाम हिमालय के पुत्र आरबुआदा के नाम पर पड़ा था। आरबुआदा एक शक्तिशाली सर्प था, जिसने एक गहरी खाई में भगवान शिव के पवित्र वाहन नंदी बैल की जान बचाई थी।
अर्बुदा देवी मंदिरअर्बुदा देवी का मंदिर एक ऊँची पहाड़ी पर स्थित है, जहाँ पहुंचने के लिए आपको 365 सीढिय़ाँ चढऩी पड़ेंगी। यहाँ मंदिर खुद एक चट्टानी चट्टान के अंदर एक छोटे से गुफा में मौजूद है। अर्बुदा देवी को राजस्थान की वैष्णो देवी के रूप में भी जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है की माता का अधर यहाँ गिर गया था और मध्य हवा में लटके होने से इसे अधर देवी के नाम से जाना जाने लगा। इसके पास में ही स्थित है दूध बावड़ी जिसके पानी में कहते हैं की जादुई शक्तियाँ हैं।
नक्की झील
नक्की झील राजस्थान के सिरोही जिले में माऊंट आबू में स्तिथ एक प्रसिद्ध कृत्रिम झील है जो समुद्र तल से लगभग 1200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह झील अरावली पहाडियों के बीच अपनी अनोखी सुंदरता के लिए मशहूर है। माउंट आबू इसी झील के चारों ओर बसा हुआ है। कहा जाता है कि हिन्दू देवताओं ने अपने नाखुनों से जमीन खोदकर इस झील को बनाया था इसीलिए इस झील का नाम नक्की झील है। यह झील मीठे पानी की है, जो सर्दियों में जम जाती है। झील से हरे भरे पहाडिय़ों का दृश्य अत्यंत खूबसूरत दिखाई देता है। विशेष रूप से पर्यटक यहाँ पर नौका विहार का भरपूर आनद उठा ते हैं।
सनसेट पॉइंटमाउंट आबू से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सनसेट पॉइंट पर्यटकों के लिए बेहद खूबसूरत जगह है। इस जगह की खासियत यह है की जब पहाडिय़ाँ सूर्य की सुनहरी किरणों से ढक जाती हैं, तब सूर्यास्त का नजारा बहुत ही खूबसूरत दिखाई देता है। यह जगह लोगों के लिए बहुत ही खास है क्यों कि यहाँ का शांत वातावरण और दिलकश नजारा काफी आकर्षक है पर्यटक यहाँ सूर्यास्त के समय अपने कैमरे में इस दृश्य को जरूर कैद करते हैं।
टॉड रॉकटॉड रॉक को माउंट आबू के शुभंकर के रूप में जाना जाता है। यह चट्टानों से बनी एक बहुत ही अद्भुत जगह है जहां पर आपको बड़ी-बड़ी चट्टानें देखने को मिलेंगी। टॉड रॉक माउंट आबू आने वाले सभी पर्यटकों के द्वारा सबसे ज्यादा बार देखी जाने वाली जगह है। आसपास की झील और हरे भरे पहाड़ी क्षेत्रों के आकर्षक दृश्यों को देखने के लिए आप यहाँ चट्टान पर चढ़ सकते हैं और अपने कैमरा की मदद से कुछ लुभावने दृश्यों को कैद कर सकते हैं।
हनीमून पॉइंटसमुद्र तल से लगभग 1220 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह जगह नक्की झील के उत्तर पूर्व दिशा में स्थित है। इसे अनादरा पॉइंट के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ एक चट्टान मौजूद है जिसका आकार एक महिला और पुरुष जैसा है। इसीलिए इसका नाम हनीमून पॉइंट है। यहाँ से हरे भरे मैदानों और घाटियों के दृश्य दिखाई देते हैं। पर्यटक यहाँ से सूर्यास्त का मनमोहक नजारा भी देख सकते हैं।
दिलवाड़ा जैन मंदिरदिलवाड़ा मंदिर कई दृष्टियों से विश्व के आठ अजूबों में शामिल ताजमहल से भी ज्यादा खूबसूरत और आकर्षक है। दिलवाड़ा जैन मंदिर राजस्थान की अरावली पहाडिय़ों के बीच स्थित जैनियों का सबसे लोकप्रिय और सुंदर तीर्थ स्थल है। इस मंदिर का निर्माण 11वीं और 13वीं शताब्दी के बीच वास्तुपाल और तेजपाल ने किया था। दिलवाड़ा मंदिर अपनी जटिल नक्काशी और संगमरमर की संरचना होने की वजह से प्रसिद्ध है। यह मंदिर बाहर से बहुत ही साधारण दिखाई देता है लेकिन जब आप इस मंदिर को अंदर से देखेंगे तो इसकी छत, दीवारों, मेहराबों और स्तंभों पर बनी हुई डिजाइनों को देखते ही आकर्षित हो जायेंगे। जैनियों का तीर्थ स्थल होने के साथ ही यह मंदिर एक संगमरमर से बनी एक ऐसी जादुई संरचना है, जो हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करती है।
गुरु शिखरअगर आप शहर के तेज और व्यस्त जीवन से बोर हो गए हैं तो गुरु शिखर आपके लिए सबसे अच्छी जगह है। गुरु शिखर अरावली रेंज की सबसे ऊँची चोटी है जो माउंट आबू से करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस शिखर की समुद्र तल से ऊँचाई 1722 मीटर है जिसकी वजह से यहाँ से अरावली रेंज और माउंट आबू के हिल स्टेशन का बहुत ही आकर्षक दृश्य देखने को मिलता है। इस जगह पर आबूवेधशाला और गुरु दत्तात्रेय का गुफा मंदिर जो भगवान विष्णु को समर्पित है। ऑब्जर्वेटरी में 1.2 मीटर का इंफ्रारेड टेलीस्कोप है। 15 किलोमीटर की ड्राइव के बाद आपको गुरु शिखर पर जाने के लिए कुछ सीढिय़ां चढऩी होंगी। अगर आप अक्टूबर और नवंबर के समय इस जगह पर जाते हैं तो यहाँ पर बहुत अधिक बादल और धुंध हो जाती है। यहां आने वाले पर्यटकों को इस समय ऐसा महसूस होता है जैसे वो बादलों की मदद से गुरु शिखर पर जा रहे हैं क्योंकि चारों ओर धुंध दिखाई देती है। यह जगह यहां आने वाले पर्यटकों के मन को आनंदित कर देती है।
गोमुख मंदिरराजस्थान के माऊंट आबू क्षेत्र में कई खूबसूरत और लोकप्रिय पर्यटन स्थल हैं जिनमें गोमुख मंदिर माउंट आबू के एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में माना जाता है। इस मंदिर के आस पास हरे भरे जंगल और पहाडिय़ों का मनोरम दृश्य सैलानिओं को आकर्षित करता है। इस मंदिर के परिसर में गाय की एक मूर्ति है जिसके सिर के ऊपर प्राकृतिक रूप से पानी की धारा बहती रहती है। इसी कारण इस मंदिर को गोमुख मंदिर कहा जाता है। गोमुख मंदिर संत वशिष्ठ के समर्पण में बनाया गया था। माना जाता है संत वशिष्ठ ने इसी स्थान पर यज्ञ का आयोजन किया था।