तन और मन के स्वास्थ्य के लिए योग फायदेमंद है। अगर आप चाहते हैं कि आपका दिमाग स्वस्थ्य रहे और ब्रेन ट्यूमर न हो तो आपको कुछ योग करने चाहिए। जिस तरह शरीर के स्वास्थ्य के लिए खाना बेहद जरूरी है, उसी तरह से दिमाग के स्वास्थ्य के लिए योग जरूरी है।
नसों की कमजोरी की वजह से हमारे शरीर का संतुलन पूरी तरह से बिगड़ सकता है। हमारे पूरे शरीर में नसों का जाल बिछा हुआ है। चलने, बोलने और काम करने की क्रिया भी नसों द्वारा ही संचालित होती है लेकिन अगर आपकी नसों में कमजोरी या किसी अन्य तरह की समस्या है, तो इससे आप अपना दैनिक काम भी अच्छे से नहीं कर पाते हैं। कई लोगों को सीढियां चढ़ने और सीधे बैठने में भी परेशानी होती है। नसों की कमजोरी के कारण आपके शरीर की संरचना भी बिगड़ सकती है। इसलिए नसों की मजबूती और सही ढंग से काम करने के लिए आपको कुछ खास योगासन करने की जरूरत है।
योग के अनुसार किसी व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य में उसके भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक भलाई के लिए जरूरी वे सभी तत्व शामिल हैं जो व्यक्ति के विचारों, कार्यों, संबंधों और निर्णय लेने को प्रभावित करते हैं। तनाव, भय, आत्मविश्वास में कमी और तमाम तरह की चिंताएं मानसिक स्वास्थ्य को बिगाड़ सकते हैं। आप योग, आसन और प्राणायाम के जरिए अपने दिमाग की क्षमता और एकाग्रता को बढ़ा सकते हैं और इन योग के जरिए ब्रेन ट्यूमर के खतरे को भी कम कर सकते हैं।
बद्धकोणासनइस योगासन में आप तितली की मुद्रा में बैठकर अपने पैरों को हिलाते हैं। इस योगासन से आपको तनाव और क्रोध कम करने में मदद मिलती है और पूरे शरीर में ब्लड सर्कुलेशन अच्छे से होता है, जिससे नसों में मजबूती आती है। रोजाना इसका अभ्यास करने से कमर और कूल्हे के नसों में आराम मिलता है और लचीलापन भी आता है। साथ ही इससे मासिक धर्म की समस्याओं को दूर करने में भी मदद मिलती है।
ताड़ासनताड़ासन हमारे शरीर की मांसपेशियों को लचीला बनाता है। इस आसन के दौरान गहरी सांस लेने के कारण फेफड़ा फैलता है और इसकी सफाई हो जाती है। ताड़ासन करने से एक्रगता बनी रहती है। यही नहीं, इस आसन को करने से श्वास सतुंलित रहती है। आसान को करने के लिए सबसे पहले आप खड़े हो जाएं। ध्यान रहे कि इस आसान को करते समय कमर और गर्दन झुकनी नहीं चाहिए। अब अपने दोनों हाथों को ऊपर करें और धीरे-धीरे सांस लेते हुए शरीर को खीचें। इस आसान को आप 2-4 मिनट तक करें और फिर सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे सामान्य अवस्था में आ जाएं।
वज्रासनयह आसन हृदयगति को नियंत्रित रखता है और स्ट्रेस हार्मोन ‘कॉर्टिसोल’ को घटाकर तनाव कम करता है। इसके अभ्यास से जांघों और पिंडलियों की नसें-मांसपेशियां मजबूत बनती हैं। पाचन तंत्र दुरुस्त रहता है, पीठ और पैर दर्द में आराम मिलता है। इसे करने के लिए फर्श पर दोनों पैर सामने की ओर फैलाकर सीधे बैठें। दोनों हाथों को कुल्हे के पास ले जाकर फर्श पर टिकाएं। इस दौरान शरीर का पूरा भार हाथों पर न आए। अब पहले दायां, फिर बायां पैर मोड़कर कूल्हे के नीचे रखें। सुनिश्चित करें कि दोनों जांघें और पैर के अंगुठे आपस में सटे हों ।
भ्रमण प्राणायामभ्रमण प्राणायाम मुख्य रूप से सांस लेने-छोड़ने से संबंधित होता है। इसे ब्रीदिंग तकनीक भी कह सकते हैं। इसे करना बहुत सरल है। इसे करने के लिए जब आप टहलते हैं, तब उस समय करें। टहलने के दौरान शरीर को सीधा रखते हुए सांस धीरे-धीरे लें। जब अच्छी तरह से गहरी सांस ले लें, तो उसके बाद सांस छोड़ दें। ध्यान रहे कि सांस लेने से ज्यादा समय आपको सांस छोड़ते समय लगाना है। सांस को 5 से 7 कदमों के बीच तक अंदर ही रोके कर रखें और फिर धीरे-धीरे सांस को छोड़ें। इस प्रक्रिया को कम से कम 10 बार जरूर दोहराएं। यह प्राणायाम नकारात्मक भावनायें जैसे क्रोध, झुंझलाहट, निराशा और चिंता से मुक्त करता है। एकाग्रता, स्मृति और आत्म विश्वास को बढ़ाता है।
मत्स्यासन और सेतुबंधासनइसे करने के लिए सहारे के साथ पीछे की ओर झुकें और सामान्य रूप से सांस लेते हुए हाथों को सिर के ऊपर उठाएं। सेतुबंधासन करने के लिए अपने कंधों, बाहों और पैरों पर अपने वजन को संभालते हुए अपनी पीठ को फर्श से ऊपर उठाएं।
पश्चिमोत्तानासन और शवासनइसे करने के लिए पीछे की ओर झुकें और फिर अपने पैर की अंगुलियों को छूने के लिए आगे झुकें, नियमित अभ्यास के साथ धीरे-धीरे इसमें महारत मिल जाती है। शवासन करने के लिए पीठ के बल लेट जाएं। अपने शरीर के विभिन्न हिस्सों पर ध्यान देते हुए 10-15 मिनट के लिए होशपूर्वक आराम करें।
भ्रामरी और कपालभातिआराम से बैठ जाएं और सांस छोड़ने के साथ भंवरे जैसी गुनगुनाहट करते हुए होठों से कंपन पैदा करें। कपालभाति करने के लिए तेज गति से श्वास लें और छोड़ें, 3 से 5 राउंड अभ्यास करें।
डायाफ्रामिक श्वास और कपाल रंध्र धौतिअपने पेट को फैलाते और सिकोड़ते हुए 5-10 राउंड तक गहरी सांस लें। कपाल रंध्र धौति करने के लिए अपने माथे और आंखों के नीचे वाले हिस्से को रगड़ें और कानों के आगे और पीछे की मालिश करें।
अनित्य भावना और प्रतिपक्ष भावनाअनित्य भावना में चीजों की नश्वरता पर चिंतन करें और अपने अंदर और बाहर हो रहे परिवर्तनों का साक्षी भाव से निरीक्षण करें। प्रतिपक्ष भावना में नकारात्मक विचारों और भावनाओं को सकारात्मक विचारों से बदलें, जीवन को लेकर एक नया दृष्टिकोण विकसित करें।
सुप्त मत्स्येन्द्रासनसुप्त मत्स्येन्द्रासन की मदद से शरीर की नसों में खिंचाव आता है। साथ ही कई दर्द और नसों के दर्द में भी इससे आराम मिलता है। इससे रीढ़ की हड्डी भी मजबूत होती है। इससे ब्लड सर्कुलेशन औप पेट की मांसपेशियों में भी आराम मिलता है।
इस आसन को शुरू करने के लिए सबसे पहले मैट बिछाकर लेट जाएं। इसके बाद अपने दोनों हाथों को कंधे के समानांतर दोनों तरफ फैला लें। फिर दाएं पैर को घुटने के पासे से मोड़ लें और उपर की ओर उठाएं। दाएं पैर को बाएं घुटने पर टिका लें। इसके बाद सांस छोड़ते हुए, दाएं कूल्हे को उठाएं और पीठ के बाएं तरफ मोड़ लें व दाएं घुटने को नीचे की तरफ जाने दे और ऐसा करते वक्त दोनों हाथ जमीन पर ही रखें। दाएं घुटना को पूरी तरह से शरीर के बाएं तरफ टिका लें। अब सिर को दाईं तरफ घुमाएं। इस मुद्रा में आप 30 से 60 सेकंड तक रहें और फिर सामान्य स्थिति में आ जाएं।
हलासनहलासन योगासन की मदद से आपके शरीर की सभी नस-नाड़ियों का सही संचालन होता है। इससे दिमाग की नसों को भी आराम मिलता है और आप तनवामुक्त अनुभव करते हैं। इससे मेटाबॉलिज्म बढ़ता है और शुगर कंट्रोल करने में भी मदद मिलती है।
योग मैट पर पीठ के बल लेट जाएं। अपने हाथों को शरीर के पास ले आएं। हथेलियां जमीन की तरफ रहेगी। सांस भीतर की ओर खींचते हुए पैरों को ऊपर की तरफ उठाएं। पैर कमर से 90 डिग्री का कोण बनाएंगे। साथ ही इसका दबाव पेट की मांसपेशियों पर रहेगा। टांगों को ऊपर उठाते हुए अपने हाथों से कमर को सहारा दें। सीधी टांगों को सिर की तरफ झुकाएं और पैरों को सिर के पीछे ले जाएं। पैरों के अंगूठे से जमीन को छुएंगे। हाथों को कमर से हटाकर जमीन पर सीधा रख लें। हथेली नीचे की तरफ रहेगी। इस स्थिति में एक मिनट तक बने रहें और सांसों पर ध्यान केंद्रित करें सांस छोड़ते हुए, पैरों को वापस जमीन पर ले जाएं।