...तो ये है असमय बाल सफेद होने के पीछे की वजह, इस तरह कर सकते हैं समस्या में सुधार

पहला सफ़ेद बाल देखना बड़ा ही डरावना अनुभव होता है। उसके बाद हम पहले सफ़ेद बाल को जड़ से उखाड़ देते हैं। पर एक बार सफ़ेद होना शुरू हो गए तो बाल आपको टेंशन पर टेंशन देना शुरू कर देते हैं। आप सफ़ेद बालों को उखाड़कर, ज़्यादा हो गए तो उन्हें कलर करके उनसे छुटकारा पाना चाहते हैं, पर सफ़ेद बाल आपका पीछा नहीं छोड़ते।


बाल क्यों होते हैं सफ़ेद?

बालों का सफ़ेद होना एक सामान्य प्राकृतिक प्रक्रिया है। बाल कभी भी सफ़ेद होना शुरू हो सकते हैं। यहां तक कि आपने कई टीनएजर्स या अर्ली ट्वेंटीज़ वालों के बालों में सफ़ेदी देखी होगी। हमारे शरीर पर लाखों हेयर फ़ॉलिकल्स हैं। ये फ़ॉलिकल्स बाल और उनके कलर या पिंग्मेंट सेल्स को जनरेट करते हैं, जिसमें मेलैनिन होता है।

समय के साथ हेयर फ़ॉलिकल्स में पिग्मेंट सेल्स कम हो जाते हैं, जिसके चलते हमारे बाल सफ़ेद होने लगते हैं। इसके अलावा बालों के सफ़ेद होने के पीछे नस्ल भी ज़िम्मेदार होती है। उदाहरण के लिए गोरे लोगों में बालों का सफ़ेद होना 20 साल की छोटी उम्र से ही शुरू हो सकता है। वहीं एशियाई लोगों में 25 साल और अफ्रीकन-अमेरिकन लोगों में 30 साल से बालों में सफ़ेदी आनी शुरू हो सकती है।


क्यों समय से पहले सफ़ेद होते हैं बाल?

वैसे तो समय से पहले बालों के सफ़ेद होने का बड़ा कारण आनुवांशिक यानी जेनिटिक माना जाता है, पर विटामिन बी-6, बी-12, बायोटिन, विटामिन डी और विटामिन ई की कमी भी बालों को समय से पहले सफ़ेद कर सकती है। इन कारणों के अलावा ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस भी एक वजह है बालों के असमय सफ़ेद होने की। ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस के चलते शरीर में इम्बैलेंस पैदा हो जाता है। शरीर को फ्री रैडिकल्स से होने वाले डैमेज की भरपाई करने के लिए ऐंटी-ऑक्सिडेंट्स नहीं होते हैं।

फ्री रैडिकल्स अनस्टेबल मॉलिक्यूल्स हैं, जो सेल्स को क्षति पहुंचाते हैं, जिसके चलते कई तरह की बीमारियां होती हैं और त्वचा उम्रदराज़ दिखने लगती है। बहुत ज़्यादा ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस के बालों पर डायरेक्ट पड़ने वाले इफ़ेक्ट की बात करें तो इससे विटिलिगो नामक स्किन पिग्मेंट कंडिशन पैदा होती है। विटिलिगो में मेलैनिन सेल्स ख़त्म होते जाते हैं या उनकी कार्यक्षमता कम हो जाती है। दोनों ही कंडीशन्स में बाल सफ़ेद होते हैं।


इसके अलावा समय से पहले बालों के सफ़ेद होने में अलोपीशिया एरिएटा नामक ऑटोइम्यून स्किन कंडिशन की भी बड़ी भूमिका होती है। इस कंडिशन में सिर, चेहरे और शरीर के दूसरे हिस्सों के बाल तेज़ी से झड़ते हैं। जब बाल वापस उगना शुरू करते हैं, तब मेलैनिन की कमी के चलते सफ़ेद हो जाते हैं। अत्यधिक तनावयुक्त दिनचर्या भी बालों को असमय सफ़ेद बनाती है। स्मोकर्स के भी बाल जल्दी सफ़ेद होना शुरू हो जाते हैं। नॉन-स्मोकर्स की तुलना में उनके बालों के 30 साल की उम्र से पहले सफ़ेद होने की संभावना दो गुना से ढाई गुना अधिक होती है।

केमिकल हेयर डाई और हेयर प्रॉडक्ट्स भी बालों को सफ़ेद करने के लिए ज़िम्मेदार होते हैं। यहां तक कि कुछ शैम्पू भी बालों को समय से पहले सफ़ेद कर देते हैं। ज़्यादातर प्रॉडक्ट्स में नुक़सानदेह केमिकल्स होते हैं, जिनके चलते मेलैनिन का प्रोडक्शन कम हो जाता है। अधिकतर हेयर डाईज़ में इस्तेमाल होने वाला हाइड्रोजन पैराक्साइड ऐसा ही एक ख़तरनाक केमिकल है। हेयर ब्लीच के लिए इस्तेमाल होने वाले प्रॉडक्ट्स भी बालों को सफ़ेद बनाते हैं।


बालों को समय से पहले सफ़ेद होने से रोकने के लिए क्या करें

अगर आपके बालों के असमय सफ़ेद होने का कारण जेनिटिक यानी अनुवांशिक है तो उन्हें रोक पाना या सफ़ेद बालों को काला कर पाना असंभव है। यदि बाल किन्हीं मेडिकल कंडिशन की वजह से सफ़ेद हुए हैं तो बालों के ट्रीटमेंट से कलर पिग्मेंटेशन की वापसी कराई जा सकती है। यदि बालों के सफ़ेद होने के पीछे आपकी ख़राब डाइट या विटामिन्स की कमी है तो इन क्षेत्रों में सुधार करके आपके बालों को काला किया जा सकता है। अगर बाल काले नहीं भी होते हैं तो उनका सफ़ेद होना रुक सकता है। समस्या को सही से पहचान कर उपचार करने से समय रहते कुछ हद तक बालों को वापस काला बनाया जा सकता है। हालांकि कुछ मामलों में एक बार हेयर फ़ॉलिकल्स डैमेज हो गए तो सफ़ेद बालों को दोबारा काला कर पाना असंभव होता है।


प्राकृतिक नुस्ख़ों और सही खानपान से बालों की सेहत में सुधार लाया जा सकता है। उनके सफ़ेद होने की गति को कम किया जा सकता है। पर अगर आप यह चाहते हैं कि आपके बाल कभी सफ़ेद ही न हों तो यह सही मायने में संभव नहीं है। एक समय बाद तो सबके बाल सफ़ेद होना शुरू होते ही हैं। आप चाहकर भी एजिंग के प्राकृतिक प्रोसेस को रोक नहीं सकते। बालों को दोबारा काला करने की मेडिकल टेक्नीक्स की बात करें तो इन्फ़्लेमेटीरी साइटोकान्स को टारगेट करके दिए जाने वाले मेडिकेशन, जैसे-सोरैलेन और साइक्लोस्पोरिन तथा मैलेनोजेनिसिस, जैसे-इमैटिनिब या लैटैनोप्रोस्ट के बारे में कहा जाता है कि कुछ एक केसेस में इनसे सफ़ेद बालों को काला करने में सफलता मिली है।