विदेश घूमने जाने से पहले करें भारत के इन 10 खूबसूरत गांव की सैर, मिलेगी मन को खुशी

इसमें दो राय नहीं है कि गांवों की खूबसूरती शहरों के मुकाबले कई गुना बेहतर होती है। गांवों में जहां चारों तरफ पेड़-पौधे और हरियाली ही हरियाली नजर आती है। भारत में प्रकृति की गोद में समाए कई ऐसे खूबसूरत गांव हैं जिनके सामने विदेशों में बने टूरिस्ट डेस्टिनेशन भी फीके पड़ जाते है। तो चलिए आज हम आपको 10 ऐसे गांवों के बारे में बताने जा रहे है जिनकी खूबसूरती विदेशों को भी मात देती है। तो चलिए जानते है इन गांवों के बारें में...

लाचुंग, सिक्किम

लाचुंग (Lachung) भारत के सिक्किम राज्य के उत्तर सिक्किम ज़िले में स्थित एक गांव है। यह गांव सिक्किम की एक बेहतरीन टूरिस्ट डेस्टिनेशन है। करीब 8,858 फीट की ऊंचाई पर स्थित इस गांव में आप खुद को बर्फ से ढके पहाड़ों के बीच घिरा पाएंगे। इसीलिए लोग यहां सर्दी के मौसम में भी खूब आते हैं। प्राकृतिक सुन्दरता के अतिरिक्त सिक्किम की विशेष बात यह भी है कि बर्फ गिरने पर भी उत्तर का यह क्षेत्र सुगम रहता है। बर्फ़ से ढकी चोटियां, झरने और चांदी सी झिलमिलाती नदियां यहां आने वाले पर्यटकों को स्तब्ध कर देती हैं। आम तौर पर लाचुंग को युमथांग घाटी के लिए बेस के रूप में प्रयुक्त होता है। युमथांग घाटी को पूर्व का स्विट्ज़रलैण्ड भी कहा जाता है। ये जगह गंगटोक से करीब 118 किलोमीटर दूर है जो आपको एक लंबी यात्रा का भी आनंद देगी। गंगटोक से यह रास्ता जीप में पांच घंटे में तय किया जा सकता है। लाचुंग से युमथांग घाटी 25 किलोमीटर आगे है। यहां घूमने के लिए सेब, आड़ू, और खूबानी के खूबसूरत बाग भी हैं। लाचुंग जाने का सर्वश्रेष्ठ समय अक्टूबर से मई तक है। अप्रैल-मई में यह घाटी फूलों से लकदक दिखाई देगी तो जनवरी-फरवरी में बर्फ से आच्छादित। हर समय की अलग सुंदरता है।

मलाना, हिमाचल प्रदेश

मलाना हिमाचल प्रदेश का एक गांव है। यह गांव मालाना क्रीम यानी कि हशीश के लिए सुप्रसिद्ध है। यह भारत देश के हिमाचल प्रदेश राज्य में स्थित है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है, लेकिन अगर कहा जाए कि इसी मुल्क में एक ऐसा गांव भी है, जहां भारत का संविधान नहीं माना जाता! इस बात पर जल्दी यकीन कर पाना मुश्किल है, लेकिन यही हकीकत है। यहां के निवासियों को एलेक्जेंडर दि ग्रेट का वंशज माना जाता है, जो यहां से जुड़े किस्सों को और दिलचस्प बनाता है। शांत वातावरण, प्राकृतिक सौंदर्य और बड़े शहरों के शोर-शराबे से अलग ये गांव आपको जीवन के सबसे यादगार पलों की सौगात दे सकता है। खीरगंगा की अद्भुत ट्रैकिंग भी इस जगह के बेहद नजदीक है। इस गांव में अकबर से जुड़ी एक रोचक कहानी भी है। मलाणावासी अकबर को पूजते हैं। यहां साल में एक बार होने वाले ‘फागली’ उत्सव में ये लोग अकबर की पूजा करते हैं!लोगों की मान्यता है कि बादशाह अकबर ने जमलू ऋषि की परीक्षा लेनी चाही थी, जिसके बाद जमलू ऋषि ने दिल्ली में बर्फबारी करा दी थी। एक दिलचस्प बात और है कि ये लोग खुद को सिकंदर का वंशज बताते हैं। इन लोगों की भाषा में भी कुछ ग्रीक शब्दों का इस्तेमाल होता है।

कौसानी, उत्तराखंड

कौसानी, गरुङ तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के बागेश्वर जिले का एक गाँव है। भारत का खूबसूरत पर्वतीय पर्यटक स्‍थल कौसानी उत्तराखंड राज्‍य के अल्‍मोड़ा जिले से 53 किलोमीटर उत्तर में स्थित है। यह बागेश्वर जिला में आता है। हिमालय की खूबसूरती के दर्शन कराता कौसानी पिंगनाथ चोटी पर बसा है। यहां से बर्फ से ढ़के नंदा देवी पर्वत की चोटी का नजारा बडा भव्‍य दिखाई देता हैं। कोसी और गोमती नदियों के बीच बसा कौसानी भारत का स्विट्जरलैंड कहलाता है। यहां के खूबसूरत प्राकृतिक नजारे, खेल और धार्मिक स्‍थल पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। घने जंगलों और पहाड़ों के बीच बसा यह गांव पर्यटकों के बीच बड़ा फेमस है।

चकदाह, पश्चिम बंगाल

पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले में मौजूद तकदाह नाम का एक छोटा सा गांव देश की सबसे खूबसूरत जगहों में शुमार है। बड़े शहरों से दूर ये गांव प्रकृति का एक अद्भुत नजारा है। यहां की पहाड़ियां और घने जंगल ट्रैकिंग के लिए अच्छा विकल्प हो सकते हैं। यहां हिमालय की ऊंची चोटियों का नजारा और चाय के बागान भी टूरिस्ट के लिए आकर्षण का केंद्र हैं।

खिमसर, राजस्थान

उत्तर भारत के एक छोटे से गांव खिमसर को राजस्थान की धड़कन कहा जाता है। चारों ओर से थार मरुस्थल से घिरा यह गांव भी किसी लाजवाब टूरिस्ट डेस्टिनेशन से कम नहीं है। इस जगह पर आप जीप या ऊंट पर सवार होकर डेज़र्ट सफारी का मजा ले सकते हैं। मरुस्थली इलाकों में रात के वक्त कैंपिंग का मजा ही कुछ और होता है, खिमसर में इसकी भी सुविधा है। यहां पर मौजूद खिमसर किला राजस्थान का एक ऐतिहासिक किला है जिसका निर्माण 16 वीं शताब्दी में करमसोत वंश के स्वामित्व में, राव करमजी द्वारा किया गया था, जो राव जोधाजी के आठवें पुत्र और जोधपुर के संस्थापक थे। खिमसर किले की अदभुद सुंदरता के कारण इसे अब एक हेरिटेज होटल में बदल दिया गया है और इसका एक हिस्सा शाही परिवार के वंशजों द्वारा कब्जे में हैं। खिमसर किला पर्यटकों को अपनी खूबसूरती से बेहद आकर्षित करता है और अद्भुत वास्तुकला और भव्यता की वजह से यह राजस्थान के सबसे सुंदर किलों में से एक है।

इडुक्की, केरल

इडुक्की ज़िला भारत के केरल राज्य का एक ज़िला है। ज़िले का मुख्यालय पाइनावु है। सन् 2018 मेंं केरल मेंं सौ साल की सबसे भीषण बाढ़ आयी थी, जिसमेंं इडुक्की जिला सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ था। इस जिले की सीमा समुद्र तट से नहींं लगती हैं। ज़िले का अधिकतर भूक्षेत्र पश्चिमी घाट में स्थित है और इसका अधिकांश भाग वन से ढका हुआ है। यहां की खूबसूरत झीलें, वाटरफॉल और घने जंगल इस जगह की खूबसूरती को चार चांद लगाते हैं। इस गांव में आपको पेड़-पौधों की कई ऐसी प्रजातियां भी मिलेंगी, जो शायद आपने पहले कभी नहीं देखी होंगी। इडुक्की आर्क डैम के पास आप कैंपिंग का आनंद भी ले सकते हैं। इस गांव में आने के बाद यहां के स्थानीय निवासियों के साथ ट्रेडिशनल व्यंजनों का जायका लेना बिल्कुल मत भूलिएगा।

गोकर्ण, कर्नाटक

गोकर्ण दक्षिण भारत के कर्नाटक में मैंगलोर के पास स्थित एक ग्राम है। इस स्थान से हिन्दू धर्म के लोगों की गहरी आस्थाएं जुड़ी हैं, साथ ही इस धार्मिक जगह के खूबसूरत बीचों के आकर्षण से भी लोग खिंचे चले आते हैं। अपने ऐतिहासिक मंदिरों के साथ सागर तटों के लिए भी यह स्थान मशहूर है। यहां माना जाता है कि शिवजी का जन्म गाय के कान से हुआ और इसी वजह से इसे गोकर्ण कहा जाता है। यह गांव एक टूरिस्ट डेस्टिनेशन के साथ-साथ तीर्थयात्रियों के बीच भी बेहद लोकप्रिय है। गोकर्ण का महाबलेश्वर मंदिर यहां का सबसे पुराना मंदिर है। भगवान शिव को समर्पित पश्चिमी घाट पर बसा यह मंदिर 1500 साल पुराना है और कर्नाटक के सात मुक्तिस्थलों में से एक माना जाता है। कहा जाता है कि यहां स्थापित छह फीट ऊंचे शिवलिंग के दर्शन 40 साल में सिर्फ एक बार होते हैं। गोकर्ण का एक और महत्त्वपूर्ण मंदिर महागणपति मंदिर है, जो भगवान गणेश को समर्पित है। गणेश जी ने यहां शिवलिंग की स्थापना करवाई थी, इसलिए यह उनके नाम पर इस मंदिर का निर्माण करवाया गया। कर्नाटक की सैर करने वाले इस गांव की खूबसूरती का नजारा देखना कभी नहीं भूलते हैं।

कसौल, हिमाचल प्रदेश

हिमाचल प्रदेश में शिमला और कुल्लू मनाली के अलावा भी बहुत सी ऐसी जगह मौजूद है जहां आपको कुल्लू मनाली जैसे बर्फीले पहाड़ भी मिलेंगे और ढेर सारा एडवेंचर भी। जी हां, हिमाचल प्रदेश में एक ऐसा ही गांव है कसौल। कसौल भी हिमाचल प्रदेश का एक बेहद खूबसूत गांव है, जहां पूरे साल टूरिस्ट का जमावड़ा रहता है। पार्वती नदी के किनारे बसा हुआ गांव कसोल कुल्लू से महज 40 किलो-मीटर की दूरी पर स्थित है।कसोल गांव एडवेंचर प्रेमियों के लिए बेहद खास है, क्योंकि वे यहां आराम से प्रकृति की गोद मे तारो की छांव का आनन्द ले सकते हैं। लंबी ट्रैकिंग का शौक रखने वालों के लिए यह जगह बेहद शानदार है। हिप्पी संस्कृति के लिए मशहूर ये जगह बैगपैकर्स के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है। मार्च से मई के बीच यहां सबसे ज्यादा पर्यटक आते हैं। गांव कसोल हिमाचल प्रदेश के और हिल स्टेशन की तरह ज्यादा लोकप्रिय नही है जिस कारण आपको यहां टूरिस्ट्स की भीड़भाड़ भी काफी कम मिलेगी।

माजुली, असम

माजुली असम के ब्रह्मपुत्र नदी के मध्य में बसा एक बड़ा नदी द्वीप है। जो ब्रह्मपुत्र नदी के तट पर स्थित है। 400 स्क्वेयर किलोमीटर चौड़ा यह द्वीप एक शानदार टूरिस्ट डेस्टिनेशन भी है। माजुली द्वीप के दक्षिण में ब्रह्मपुत्र नदी और उत्तर में खेरकुटिया खूटी नामक धारा अवस्थित है। खेरकुटिया खूटी ब्रह्मपुत्र नदी से निकलती है और आगे चलकर फिर उसी में प्रवेश करती है। उत्तर में सुबनसिरी नदी खेरकुटिया खूटी से जुड़ जाती है। माजुली द्वीप कालांतर में ब्रह्मपुत्र नदी और उसकी सहायक नदियों विशेषकर लोहित नदी के दिशा और क्षेत्र परिवर्तन की वजह से बनी है।

माजुली का जिला मुख्यालय जोरहाट शहर है जो यहाँ से 20 किमी की दूरी पर है। माजुली जाने के लिए जोरहाट से नियमित परिवहन सेवाएँ उपलब्ध हैं। माजुली जाने के लिए फेरी लेना जरुरी है क्योंकि यहाँ नदी पर पुल नहीं है। असम की राजधानी गुवाहाटी से माजुली द्वीप लगभग 200 किलोमीटर पूर्व में है। इस जगह के बारे में एक खास बात ये भी बताई जाती है कि यहां के कुछ मछुआरे किसी दूसरे इंसान की तुलना में अधिक समय तक अपनी सांस रोक सकते हैं। आप यहां नौका की सैर से लेकर कई खास म्यूजियम भी देखने जा सकते हैं।

मॉलिंनॉन्ग, मेघालय

मौलिन्नोंग (Mawlynnong) भारत के मेघालय राज्य के पूर्व खासी हिल्स ज़िले में स्थित एक गांव है। यह एशिया का सबसे स्वच्छ ग्राम होने के लिए जाना जाता है। मेघालय का मॉलीननॉन्ग गांव प्रकृति के किसी गुप्त खजाने जैसा है। स्थानीय समुदाय और सरकार ने मिलकर इस गांव की खूबसूरती को बरकरार रखने का जिम्मा उठाया हुआ है। साल 2003 में इसे सबसे स्वच्छ गांव के अवॉर्ड से भी नवाजा गया था। अक्टूबर से अप्रैल के बीच यहां मौसम सबसे ज्यादा शानदार रहता है। रेवल पत्रिका डिस्कवर इंडिया ने वर्ष 2003 में इस गाँव को एशिया में और वर्ष 2005 में भारत का सबसे स्वच्छ ग्राम घोषित किया।