दिन भर ऑफिस में गलत पॉश्चर में बैठकर काम करने से या गलत पोज़ीशन में सोने से पीठ और कमर में दर्द होना आम बात है। आमतौर पर ये दर्द बाम या पेनकिलर से ठीक हो जाता है, लेकिन अगर दर्द बहुत ज्यादा और लगातार हो, तो ये सायटिका भी हो सकता है।
साइटिका ऐसी समस्या है, जो शरीर की सबसे बड़ी नर्व सियाटिक को प्रभावित करती है। यह नर्व घुटने और निचले पैर के पीछे की मांसपेशियों को नियंत्रित करती है। इसी तंत्रिका के कारण जांघ के पीछे, निचले पैर के हिस्से और पैर के तलवे का एहसास शरीर को होता है। इसी वजह से साइटिका होने पर यह सभी हिस्से प्रभावित हो सकते हैं। इसके लक्षण कुछ इस प्रकार हैं
- कमर से लेकर पैरों तक दर्द होना।
- कमजोरी का एहसास।
- सुन्नता या झुनझुनी महसूस होना।
- यह दर्द पीठ के निचले हिस्से से शुरू होकर पैर, पिंडली और पैर की उंगलियों तक बढ़ता जाता है।
- आमतौर पर यह शरीर के केवल एक तरफ में होता है।
प्रतिदिन योगभ्यास करने से साइटिका के दर्द से राहत मिल सकती है। यहां हम नीचे साइटिका के लिए कुछ फायदेमंद योग के बारे में बता रहे हैं।
अर्धमत्स्येन्द्रासन या हाफ स्पाइनल ट्विस्ट पोजअर्धमत्स्येन्द्रासन में अर्ध का मतलब आधा, मत्स्य यानी मछली और इंद्र का अर्थ राजा है। इस आसन को इंग्लिश में हाफ स्पाइनल ट्विस्ट पोज और हाफ लॉर्ड ऑफ द फिशेज पोज भी कहा जाता है। यह योग रीढ़ और मांसपेशियों को आराम देकर ऐंठन व दर्द को दूर करके साइटिका के लक्षण को कम कर सकता है ।
चाइल्ड पोज़ या बालासनचाइल्ड पोज़ शरीर से कनेक्ट करने और उसे शांत करने का एक शानदार तरीका है। ये आपकी रीढ़ को खींचकर कूल्हों, जांघों और पीठ के निचले हिस्से में फ्लेक्सिबिलिटी को बढ़ावा देता है।
कोबरा पोज़ या भुजंगासनभुजंगासन के फायदे में साइटिका का उपचार भी शामिल है। इसे अंग्रेजी में कोबरा पोज कहा जाता है। एक रिसर्च में बताया गया है कि यह दर्द, अकड़न और आगे झुकने पर होने वाले दर्द को कम करके साइटिका से राहत दे सकता है ।
लोकस्ट पोज़ या शलभासनशलभ का मतलब टिड्डी है। इस योगासन में शरीर का आकार टिड्डी जैसा दिखता है, इसलिए इसे शलभासन कहा जाता है। अंग्रेजी में इसे लोकस्ट पोज कहा जाता है। शलभासन को पीठ और कमर दर्द के लिए बेहतर योगासन माना जाता है। इसके नियमित अभ्यास से साइटिका की स्थिति में भी सुधार हो सकता है ।
हाफ मून पोज़ या अर्ध चंद्रासनहाफ मून पोज़ संतुलन बनाने और आपके शरीर को स्थिर करने में मदद करता है। ये फ्लेक्सिबिलिटी को बढ़ाते हुए और स्ट्रेस से राहत देते हुए आपकी रीढ़, ग्लूट्स और जांघों को आराम देता है।
कैट काउ पोज़ये आसन आपके डेली योगा रूटीन को शुरू करने के लिए बहुत जरूरी है। ये रीढ़ और पेट को लक्षित करता है और इसमें रीढ़ की हड्डी को गोलाकार पोज़ीशन से आर्च स्थिति में ले जाना शामिल होता है।
ब्रिज पोज़ या सेतुबंधासनब्रिज पोज में रीढ़ की हड्डी को स्ट्रेच किया जाता है, जिससे दर्द और स्ट्रेस से राहत मिलती है। ये शरीर को धीरे से स्टिम्युलेट करके ब्लड सर्कुलेशन को स्टिम्युलेट करता है। ये आपके पैरों, ग्लूट्स और कोर को भी मजबूत करता है।
अधोमुखश्वानासन या डाउनवर्ड फेसिंग डॉगअधोमुखश्वानासन तीन शब्दों को मिलाकर बनाया गया है। पहला ‘अधोमुख’ यानी नीचे की तरफ मुंह, दूसरा ‘श्वान’ मतलब कुत्ता और तीसरा आसन। इसे इंग्लिश में डाउनवर्ड डॉग पोज भी कहा जाता है। यह योगासन हैमस्ट्रिंग (कूल्हे और घुटने के बीच की मांसपेशियां) और पिंडली को स्ट्रेच कर सकता है। इससे पीठ के निचले हिस्से के दर्द से राहत मिल सकती है । इसी वजह से इसे साइटिका में फायदेमंद माना जाता है।
विंड रिलीविंग पोज़ या पवनमुक्तासनपवनमुक्तासन दो शब्दों से मिलकर बना है। पहला पवन यानी वायु और दूसरा मुक्त मतलब निकालना। इस आसन को करने से शरीर में मौजूद अतिरिक्त वायु निकलती है। इसे अंग्रेजी में गैस रिलीजिंग योग कहते हैं। बताया जाता है कि इस योगासन से शरीर के निचले छोर की मांसपेशियों का व्यायाम होता है, जिससे साइटिका का दर्द कम हो सकता है । हां, इस योगासन को करते समय शरीर पर ज्यादा जोर न डालें, वरना इससे साइटिका का दर्द बढ़ भी सकता है।
लेग्स अप द वॉल पोज़ या विपरीत कर्णी आसनये आसन आपके शरीर को आराम देता है। ये एक स्टैंडिंग स्ट्रेच है,जो सायटिका की परेशानी के लिए फायदेमंद हो सकता है। अगर आप एक्सपर्ट हैं, तो इसे बिना किसी मदद के कर सकते हैं, या आप किसी दीवार के सहारे भी इसे कर सकते हैं।