भारत एक बड़ा देश है। चाहकर भी सभी जगह घूमना और सब जानना थोड़ा मुश्किल है। आप कितने भी घूमने वाले हो लेकिन हर जगह के बारे में शायद आप भी नहीं जानते हो। भारत में ऐसी-ऐसी अजीबोगरीब जगह है, जिनके बारे में आप सुनेंगे तो दांतों तले उंगली दबा लेंगे। आज हम आपको ऐसी ही कुछ जगहों के बारे में बताने वाले हैं। यह सारी जगह भारत में ही मौजूद हैं। एक पल के लिए आप भी इन्हें पढ़कर हैरान रह जाएंगे। आइये जानते हैं इन रहस्यमयी जगहों के बारे में।
* राजस्थान के बंदाई में बुलेट बाबा का मंदिर :
ओम बन्ना एक पवित्र दर्शनीय स्थल है। राजस्थान के पाली जिले में लोग देवी देवताओं की मूर्तियों की पूजा नहीं करते है बल्कि एक मोटर साइकिल की करते हैं। इसके पीछे एक रोचक कहानी है। सन 1988 में ओम सिंह राठौड़ नाम का शख्स अपनी बुलेट मोटरसाइकिल पर अपने ससुराल से अपने गाँव चोटिला आ रहा था। रास्ते में एक पेड़ से टकराने से उसका एक्सीडेंट हो गया और उसी समय उसकी मृत्यु हो गयी। एक्सीडेंट के बाद उसकी बुलेट को रोहिट थाने ले जाया गया। अगले ही दिन पुलिस कर्मियों को वह बुलेट थाने में नही मिली। ऐसा माना जाता है कि मोटर-साइकिल अपने आप ही चल कर उस स्थान पर चली गयी थी। ऐसा तीन-चार बार हुआ। तभी से लोग इस मोटर साइकिल को पूजनें लगे हैं।
* लेपाक्षी में लटका स्तंभ,आंध्र प्रदेश : आंध्रप्रदेश में है लेपाक्षी मंदिर। मंदिर में लगभग 70 स्तंभ हैं लेकिन एक स्तंभ हवा में लटका हुआ है, वो भी बिना किसी सहारे के। मंदिर में आने वाले लोग भी यह देखकर रह जाते हैं। इतना ही नहीं वो तो स्तंभ और जमीन के बीच से कपड़ा निकालकर भी देखते हैं। लोगों का मानना है कि यह भगवान शिव का चमत्कार है।
* केरल में कोदिन्ही जुड़वां गावं :
इस गावं में प्रवेश करने पर चारों तरफ हर किसी के जुडवाँ दिखाई देते हैं। कोदिन्ही गावं में 200 से भी अधिक जुड़वा बच्चे हैं। एक घर में तो तीन जुडवाँ बच्चें हैं। कोदिन्ही गावं की महिलाएं जो गांव से बाहर शादी करतीं हैं उनके भी जुड़वां बच्चें पैदा होते हैं। डॉक्टरों का मानना है कि इस अजीब घटना का कारण क्षेत्र के पानी में रसायन का मिलना है।
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शिवपुर में उड़ती चटान,महाराष्ट्र : पुणे-बेंगलुरु हाईवे पर स्थित शिवपुर गांव में हजरत कमर अली दरवेश बाबा की दरगाह है। यहां एक विशेष चट्टान है, जिसका वजन लगभग 90 किलो है। इसे लोग ग्यारह उंगलियों से उठाते हैं। उंगली तर्जनी (अंगूठे के बाजू वाली) होना चाहिए। केवल 11 उंगली ही होना चाहिए। न कम न ज्यादा। इतना ही नहीं यह 90 किलो वजनी पत्थर केवल दरगाह परिसर में ही उठ पाता है। कहते हैं कि वहां से बाहर ले जाकर उठाने में वो उठता ही नहीं है। लोग इसे बाबा का चमत्कार मानते हैं।
* पैलेस में नहीं है कोई स्तंभ :
उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक पैलेस है। इसका निर्माण 18 वीं सदी में बताया जाता है। इमामबाड़ा महल, अरबी और यूरोपीय वास्तुकला के मिश्रण से बना है, जो कि रहस्यमय ऐतिहासिक स्थल है। इसे गुरुत्वाकर्षण पैलेस कहते है क्योंकि लगभग 50 मीटर लम्बे हॉल में एक भी स्तंभ नहीं है।