गर्मियों के दिनों में देखने लायक हैं भारत के यह प्रसिद्ध पर्यटक स्थल, इस बार आप भी बना ले घूमने का प्रोग्राम

गर्मी शुरू होते ही बच्चों की छुट्टियाँ शुरू हो जाती हैं और मन कहीं बाहर घूमने का करने लगता है। वर्ष के 12 महीनों से में दो माह ही ऐसे आते हैं जब गृहणियों को कुछ आराम करने का समय मिलता है या यूं कहें उनके घूमने का समय आ जाता है। घूमने के नाम के साथ परिजनों के मस्तिष्क में कई स्थानों के नाम दिमाग में घंटी की तरह बजने लगते हैं। लेकिन इन स्थानों में से कौन से स्थान पर जाएं यह निर्णय करना कुछ मुश्किल हो जाता है क्योंकि भारत में हर राज्य, हर पर्यटक स्थल अपने प्राकृतिक व ऐतिहासिक सम्पदा के बूते पर अपना एक अलग आकर्षण रखता है। ऐसे में आज हम अपने पाठकों को कुछ ऐसे स्थानों के बारे में बताने जा रहे हैं जहाँ पर आप अपनी गर्मियों की छुट्टियों को सपरिवार आनन्दपूर्वक व्यतीत कर सकते हैं।

पिथौरागढ़

पिथौरागढ़ भारत के उत्तराखण्ड राज्य का एक प्रमुख शहर है। पिथौरागढ़ का पुराना नाम सोरघाटी है। सोर शब्द का अर्थ होता है—सरोवर। यहाँ पर माना जाता है कि पहले इस घाटी में सात सरोवर थे। दिन-प्रतिदिन सरोवरों का पानी सूखता चला गया और यहाँपर पठारी भूमि का जन्म हुआ। पठारी भूमी होने के कारण इसका नाम पिथौरा गढ़ पड़ा। पर अधिकांश लोगों का मानना है कि यहाँ राय पिथौरा (पृथ्वीराज चौहान) की राजधानी थी। उन्हीं के नाम से इस जगह का नाम पिथौरागढ़ पड़ा। राय पिथौरा ने नेपाल से कई बार टक्कर ली थी। यही राजा पृथ्वीशाह के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

शरद् काल में यहाँ एक शरद कालीन उत्सव मनाया जाता है। इस उत्सव मेले में पिथौरागढ़ की सांस्कृतिक झाँकी दिखाई जाती है। सुन्दर-सुन्दर नृत्यों का आयोजन किया जाता है। पिथौरागढ़ में स्थानीय उद्योग की वस्तुओं का विक्रय भी होता है। राजकीय सीमान्त उद्योग के द्वारा कई वस्तुओं का निर्माण होता है। यहाँ के जूते, ऊन के वस्र और किंरगाल से बनी हुई वस्तुओं की अच्छी मांग है। सैलानी यहाँ से इन वस्तुओं को खरीदकर ले जाते हैं। पिथौरागढ़ में हनुमानगढ़ी का विशेष महत्व है। यह नगर से 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहाँ नित्यप्रति भक्तों की भीड़ लगी रहती है। एक किलोमीटर की दूरी पर उल्का देवी का प्रसिद्ध मन्दिर है। लगभग एक किलोमीटर पर राधा-कृष्ण मन्दिर भी दर्शनार्थियों का मुख्य आकर्षण है। इसी तरह एक किलो मीटर पर रई गुफा और एक ही किलोमीटर की दूरी पर भाटकोट का महत्वपूर्ण स्थान है।

पिथौरागढ़ सीमान्त जनपद है। इसलिए यहाँ के कुछ क्षेत्रों में जाने हेतु परमिट की आवश्यकता होती है। पिथौरागढ़ के जिलाधिकारी से परमिट प्राप्त कर लेने के बाद ही सीमान्त क्षेत्रों में प्रवेश किया जा सकता है। पर्यटक परमिट प्राप्त कर ही निषेध क्षेत्रों में प्रवेश कर सकते हैं। चम्पावत तहसील के सभी क्षेत्रों में और पिथौरागढ़ के समीप वाले महत्वपूर्ण स्थलों में परमिट की आवश्यकता नहीं होती।

देहरादून

देहरादून एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। यहाँ एक ओर नगर की सीमा में टपकेश्वर मंदिर, मालसी डियर पार्क, कलंगा स्मारक, लक्ष्मण सिद्ध, चंद्रबाणी, साईंदरबार, गुच्छूपानी, वन अनुसंधान संस्थान, तपोवन, संतोलादेवी मंदिर, तथा वाडिया संस्थान जैसे दर्शनीय स्थल हैं। तो दूसरी और नगर से दूर पहाडिय़ों पर भी अनेक दर्शनीय स्थल हैं। देहरादून जिले के पर्यटन स्थलों को आमतौर पर चार-पाँच भागों में बाँटा जा सकता है- प्राकृतिक सुषमा, खेलकूद, तीर्थस्थल, पशुपक्षियों के अभयारण्य, ऐतिहासिक महत्व के संग्रहालय और संस्थान तथा मनोरंजन। देहरादून में इन सभी का आनन्द एकसाथ लिया जा सकता है। देहरादून की समीपवर्ती पहाडिय़ाँ जो अपनी प्राकृतिक सुषमा के लिए जानी जाती हैं, मंदिर जो आस्था के आयाम हैं, अभयारण्य जो पशु-पक्षी के प्रेमियों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं, रैफ्टिंग और ट्रैकिंग जो पहाड़ी नदी के तेज़ बहाव के साथ बहने व पहाडिय़ों पर चढऩे के खेल है और मनोरंजन स्थल जो आधुनिक तकनीक से बनाए गए अम्यूजमेंट पार्क हैं, यह सभी देहरादून में हैं। प्राकृतिक सौंदर्य के लिए मसूरी, सहस्रधारा, चकराता, लाखामंडल तथा डाकपत्थर की यात्रा की जा सकती है। संतौरादेवी तथा टपकेश्वर के प्रसिद्ध मंदिर यहाँ पर हैं, राजाजी नेशनल पार्क तथा मालसी हिरण पार्क जैसे प्रसिद्ध अभयारण्य हैं, ट्रैकिंग तथा रैफ्टिंग की सुविधा है, फऩ एंड फ़ूड तथा फऩ वैली जैसे मनोरंजन पार्क हैं तथा इतिहास और शिक्षा से प्रेम रखने वालों के लिए संग्रहालय और संस्थान हैं।

चमोली

चमोली भारतीय राज्य उत्तरांचल का एक जिला है। बर्फ से ढके पर्वतों के बीच स्थित यह जगह काफी खूबसूरत है। चमोली अलकनंदा नदी के समीप बद्रीनाथ मार्ग पर स्थित है। यह उत्तराचंल राज्य का एक जिला है। यह प्रमुख धार्मिल स्थानों में से एक है। काफी संख्या में पर्यटक यहां आते हैं। चमोली की प्राकृतिक सुंदरता पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। पूरे चमोली जिले में कई ऐसे मंदिर है जो हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। चमोली में ऐसे कई बड़े और छोटे मंदिर है तथा ऐसे कई स्थान है जो रहने की सुविधा प्रदान करते हैं। इस जगह को चाती कहा जाता है। चाती एक प्रकार की झोपड़ी है जो अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है। चमोली मध्य हिमालय के बीच में स्थित है। अलकनंदा नदी यहाँ की प्रसिद्ध नदी है जो तिब्बत की जासकर श्रेणी से निकलती है। चमोली का क्षेत्रफल 8,030 वर्ग कि.मी. है।

पूरा चमोली पर्यटकों से आच्छांदित रहता है। यहाँ पर पर्यटकों के देखने के लिए बद्रीनाथ, तपकुण्ड, हेमकुंड साहिब, गोपेश्वर, बेदिनी, अनुसूया मंदिर, पंच प्रयाग, देव प्रयाग, विष्णु प्रयाग, फूलों की घाटी और औली ऐसे पर्यटन स्थल हैं गर्मियों के मौसम में पर्यटकों का हुजूम नजर आता है।

कन्याकुमारी

भारत के सुदूर दक्षिण में कन्याकुमारी ऐसी जगह है जहाँ अरब सागर, हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी का सुंदर संगम होता है। यहाँ हर तरफ उठ रही खूबसूरत समुद्री लहरें आपके मन को हिलोरें लेने पर मजबूर कर देगी। कन्याकुमारी में समुद्र के बीचों बीच चट्टान पर विवेकानंद स्मारक है जो यहाँ की पहचान है। यहाँ हर शाम आकाश एक नया रंग लिए नजर आता है। कन्याकुमारी भारत के तमिलनाडु राज्य के कन्याकुमारी जिले में स्थित एक नगर है। यह भारत की मुख्यभूमि का दक्षिणतम नगर है। यहाँ से दक्षिण में हिन्द महासागर, पूर्व में बंगाल की खाड़ी और पश्चिम में अरब सागर हैं। इनके साथ सटा हुआ तट 71.5 किमी तक विस्तारित है। समुद्र के साथ तिरुवल्लुवर मूर्ति और विवेकानन्द स्मारक शिला खड़े हैं। कन्याकुमारी एक महत्वपूर्ण हिन्दू तीर्थस्थल भी है।

कन्याकुमारी में पर्यटकों को आकर्षित करने की जबरदस्त क्षमता है। पर्यटन के लिहाज से विश्व के श्रेष्ठ स्थानों में स्वयं को सम्मिलित करवाने वाने कन्याकुमारी में कन्याकुमारी अम्मन मंदिर, गांधी स्मारक, तिरूवल्लुवर मूर्ति, विवेकानंद रॉक मेमोरियल, सुचीन्द्रम, नागराज मंदिर, पद्मनाभपुरम महल, कोरटालम झरना, तिरूचेन्दूर, उदयगिरी किला—वो स्थान हैं जिन्हें पर्यटक जरूर देखना पसन्द करता है। पश्चिमी देशों के पर्यटक कन्याकुमारी के इन स्थानों को देखे बिना भारत भ्रमण को अधूरा मानते हैं।

गोवा

गोवा की खूबसूरती टूरिस्ट को अपनी तरफ अट्रैक्ट करती है। समुद्र किनारे बसा एक छोटा-सा राज्य है। जहां लगभग 40 समुद्री तट है। गोवा पूरी दुनिया में मशहूर है ,यहां देश के साथ विदेशी टूरिस्टों का तांता लगा रहता है। प्रकृति के मनमोहक नजारे गोवा की खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं। वैसे तो गोवा में कई ऐसे बीच हैं जिनकी खूबसूरती देखने को मिलती है। जिनमें से कुछ खास बीच है जैसे कैलंगट बीच, कैंडोलिम बीच इत्यादि।

गोवा क्षेत्रफल के अनुसार से भारत का सबसे छोटा और जनसंख्या के अनुसार चौथा सबसे छोटा राज्य है। पूरी दुनिया में गोवा अपने सुन्दर समुद्र के किनारों और प्रसिद्ध स्थापत्य के लिये जाना जाता है। गोवा पहले पुर्तगाल का एक उपनिवेश था। पुर्तगालियों ने गोवा पर लगभग 450 सालों तक शासन किया और 19 दिसंबर 1961 में यह भारतीय प्रशासन को सौंपा गया।

वर्षा ऋतु के आगमन के साथ ही प्रकृति गोवा को कुछ ऐसा ही अलग, लेकिन अदभुत स्वरूप प्रदान करती है। यह स्थान शांतिप्रिय पर्यटकों और प्रकृति प्रेमियों को बहुत भाता है। गोवा एक छोटा-सा राज्य है। यहां छोटे-बड़े लगभग 40 समुद्री तट है। इनमें से कुछ समुद्र तट अंर्तराष्ट्रीय स्तर के हैं। इसी कारण गोवा की विश्व पर्यटन मानचित्र के पटल पर अपनी एक अलग पहचान है।

गोवा में पर्यटकों की भीड़ सबसे अधिक गर्मियों के महीनें में होती है। जब यह भीड़ समाप्त हो जाती है तब यहां शुरू होता है ऐसे सैलानियों के आने का सिलसिला जो यहां मानसून का लुत्फ उठाना चाहते हैं।

गोवा के मनभावन बीच की लंबी कतार में पणजी से 16 किलोमीटर दूर कलंगुट बीच, उसके पास बागा बीच, पणजी बीच के निकट मीरामार बीच, जुआरी नदी के मुहाने पर दोनापाउला बीच स्थित है। वहीं इसकी दूसरी दिशा में कोलवा बीच ऐसे ही सागरतटों में से है जहां मानसून के वक्त पर्यटक जरूर आना चाहेंगे। यही नहीं, अगर मौसम साथ दे तो बागाटोर बीच, अंजुना बीच, सिंकेरियन बीच, पालोलेम बीच जैसे अन्य सुंदर सागर तट भी देखे जा सकते हैं। गोवा के पवित्र मंदिर जिनसे श्री कामाक्षी, सप्तकेटेश्वर, श्री शांतादुर्ग, महालसा नारायणी, परनेम का भगवती मंदिर और महालक्ष्मी आदि दर्शनीय है।

दार्जिलिंग

दार्जिलिंग शब्द की उत्पत्ति दो तिब्बती शब्दों, दोर्जे (बज्र) और लिंग (स्थान) से हुई है। इस का अर्थ बज्र का स्थान है। भारत में ब्रिटिश राज के दौरान दार्जिलिंग की समशीतोष्ण जलवायु के कारण से इस जगह को पर्वतीय स्थल बनाया गया था। ब्रिटिश निवासी यहां गर्मी के मौसम में गर्मी से छुटकारा पाने के लिए आते थे। दार्जिलिंग अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर यहां की चाय के लिए प्रसिद्ध है। दार्जिलिंग की हिमालयन रेलवे एक युनेस्को विश्व धरोहर स्थल तथा प्रसिद्ध स्थल है। यहां की चाय की खेती 1856 से शुरू हुई थी। यहां की चाय उत्पादकों ने काली चाय का एक सम्मिश्रण तैयार किया है जो कि विश्व में सर्वोत्कृष्ट है। दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे जो कि दार्जिलिंग नगर को समथर स्थल से जोड़ता है, को 1999 में विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था। यह वाष्प से संचालित यन्त्र भारत में बहुत ही कम देखने को मिलता है।

हिल्स के नाम से मशहूर दार्जिलिंग हमेशा से एक बेहतरीन हनीमून डेस्टिनेशन रहा है। कभी सिक्किम का हिस्सा रहे इस हिल स्टेशन की सबसे बड़ी खासियत है यहाँ के चाय बागान है। दूर-दूर तक फैले हरी चाय के खेत मानो धरती पर हरी चादर बिछा रखे हो। यह अद्भुत नाराज देखने लायक होता है। अपने विशिष्ट पर्यटकों स्थल—सक्या मठ, ड्रुग-थुब्तन-सांगग-छोस्लिंग-मठ, माकडोग मठ, जापानी मंदिर (पीस पैगोडा), टाइगर हिल, घूम मठ, भूटिया-बस्ती-मठ, तेंजिंगस लेगेसी, जैविक उद्यान, तिब्बतियन रिफ्यूजी कैंप, ट्वॉय ट्रेन, चाय उद्यान—के बूते यह देशी पर्यटकों के साथ ही विदेशी पर्यटकों को भी बहुतायत में आकर्षित करता है।

केरल

केरल को बड़ी खूबसूरती से संवारा गया है। इसलिए हनीमून के लिए केरल सबसे श्रेष्ठ जगह है। ऊंचे-ऊंचे पहाड़, शानदार समुद्री किनारा, नारियल और खजूर के पेड़ों के झुरमुट के बीच में से नाव पर सवारी, चारों ओर हरियाली और बेहद खूबसूरत नजारे यहाँ देखने को मिलते हैं। केरल अपने आंखों को सुकून देने वाले हरे-भरे जंगलों, लुढक़ती पहाडिय़ों, मनमोहक समुद्र तटों, चाय के बागानों और निश्चित रूप से इसके जादुई बैकवाटर से सजाया गया है। केरल के अद्भुत अप्रवाही जल इसके लोगों का अभिन्न अंग बन गए हैं। इसने आगंतुकों को केरल के दिल में ग्रामीण और वास्तविक जीवन को देखने का अवसर दिया है। केरल का बैकवाटर 1900 किलोमीटर से अधिक फैला हुआ है, जो पीने का पानी प्रदान करता है और धान के खेतों की सिंचाई करता है। केरल के बैकवाटर में सबसे दिलचस्प क्षेत्र कुट्टनाड क्षेत्र है, जिसे केरल का चावल का कटोरा कहा जाता है। यह क्षेत्र संभवत: महाद्वीप का एकमात्र ऐसा स्थान है जहां डाइक और बंड की प्रणाली का उपयोग करके समुद्र तल से नीचे खेती की जाती है। केरल प्रांत पर्यटकों में बेहद लोकप्रिय है, इसीलिए इसे ईश्वर का अपना घर नाम से पुकारा जाता है। यहाँ अनेक प्रकार के दर्शनीय स्थल हैं, जिनमें प्रमुख हैं - पर्वतीय तराइयाँ, समुद्र तटीय क्षेत्र, अरण्य क्षेत्र, तीर्थाटन केन्द्र आदि। इन स्थानों पर देश-विदेश से असंख्य पर्यटक भ्रमणार्थ आते हैं। मून्नार, नेल्लियांपति, पोन्मुटि आदि पर्वतीय क्षेत्र, कोवलम, वर्कला, चेरायि आदि समुद्र तट, पेरियार, इरविकुळम आदि वन्य पशु केन्द्र, कोल्लम, अलप्पुष़ा, कोट्टयम, एरणाकुळम आदि झील प्रधान क्षेत्र आदि पर्यटकों केलिए विशेष आकर्षण केन्द्र हैं। भारतीय चिकित्सा पद्धति - आयुर्वेद का भी पर्यटन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान है। राज्य की आर्थिक व्यवस्था में भी पर्यटन ने निर्णयात्मक भूमिका निभाई है।

जम्मू - कश्मीर

भारत के सबसे खूबसूरत राज्य जम्मू और कश्मीर में घूम सकते हैं। यहां जहां अमरनाथ, वैष्णोदेवी की गुफा है तो दूसरी ओर बर्फ से ढंगे खूबसूरत पहाड़, झील और लंबे-लंबे देवतार के वृक्ष। यहाँ की खूबसूरती पर चार चाँद लगा देते हैं। जम्मू और कश्मीर 5 अगस्त 2019 तक भारत का एक राज्य था, जिसे अगस्त 2019 में द्विभाजित कर जम्मू और कश्मीर एवं लद्दाख नामक दो केंद्र शासित प्रदेश के रूप में स्थापित कर दिया गया। यह राज्य पूर्वत: ब्रिटिश भारत में जम्मू और कश्मीर रियासत नामक शाही रियासत हुआ करता था। इस राज्य का क्षेत्र भारत के विभाजन के बाद से ही भारत, पाकिस्तान और चीन के बीच विवादित रहा है, जिनमें से तीनों ही पूर्व रियासत के विभिन्न हिस्सों पर आज भी नियंत्रण रखते हैं। जम्मू और कश्मीर हिमालय पर्वत शृंखला के सबसे ऊँचे हिस्सों में स्थित है और इसे अपनी प्राकृतिक सौंदर्य एवं संसाधनों के लिए जाना जाता है। साथ ही जम्मू , कश्मीर और लद्दाख का इलाका अपनी विशिष्ट संस्कृति के लिए जाना जाता है। यहाँ स्थित वैष्णो देवी तथा अमरनाथ की गुफाएँ हिंदुओं के अत्यंत महत्वपूर्ण तीर्थ का केंद्र रहा है।