World Stroke Day 2022: दिमाग की नसों पर जोरदार हमला करती है ये 5 चीजें, बनता है स्ट्रोक का कारण

हर साल 29 अक्टूबर को वर्ल्ड स्ट्रोक दिवस (World Stroke Day) मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य जानलेवा स्ट्रोक के बारे में जागरूकता पैदा करना है। इस साल वर्ल्ड स्ट्रोक डे की थीम है ‘इसके लक्षणों के बारे में जानकारी फैलाना’ ताकि लोग इसके लक्षणों को नजरअंदाज करने की बजाए पहले ही सचेत हो जाएं और उनकी जान बच सके।

स्ट्रोक (Stroke) एक तेजी से बढ़ती समस्या बनती जा रही है। आम भाषा में स्ट्रोक को दिमाग का दौरा भी कहा जाता है। यह तब होता है जब आपके मस्तिष्क में रक्त की आपूर्ति बाधित या कम हो जाती है। यह आपके मस्तिष्क को ऑक्सीजन और पोषक तत्वों से वंचित करता है, जिससे आपकी मस्तिष्क की कोशिकाएं कुछ मिनटों के भीतर ही नष्ट होना शुरू हो जाती हैं। स्ट्रोक से स्थायी मस्तिष्क क्षति, दीर्घकालिक विकलांगता, या यहां तक कि मृत्यु भी हो सकती है।

स्ट्रोक के प्रमुख जोखिम कारक वे हैं जिन्हें प्रबंधित करना मुश्किल होता है। एक स्ट्रोक को रोकने के लिए इसके प्रति जागरूकता, ज्ञान और पेशेवर चिकित्सकीय की सक्रियता बेहद जरुरी है। स्ट्रोक कई कारणों से हो सकता है जैसे खराब जीवनशैली, डायबिटीज, हृदय की समस्याएं, अत्यधिक धूम्रपान और शराब का सेवन। इन सभी कारकों को ध्यान में रखा जा सकता है और स्वस्थ और सुरक्षित जीवन जीने के लिए काम किया जा सकता है।

मोटापा

खराब जीवनशैली आज के समय में मोटापा का मुख्य कारण बनी हुई है। यह बीमारी पूरी दुनिया में एक महामारी बन गई है। आप रोज जितनी कैलोरी भोजन के रूप में लेते हैं, जब आपका शरीर रोज उतनी खर्च नहीं कर पाता है, तो शरीर में अतिरिक्त कैलोरी फैट के रूप में जमा होने लगता है, जिससे शरीर का वजन बढ़ने लगता है। अधिक वजन होने से फेफड़े और हृदय जैसे महत्वपूर्ण अंगों पर दबाव पड़ता है, जिससे खतरा बढ़ जाता है। अधिक मोटापे के कारण होने वाली सूजन के कारण स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है। इससे रक्त प्रवाह में कठिनाई हो सकती है और अवरोध पैदा हो जाता है, जो स्ट्रोक का कारण बन सकते हैं।

हाई ब्लड प्रेशर

अनियंत्रित उच्च रक्तचाप मतलब 'साइलेंट किलर' क्योंकि यह लक्षण नहीं दिखाता है। हाई ब्लड प्रेशर यानी हाइपरटेंशन का कनेक्शन आर्टिरियल्स नाम की धमनियों से है। इन धमनियों का काम शरीर में ब्लड फ्लो को रेगुलेट करने का हैं। जब ये पतली हो जाती है तो इंसान का हृदय खून को पंप करने के लिए अधिक मशक्कत करता है और यहीं से ब्लड प्रेशर की दिक्कत खड़ी होती है। उच्च रक्तचाप धमनियों को लगातार तनाव में रखता है जिससे सूजन हो जाती है। रक्त वाहिकाओं के अंदर बहुत अधिक बल धमनी की दीवारों को नुकसान पहुंचाता है। डॉक्टर कहते हैं कि अगर इन रक्त धमनियों का इलाज न किया जाए तो हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसी गंभीर कॉम्प्लीकेशन देखने को मिलते हैं।

एट्रियल फिब्रिलेशन

अनियमित दिल की धड़कन का कारण बनती है एट्रियल फिब्रिलेशन। यह मस्तिष्क को नुकसान और तीव्र दीर्घकालिक प्रभावों के साथ एक गंभीर स्ट्रोक का खतरा बढ़ाती है। आम तौर पर, रक्त हृदय में प्रवाहित होता है, और हर बार जब दिल धड़कता है तो पूरी तरह से पंप हो जाता है। रक्त एक थक्का बनाकर हृदय के अंदर जमा हो सकता है जो मस्तिष्क तक जा सकता है, जिससे स्ट्रोक हो सकता है। एट्रियल फिब्रिलेशन व्यक्ति को स्ट्रोक होने की संभावना पांच गुना अधिक बनाता है।

पारिवारिक इतिहास

परिवार में स्ट्रोक का इतिहास होने से अगले व्यक्ति को इसके होने की संभावना काफी बढ़ जाती है। कनेक्शन जितना करीब होगा, खतरे की संभावना उतनी ही अधिक होती है लेकिन यह आदर्श नहीं है। सबसे जरुरी है उन कारणों का पता लगाना जिसके चलते स्ट्रोक आया था। यदि वे उच्च रक्तचाप, या हृदय रोगों जैसे जैविक कारणों से हुए हैं तो सक्रिय और जागरूक होना बीमारियों से बचने की कुंजी है। यदि स्ट्रोक के कारण जीवनशैली से संबंधित हैं तो उनका अगले व्यक्ति पर बहुत अधिक प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि एक स्वस्थ दिनचर्या की मदद से इससे बचा जा सकता है।

पिछला स्ट्रोक

भविष्य में स्ट्रोक का खतरा बढ़ता है मिनी स्ट्रोक से। भले ही मिनी स्ट्रोक का प्रभाव लंबे समय तक नहीं रहता है लेकिन इसे चेतावनी के रूप में लिया जाता है। रक्त वाहिकाओं में अस्थायी रुकावट और दृष्टि खोने के अन्य प्रभाव, आंशिक पक्षाघात, और बोलने में कठिनाई इस बात के संकेतक हैं कि व्यक्ति को तुरंत डॉक्टरी सलाह की जरूरत होती हैं।