शोध में खुलासा, मोटापा कमजोर करता है बच्चों की याददाश्त, सोचने और योजना बनाने में भी आती है कमी

बच्चों में मोटापे को लेकर एक हालिया शोध में चौकाने वाली बाते सामने आई है। शोध में पता चला है कि मोटापे की वजह से बच्चों की याददाश्त कमजोर होती है। मोटे बच्चों की याददाश्त सामान्य वजन वाले बच्चों के मुकाबले कम होती है। इतना ही नहीं मोटे बच्चों को सोचने और योजना बनाने में भी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।

वेरमॉन्ट यूनिवर्सिटी और येल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के इस अध्ययन में 10 सालों तक 10 हजार टीनेजर्स का डेटा लिया गया और फिर उसका विश्लेषण हुआ। वेरमॉन्ट यूनिवर्सिटी की जेनिफर लॉरेंट ने बताया कि इस अध्ययन में भी शोधकर्ताओं को पता चला कि ज्यादा बीएमआई बच्चों का सेरेब्रल कॉर्टेक्स पतला हो जाता है। सेरेब्रल कॉर्टेक्स एक परत है जो दिमाग के बाहरी हिस्से को ढकती है। इसके पतले होने से दिमाग की सोचने, याद रखने जैसी क्षमताएं प्रभावित हो जाती हैं।

शोध में हर दो साल के दौरान सभी प्रतिभागियों की जांच की गई और उनके ब्लड सैंपल भी चेक हुए, साथ ही उनके दिमाग की स्कैनिंग भी की गई। इस स्टडी ने वैज्ञानिकों की इससे पहले हुए एक स्टडी को सपोर्ट किया, जिसमें कहा गया था कि ज्यादा BMI वाले बच्चों की वर्किंग मेमोरी कमजोर होती है।

जेनिफर का कहना है कि हमें बच्चों की डाइट में बदलाव करना पड़ेगा। इसके अलावा बच्चों को एक्सरसाइज करने के लिए भी जागरूक करना पड़ेगा। जेनिफर ने कहा मोटापा न सिर्फ उन्हें बीमारियां देगा बल्कि सोचने-समझने की क्षमता भी प्रभावित करेगा। इस अध्ययन के नतीजे जामा पीडिएट्रिक्स जर्नल में प्रकाशित हुए हैं।

जेनिफर कहती हैं कि हमें बच्चों की डाइट में बदलाव के साथ-साथ उनमें एक्सरसाइज करने की इच्छा को पैदा करना होगा क्योकि मोटापा न सिर्फ उन्हें बीमारियां देगा बल्कि सोचने-समझने की क्षमता भी प्रभावित करेगा। इस अध्ययन के नतीजे जामा पीडिएट्रिक्स जर्नल में प्रकाशित हुए हैं।