इस तरह काम करेगी वैक्सीन, टुकड़ों में तोड़ेगी कोरोना वायरस का प्रोटीन

देश-दुनिया के शोधकर्ता और वैज्ञानिक कोरोना की वैक्सीन बनाने में लगे हुए हैं जिनमें से कईयों के सकारात्मक परिणाम भी दिखाई भी दे रहे है। इस वैक्सीन का जल्द आना इसलिए भी जरूरी हैं क्योंकि संक्रमितों का आंकड़ा करीब 58 लाख तक पहुंच चुका हैं। कई देशों में वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल भी चल रहा है। भारत में भी 14 कंपनियों द्वारा वैक्सीन पर काम किया जा रहा हैं जिसमें से चार की वैक्सीन प्री - क्लिनिकल ट्रायल के एडवांस स्टेज में हैं। अमेरिकी कंपनी नोवावैक्स द्वारा NVX-CoV2373 वैक्सीन तैयार की गई हैं जिसमें कोरोना वायरस के प्रोटीन को टुकड़ों में तोड़कर खत्म करने की कोशिश करेंगे।

भारत, चीन, इस्रायल, अमेरिका, ब्रिटेन समेत कई देशों में अलग-अलग वैक्सीन का ट्रायल चल रहा है, वहीं एक रिपोर्ट के मुताबिक दक्षिणी गोलार्ध के देशों में यह किसी वैक्सीन का पहला ट्रायल है। वैज्ञानिक यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि कोरोना वायरस पर इस वैक्सीन का असर कितना होता है।

कोरोना वायरस से लड़ने को जिस वैक्सीन का ट्रायल किया जा रहा है वह इंफ्लूएंजा वायरस पर आधारित है, जिसे नैनोफ्लू कहते हैं। इस वैक्सीन को भी अमेरिकी कंपनी नोवावैक्स ने ही बनाया था। पिछले साल अक्तूबर में 2650 वॉलंटियर्स पर इसका ट्रायल किया गया था, जोकि ट्रायल का तीसरा चरण था।

ट्रायल में इस्तेमाल हो रही यह वैक्सीन कोरोना वायरस पर सीधा हमला करने की बजाय वायरस के स्पाइक प्रोटीन पर हमला करेगी। वायरस का यही स्पाइक प्रोटीन वाला हिस्सा संक्रमण फैलाता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, यह वैक्सीन व्यक्ति के इम्यून सिस्टम की कोशिकाओं पर दबाव बनाएगी ताकि ये वायरस से लड़ें।

शोधकर्ताओं के मुताबिक, वैक्सीन के कारण कोरोना वायरस का प्रोटीन छोटे-छोटे टुकड़ों में टूट जाएगा। इसे नैनो पार्टिकल्स कहा जाता है। शरीर की इम्यून कोशिकाएं इन नैनो पार्टिकल्स को छोटा वायरस समझकर पकड़ेंगी और हमला कर तोड़ेंगी।

शोधकर्ताओं का कहना है कि वैक्सीन में मेट्रिक्स-एम नाम के नैनो पार्टिकल्स मौजूद रहेंगे। ये पार्टिकल्स शरीर में खतरा देखते ही इम्यून कोशिकाओं को सिग्नल देंगे। यह कोशिकाओं को एक्टिव करेंगे ताकि ये प्रोटीन के टुकड़ों को खत्म कर सकें। इस तरह वायरस के प्रोटीन को तोड़कर यह इसे खत्म करेंगी।