नवजात शिशु को पोषण देने के लिए पहला कदम ब्रेस्ट फीडिंग यानी स्तनपान होता है। मां के दूध में वे सारे पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जो बच्चे की ग्रोथ और उसके विकास के लिए जरूरी होते हैं। मां का पहला पीला दूध बच्चे को जानलेवा बीमारियों से लड़ने की शक्ति प्रदान करता हैं और तो और स्तनपान करवाने से मां और बच्चे में एक भावनात्मक रिश्ता भी बनता हैं। लेकिन कई बार मां के स्तनों में दूध की कमी हो जाती हैं जिस कारण यह बहुत ही गंभीर स्तिथि बन जाती हैं इसलिए मांओं को अपने आहार को लेकर सतर्क रहना चाहिए। दूध पिलाने वाली माताओं को सामान्य महिलाओं की तुलना में 600 अतिरिक्त कैलरी अपनी खुराक में शामिल करनी चाहिए। अतिरिक्त कैलरी की यह जरूरत संतुलित आहार से पूरी होनी चाहिए जिसमें विटमिन, मिनरल, प्रोटीन, कॉर्बोहाइड्रेट, फैट्स और पानी शामिल हों। बच्चे को मां के दूध की पर्याप्त मात्रा मिलती रहे, इसके लिए जरूरी है कि ये पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में ग्रहण किए जाएं। तो ऐसे में आज हम आपको कुछ ऐसी चीजों के बारे में बताने जा रहे है जिनका सेवन स्तनपान करवाने वाली महिलाओं के लिए जरुरी है...
मेथी स्तनपान कराने वाली मां के लिए मेथी के बीजों का सेवन अच्छा रहता हैं। मैथी के बीजों में ओमेगा-3 वसा जैसे स्वस्थ विटामिन होते हैं जो शिशु के मस्तिष्क विकास के लिए महत्वपूर्ण है। स्तनपान कराने वाली मां मेथी के साग का सेवन कर सकती है। मेथी के सागमें बीटाकैरोटीन, बी विटामिन, आयरन और कैल्श्यिम भरपूर मात्रा में होते है। मैथी का सेवन आप आटे में मिलाकर परांठे, पूरी या भरवां रोटी के रूप में भी कर सकती हैं। मेथी, पौधों के उसी वर्ग से संबंध रखती है, जिसमें मूंगफली, छोले और सोयाबीन के पौधे भी शामिल हैं। इसलिए, अगर आपको इनमें से किसी के भी प्रति एलर्जी है, तो आपको मेथी से भी एलर्जी हो सकती है।
सौंफशिशु को गैस और पेट दर्द की परेशानी से बचाने के लिए भी नई मां को सौंफ दी जाती है। दरअसल, सौफ के सेवन से पेट में गड़बड़ या पाचन से जुड़ी परेशानियों में फायदा मिलता है। इसलिए स्तनदूध के जरिये सौंफ के फायदे शिशु तक पहुंचाने के लिए यह मां को दिया जाती है। साथ ही सौंफ भी स्तन दूध की आपूर्ति बढ़ाने का एक अन्य पारंपरिक उपाय है। सौंफ का पानी और सौंफ की चाय प्रसव के बाद एकांतवास के पारंपरिक पेय हैं।
लहसुनलहसुन स्तन दूध आपूर्ति को बढ़ाने में भी सहायक माना गया है। लहसुन का दूध प्रसव के बाद स्तनपान कराने वाली मांओं को दिया जाने वाला एक लोकप्रिय पारंपरिक पेय है। एक अध्ययन में सामने आया है कि जिन माताओं ने लहसुन खाया था, उनके शिशुओं ने ज्यादा लंबे समय तक स्तनपान किया। यानि कि हो सकता है शिशुओं को स्तन दूध में मौजूद लहसुन का स्वाद पसंद आया हो। हालाकि, यह अध्ययन छोटे स्तर पर था जिसकी वजह से कोई सार्थक परिणाम नहीं निकाले जा सकते। हालाकि, कुछ मांओं का कहना हैं कि अगर वे ज्यादा लहसुन का सेवन करती हैं, तो उनके शिशुओं में पेट दर्द हो जाता है।
हरी पत्तेदार सब्जियांआयरन, कैल्शियम और फोलेट जैस खनिजों का बेहतरीन स्त्रोत हैं हरी पत्तेदार सब्जियां। हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक, मेथी, सरसों का साग और बथुआ में बीटाकैरोटीन (विटामिन ए) का एक रूप और राइबोफ्लेविन जैसे विटामिन भी भरपूर मात्रा में होते हैं। इनको भी स्तन दूध बढ़ाने में सहायक माना गया है। स्तनपान कराने वाली मांओं को रोजाना एक या दो हिस्से हरी पत्तेदार सब्जियां खाने की सलाह दी जाती है। आप इन सब्जियों को मसालों के साथ पका सकती हैं या फिर थेपला, विभिन्न सब्जियां डालकर पोहा या इडली जैसे नाश्ते भी बना सकती हैं।
जीरासौफ की तरह जीरा भी पाचन क्रिया में सुधार और कब्ज, अम्लता (एसिडिटी) और पेट में फुलाव से राहत तो दिलाता ही है साथ ही दूध की आपूर्ति बढ़ाने का भी काम करता है। भारतीय व्यंजनों का अभिन्न अंग है जीरा और यह कैल्शियम और राइबोफ्लेविन (एक बी विटामिन) का स्त्रोत है। आप जीरे को भूनकर उसे स्नैक्स, रायते और चटनी में डाल सकते हैं। आप इसे जीरे के पानी के रूप में भी पी सकती हैं।
तिल के बीजस्तनपान कराने वाली माताओं के लिए कैल्शियम एक जरुरी पोषक तत्व है। यह आपके शिशु के विकास के साथ-साथ आपके स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण है। तिल के बीज कैल्शियम का एक गैर डेयरी स्त्रोत है। आप तिल के लड्डू खा सकती हैं या फिर काले तिल को पूरी, खिचड़ी, बिरयानी और दाल के व्यंजनों में डाल सकती हैं। कुछ माएं गज्जक व रेवड़ी में सफेद तिल इस्तेमाल करना पसंद करती हैं।
तुलसीतुलसी की चाय स्तनपान कराने वाली मांओं का एक पारंपरिक पेय है। यह मल प्रक्रिया को सुधारती है और स्वस्थ खाने की इच्छा को बढ़ावा देती है साथ ही स्तन दूध उत्पादन बढ़ाने में भी सहायक है। मगर, अन्य जड़ी-बूटियों की तरह ही तुलसी का सेवन भी सीमित मात्रा में ही किया जाना चाहिए।
सुवाआयरन, मैग्निशियम और कैल्श्यिम का उत्तम स्त्रोत है सुवा के पत्ते। माना जाता है कि सुवा स्तन दूध आपूर्ति में सुधार, पाचन क्रिया व वात में आराम और नींद में सुधार करता है। सुवा हल्का मूत्रवर्धक भी होता है, इसलिए इसका सीमित सेवन किया जाना चाहिए। आप सुवा के बीज साबुत या उन्हें पीस कर इस्तेमाल कर सकती है। सुवा की चाय प्रसव के बाद दिया जाने वाला एक लोकप्रिय पेय है।
लौकी व तोरी जैसी सब्जियांलौकी, टिंडा और तोरी जैसी एक ही वर्ग की सब्जियां स्तन दूध की आपूर्ति सुधारने में मदद करती हैं। ये सभी सब्जियां न केवल पौष्टिक एवं कम कैलोरी वाली हैं, बल्कि ये आसानी से पच भी जाती हैं।
दालें व दलहनेंदालें, विशेषकर कि मसूर दाल प्रोटीन का अच्छा स्त्रोत होती है। दालों का सेवन स्तन दूध की आपूर्ति बढ़ाने में सहायक माना जाता हैं। इनमें आयरन और फाइबर भी उच्च मात्रा में होता है।
मेवेबादाम और काजू में भरपूर मात्रा में कैलोरी, विटामिन और खनिज होते हैं, जिससे ये नई माँ को ऊर्जा व पोषक तत्व प्रदान करते हैं। इन्हें स्नैक्स के तौर पर भी खाया जा सकता है। इनका सेवन स्तन दूध के उत्पादन को भी बढ़ावा देते हैं। आप इन्हें दूध में मिलाकर स्वादिष्ट बादाम दूध या काजू दूध बना सकती हैं। स्तनपान कराने वाली मां को पंजीरी, लड्डू और हलवे जैसे खाद्य पदार्थ में मिलकर मेवों को खिलाया जा सकता हैं।
जई और दलिया आयरन, कैल्शियम, फाइबर और बी विटामिन का बेहतरीन स्त्रोत होता है जई और दलिया और यह स्तनपान कराने वाली मांओं के बीच ये काफी लोकप्रिय भी है। पारंपरिक तौर पर जई को चिंता व अवसाद कम करने में सहायक माना जाता है। इसकी पौष्टिक मूल्य बढ़ाने के लिए आप इसमें मेवे, दूध, मसाले या फल भी डालकर खा सकती हैं।
ब्राउन राइसएक शोध में सामने आया है कि ब्राउन राइस ब्रेस्ट दूध का उत्पादन बढ़ाने में सहायक होता है। इसका सेवन स्तनपान करवाने वाली मांओं के हार्मोन को स्थिर करने में तो मदद करता ही है साथ ही उन्हें ऊर्जा भी देता है साथ ही इसका सेवन पाचन क्रिया को भी सुधारता है।
ओट्स मीलओट्स मील फाइबर की मात्रा बहुत अधिक होती है जो पाचन में सुधार लाता है साथ ही एनर्जी भी देता है। ब्रेस्टफीडिंग करवाने वाली महिलाएं इसे रोज सुबह नाश्ता में खा सकती हैं।
संतरासंतरें में विटामिन सी की भरपूर मात्रा में होती हैं, इसके अलावा विटामिन ए और बी, कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटेशियम और फास्फोरस के रुप में अन्य पौषक तत्वों के साथ परिपूर्ण हैं। स्तनपान से पहले या बाद में दो गिलास संतरे का रस पीना चाहिए। यह शरीर को हाइड्रेटेड रखने में तो मदद करेगा ही साथ ही वजन को भी कंट्रोल रखेगा।
सैमनसैमन प्रोटीन, विटामिन डी और डीएचए का बहुत अच्छा स्त्रोत है। यह ओमेगा-3 फैटी एसिड का एक प्रकार है जो कि बच्चे के तांत्रिका तंत्र के विकास के लिए महत्वपूर्ण साबित होता है।
पालकपालक ब्रेस्टफीडिंग माताओं के लिए बहुत जरुरी है। पालक में विटामिन ए आपके बच्चे के स्वस्थ विकास को सुनिश्चित करता है जबकि इसके एंटी ऑक्सीडेंट आपके बच्चे की प्रतिरक्षा को बढ़ावा देते हैं। यह शाकाहारी माताओं के लिए कैल्शियम का बड़ा सोर्स है। पालक में फोलेट भी होता है। यह खून की कमी को पूरा करता है।
स्वीट पटैटोस्वीट पटेटो पोटेशियम, विटामिन सी और बी कॉम्प्लेक्स का मुख्य स्त्रोत है। इसमें मौजूद ऊर्जा कार्बोहाइड्रेट का उत्पादन करती है जो थकान से लड़ने के लिए आवश्यक है। इसमें मांसपेशियों को आराम देने वाला तत्व मैग्नीशियम भी इसमें मौजूद होता है।
खसखसनई प्रसूता और ब्रेस्टफीडिंग करवाने वाली महिलाओं के लिए बहुत खास है खसखस। खसखस में मौजूद गुण महिलाओं को राहत देने के साथ ही शांत बनाएं रखता है।
अंडेयह हम सभी जानते है कि अंडे में प्रोटीन, विटामिन बी 12 और डी, राइबोफ्लेविन, फोलेट ओर कोलीन मौजूद होते है। जो मां और बच्चें दोनों के लिए फायदेमंद होता है। अंडे की जर्दी में विटामिन डी मौजूद होता है, जो नवजात शिशुओं के लिए काफी महत्वपूर्ण है।
गाजर का ज्यूसगाजर में विटामिन ए की होता है जो महिलाओं में दुग्ध उत्पादन में सहायक होता है। इसके अलावा इसमें अल्फा और बीटा कैरोटीन होता है। ब्रेस्टफीडिंग करवाने वाली महिलाएं गाजर का सेवन सलाद या सूप में डालकर भी कर सकती हैं।
पानी और ज्यूस पीने सेस्तनपान के दौरान आपको पानी केवल अपनी प्यास बुझाने के लिए ही पीने की जरुरत है। अत्याधिक पानी या ज्यूस पीने या प्यासे रहने से आपके दूध की आपूर्ति पर असर नहीं पड़ता है। आपका शरीर जरुरी तत्वों का नियमित संग्रहण करने में काफी सक्षम होता है, ताकि वह आपकी दूध की आपूर्ति को बनाए रख सके।
एप्रिकोटसूखे एप्रिकोट में मौजूद रसायन आपके हार्मोन को बैलेंस बनाएं रखते हैं। इसमें मौजूद फाइबर और केल्शियम की उच्च मात्रा दूध बढ़ाने में मदद करता है
प्याजभोजन के साथ कच्चे प्याज का सेवन अधिक मात्रा में करने से माताओं के स्तनों में दूध में वृद्धि होती है। जब भी माताएं भोजन करें तो कच्चे प्याज का सेवन भोजन के साथ जरुर करें।
सोयाबीनसोया दूध (सोयाबीन का दूध) पीने से स्तनपान कराने वाली महिलाओं के दूध में वृधि होती है। सोया में प्रोटीन की उच्च मात्रा होती है।
इन सभी पोषक पदार्थों को खुराक में शामिल करने के अलावा स्तनपान कराने वाली महिलाओं को इन बातों का भी ध्यान रखना बेहद जरुरी हैं
- दिन में तकरीबन 3 बार पोषक आहार लें और नाश्ते को कभी स्किप न करें
- स्तनपान कराने के दौरान भूख लगना स्वाभाविक है। वजह यह है कि स्तनपान में भी काफी कैलरी खर्च होती हैं, इसलिए मांओं को स्तनपान कराने के दौरान कम से कम 3 बार नियमित खुराक और 2 से 3 बार हल्की खुराक लेनी चाहिए। यह जरूरी है कि खासकर नाश्ते समेत सारी खुराक ली जाएं। नाश्ते के विकल्पों में फल, कुछ बादाम, वेज रोल्स, सैंडविच, फ्रूट सलाद इत्यादि शामिल हैं।
- ज्यादा शुगर और फैट वाले आहार को नियंत्रित मात्रा में लें
- आलू के चिप्स, चॉकलेट, केक और सॉफ्ट ड्रिंक्स जैसे हाई फैट और शुगर वाली चीजों के उपभोग को कम करना चाहिए। ये सारी चीजें 'शून्य' कैलरी वाली होती हैं और किसी तरह का पोषक तत्व इनमें नहीं होता।
- अल्कोहल और धूम्रपान से बचें। अल्कोहल तुरंत मां के दूध तक पहुंचता है और बच्चे पर इसका बुरा असर पड़ता है। धूम्रपान और तम्बाकू के उपयोग से भी बचें।
- स्तनपान के दौरान डाइटिंग से बचें। डाइटिंग करने की बजाए व्यायाम करें। रोजाना की वॉकिंग, स्वीमिंग में एक्सर्साइज को शामिल करने की कोशिश करें।