हरियाणा हमारे देश का एक ऐसा राज्य है जो खेत-खलिहान के साथ अपने धार्मिक स्थलों के लिए भी जाना जाता हैं। जी हाँ, यही वह भूमि है जहाँ पर भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को भगवद गीता का ज्ञान का ज्ञान दिया और इस भूमि को इतिहास में अमर बना दिया। आज हम आपको हरियाणा के प्रसिद्द धार्मिक स्थलों के बारे में बताने जा रहे हैं जहाँ पर सैलानियों का जमावड़ा लगता है और ये मंदिर आपकी धार्मिक आस्था को झलकाता हैं। तो आइये जानते है हरियाणा के इन धार्मिक स्थलों के बारे में।
* ज्योतिसार ज्योतिसर एक पवित्र शहर है जो हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले में स्थित है और पर्यटकों और हिंदू भक्तों के बीच यह जगह बरगद के पेड़ के लिए लोकप्रिय है, कहा जाता है, इसी पेड़ के नीचे भगवान कृष्ण ने अर्जुन को भगवत गीता का उपदेश दिए थे। इस जगह पर एक मूर्ति बनी हुई जिसमें भगवान श्रीकृष्ण, रथ पर सवार होकर सारथी के स्थान पर खडे है और अर्जुन को उपदेश दे रहे है, वहीं अर्जुन हाथ जोडे धरती पर विनम्रतापूर्वक खडे हुए है। इस मूर्ति को 1967 में ज्योतिसार में कांची कामा कोटि पीठ के शंकराचार्य द्वारा बनवाई गई है। ज्योतिसार में हर शाम को लाइट और सांउड का आयोजन किया जाता है। वर्तमान में, ज्योतिसर हरियाणा का एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल स्थल बन गया है और जहां हजारों हिंदू भक्तों हर साल पहुंचते हैं। यदि आप हरियाणा राज्य में अपने ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को जानने के इच्छुक हैं, तो आपको ज्योतिसर अवश्य आना चाहिए।
* मनसा देवी मंदिरपंचकुला जिले में स्थित माता मानसा देवी मंदिर हरियाणा का एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। यह मनसा देवी अथवा शक्ति को समर्पित है। 100 एकड़ से अधिक भूमि में फैला हुआ यह मंदिर शिवालिक पहाडि़यों की तलहटी में स्थित है। नवरात्रों में लगने वाले मेले में देशभर से भक्त इस मंदिर में आते हैं। मंदिर की दीवारों को भित्तिचित्रों के 38 पैनलों से सजाया गया है। मेहराब और छत फूलों क चित्रों से सजी हुई हैं। हालांकि, ये बहुत कलात्मक नहीं हैं लेकिन फिर भी विभिन्न विषयों को दर्शाती हैं। मुख्य मंदिर की वास्तुकला गुंबदों और मीनारों के साथ मुग़ल वास्तुकला का प्रतिनिधित्व करती है।
* श्री स्थानेश्वर मंदिरहरियाणा के कुरुक्षेत्र में स्थित श्री स्थानेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर कुरुक्षेत्र के प्राचीन मंदिरों मे से एक है। इस मंदिर को क्षेत्रीय शैली की वास्तुकला में बनाया गया है और इसकी सज्जा एक गुंबद से निखरकर सामने आती है। मंदिर के सामने एक छोटा सा कुंड है। ऐसा माना जाता है कि इसका पानी इतना पवित्र है कि इसकी कुछ बून्दो से राजा बान का कुष्ठ रोग ठीक हो गया था। पौराणिक कथायों की माने तो, कहा जाता है कि भगवान शिव की शिवलिंग के रुप में पहले बार पूजा इसी स्थान पर हुई थी इसलिए कुरुक्षेत्र की तीर्थ यात्रा इस मंदिर की यात्रा के बिना पूरी नही मानी जाती है। यादि कुरुक्षेत्र तीर्थ धाम की यात्रा जो व्यक्ति करता है वह इस मंदिर में आकर भगवान शिव के दर्शन जरूर करता है और अपनी यात्रा का सफल बनाता है। इस पवित्र स्थल का दौरा सिक्खों के 9 वें गुरू गुरू तेग बहादुर ने किया था और गुरूद्वारा नवी पादशाही को भी इसी दौरान में बनवा दिया गया था।
* ब्रह्म सरोवरब्रह्मा सरोवर थानेसर में स्थित एक पवित्र तालाब है, जहां सौर ग्रहणों के दौरान हर साल हजारों तीर्थयात्रियों इस पवित्र कुंड में डुबकी लगाने पहुंचते हैं, क्योंकि इस दौरान अपने स्वयं के पापों से मुक्त करने के लिए शुभ माना जाता है। यह जगह महाभारत और कई अन्य प्राचीन ग्रंथों में वर्णित है; कहा जाता है कि दुर्योधन भी मृत्यु से बचने के लिए इसी कुंड के पास आकर छुपा था।
* अग्रोहा धामहिसार में स्थित अग्रोहा धाम हिंदुयों का धर्मिक स्थल है, इसका निर्माण 1976 में शुरू किया और 1984 में आठ साल में पूरा हुआ। मंदिर परिसर को तीन हिस्सों में बांटा गया है। बीच वाला भाग देवी महालक्ष्मी को समर्पित है, जो मंदिर के मुख्य देवी है। शक्ति सरोवर नामक एक बड़ा तालाब मंदिर के पीछे है। तालाब को 1988 में भारत की 41 पवित्र नदियों से लाये गए पानी के साथ पवित्रा किया था। शरद पूर्णिमा के अवसर पर हर साल, अग्रोहा महा कुंभ का आयोजन होता है।