मुहं से निकली सांस सुंगधित हो तो सभी के समक्ष हमारा मान बढाती है, और अगर यही सांस दुर्गन्ध में बदल जाये तो लोगो से बात करना मुश्किल हो जाता है। इस दुर्गन्ध से हम न तो किसी व्यक्ति से मिल पाता है और न ही उनसे अच्छे से बात कर पाता है। सांस की दुर्गन्ध से व्यक्तित्व भी प्रभावित होता है। इस समस्या से राहत पाने के लिए लोग कई ऐसे तरीकों का इस्तेमाल करते हैं जो उन्हें कुछ समय के लिए तो राहत तो दे सकते हैं पर इस समस्या का कोई स्थायी समाधान नहीं है। यह समस्या नियमित रूप से दांतों की सफाई न होने से दांतों में फंसे अन्न के कणों की वजह से होती है। इसके अलावा यह छालों, जीभ पर मेल, सर्दी जुखाम, पायरिया, शरीर में खून की कमी आदि की वजह से होती है।
मुंह की दुर्गंध के कारण कई बार दूसरों के सामने शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता है। ऐसे में मुंह की दुर्गंध का इलाज बहुत ही जरूरी है। भले ही यह आपको कोई बड़ी समस्या न लगे, लेकिन कई बार मुंह की दुर्गंध के कारण आपका कॉन्फिडेंट लेवल बिगड़ सकता है। इसलिए समय पर आप मुंह की दुर्गंध और कैविटी का इलाज करें। सांसों से आने वाली बदबू को दूर करने के लिए आप कुछ घरेलू नुस्खों की मदद ले सकते हैं।
मुँह से बदबू आने के कारणवैसे तो आम तौर पर माना जाता है कि मुँह की साफ-सफाई के अभाव में मुँह से बदबू आती है लेकिन शायद आपको मालूम नहीं कि यह समस्या सिर्फ मुँह या दांतों के लिए नहीं होती है बल्कि इसके पीछे बहुत सारे कारण होते हैं। आप धूम्रपान नहीं करते और अपने मुँह की साफ-सफाई भी ढंग से करते हो लेकिन फिर भी आपके मुँह से बदबू आती है तो समझिए कि शरीर में कोई गड़बड़ है।
भोजनआपके दाँतों में और इसके आस-पास भोजन के टुकड़ों के टूटने से दुर्गन्ध पैदा हो सकती है। पतले तैलीय पदार्थ युक्त भोजन भी साँसों की दुर्गन्ध के कारण हो सकते हैं। प्याज और लहसुन इसके सबसे अच्छे उदाहरण हैं, लेकिन अन्य सब्जियाँ और मसाले भी साँसों में दुर्गन्ध पैदा कर सकते हैं। जब ये भोजन पचते हैं और तीखे गंध वाले तेल आपके खून में शामिल होते हैं, तो वे आपके फेफड़ों तक पहुँचते हैं और तब तक आपकी साँसों से बाहर निकलते रहते हैं, जब तक कि वह भोजन आपके शरीर से पूरी तरह खत्म न हो जाये। प्याज और लहसुन खाने के 72 घण्टे बाद तक साँसों में दुर्गन्ध पैदा कर सकते हैं।
दाँतों की समस्यादाँतों की खराब सफाई और दाँत की बीमारियां साँसों की दुर्गन्ध का कारण हो सकती हैं। यदि आप हर दिन ब्रश और कुल्ला नहीं करते हैं, तो भोजन के टुकड़े आपके मुँह में रह जाते हैं। वे बैक्टीरिया पैदा करते हैं और हाइड्रोजन सल्फाइड भाप बनाते हैं। आपके दाँतों पर बैक्टीरिया (सड़न) का एक रंगहीन और चिपचिपा फिल्म जमा हो जाता है।
मुँह सूखनालार से मुँह में नमी रहने और मुँह को साफ रखने में मदद मिलती है। सूखे मुँह में मृत कोशिकाओं का जीभ, मसूड़े और गालों के नीचे जमाव होता रहता है। ये कोशिकाएं दुर्गन्ध पैदा कर सकती है। ड्राई माउथ की समस्या आमतौर पर सोने के समय होती है।
बीमारियांफेफड़े का गंभीर संक्रमण और फेफड़े में गांठ से साँसों में बेहद खराब दुर्गन्ध पैदा हो सकती है। अन्य बीमारियां, जैसे कुछ कैंसर और चयापचय (मेटाबॉलिज्म) की गड़बड़ी से भी साँसों में दुर्गन्ध पैदा हो सकती है।
मुँह, नाक और गला की स्थितिसाँसों की दुर्गन्ध का संबंध साइनस संक्रमण से भी है, क्योंकि साइनस से नाक होकर बहने वाला द्रव आपके गले में जाकर साँसों में दुर्गन्ध पैदा करता है।
तंबाकू उत्पादधूम्रपान से मुँह सूखता है और उससे एक खराब दुर्गन्ध पैदा होती है। तंबाकू का सेवन करने वालों को दांतों की बीमारी भी होती है, जो साँसों की दुर्गन्ध का अतिरिक्त स्रोत बनती है।
गंभीर डायटिंग
डायटिंग करने वालों में खराब फलीय साँस पैदा हो सकती है। यह केटोएडीडोसिस, जो उपवास के दौरान रसायनों के टूटने से पैदा होती है, के कारण होता है।
नाश्ता न करनासुबह का नाश्ता करने से मुँह में थूक बनता है, जिससे जीभ साफ रहती है और बैक्टीरिया का भी खात्मा होता है।
मुँह का अल्सरमुँह में अल्सर होने की वजह से कई बार उसमें पस जम जाता है और खून भी बहने लगता है जिस वजह से इंफेक्शन होने के चांस बढ़ जाते हैं।
मसूड़ों से खून आनाअगर अपके मसूड़ों से खून आता है तो कभी कभार मुँह में वह खून जम जाता है जिससे बदबू आती है।
गले का संक्रमणअगर आपको गले का संक्रमण है तो बैक्टीरिया ब्रोन्कियल मार्ग की कोशिकाओं को तोड़ देता है, जिससे महक आती है।
कैंसरलम्बे समय तक स्मोकिंग करने या तंबाकू खाने वाले लोगों में ओरल कैंसर हो जाता है, ऐसे में मुँह से तेज बदबू भी आने लगती है।
फेफड़ों का संक्रमणफेफड़े का संक्रमण मुँह से आने वाली दुर्गन्ध का एक कारण है। इसके अलावा फेफड़े में गांठ से भी सांसों में खराब बदबू पैदा होती है। चयापचय की गड़बड़ी से भी सांसों में बदबू पैदा होती है।
साइनस संक्रमणसाँसों से आने वाली बदबू का एक कारण साइनस संक्रमण भी है, क्योंकि साइनस से नाक से होकर बहने वाला द्रव आपके गले में जाकर सांसों में दुर्गन्ध पैदा करता है, जिससे मुँह से दुर्गन्ध आती है। ऐसी स्थिति में तुरन्त चिकित्सक के पास जाना चाहिए।
मुँह की दुर्गन्ध दूर करने के उपाय
नीम की पत्ती का उपयोग10-12 नीम की पत्ती को उबाल कर एक गिलास में छान लें। जब पानी ठंडा हो जाये तो इससे गरारा करें। नीम जलन व दर्द को शांत करता है और रोगाणु रोधक होता है। इसके नियमित सेवन से मुंह की आन्तरिक शुद्धि हो जाती है और सांस की दुर्गन्ध दूर होती है।
नींबू का प्रयोगनींबू को ले और उसे आधा काट ले। इसे हल्के हाथ से दांतों व मसुडों पर रगड़े। नींबू में पाए जाने वाला विटामिन सी मुंह के आन्तरिक ऊतकों को संकुचित कर, उनमें से विषेले पदार्थ को बाहर कर दांतों और मसुडों को मज़बूत बनाता है, जिसकी वजह से सांस की दुर्गन्ध की परेशानी दूर होती है।
नमक का प्रयोगगुनगुने पानी में नमक डालकर इस पानी का प्रयोग गरारे के रूप में करें। नमक में पाए जाने वाले तत्व मुंह की मृत कोशिकाओं को निकालकर इस परेशानी को दूर करता है।
तुलसी के पत्ते का प्रयोगतुलसी के पत्तों को उबालकर कुछ देर के लिए ढक दे। पानी जब ठंडा हो जाये तो इस पानी से गरारे करें। तुलसी के पत्तों में जो तत्व पाए जाते हैं वह मुंह के कीटाणुओं को दूर देते हैं। इसका प्रयोग नियमित रूप से करें, क्योंकि यह एक अच्छा माउथफ्रेशनर है।
गुलाबजल का प्रयोगएक गिलास ठन्डे पानी में गुलाब जल डाले और मुंह में 10 सेकंड रखने के बाद बिना कुल्ला करे निकाल दे। यह एक एंटी बायोटिक तथा एंटी सेर्टिक जैसा प्रभाव डालता है। इसकी प्राकर्तिक सुगंध सांसो में ताजगी देती है।
पुदीने की पत्तियांमुंह से बदबू और कैविटी की परेशानी से राहत पाने के लिए आप पुदीने की पत्तियों को चबा सकते हैं। पुदीने की पत्तियों में मौजूद गुण सांसों की बदबू को कम कर सकता है। साथ ही यह कैविटी से भी छुटकारा दिला सकता है।
पर्याप्त रूप से पानी पीयेंशरीर में पानी की कमी के कारण भी मुंह से दुर्गंध आ सकती है। इस स्थिति में आपको पर्याप्त रूप से पानी पीने की जरूरत होती है। मुंह से अगर आपको काफी बदबू महसूस होती है, तो दिन में कम से कम 7 से 8 गिलास पानी जरूर पीयें।
सेब खाने से मुंह की बदबू होगी कमअगर आपको मुंह से काफी बदबू आती है, तो इस स्थिति में आप सेब खाएं। सेब में मौजूद ऑक्सीडाइज्ड पॉलीफेनॉल्स मुंह की दुर्गंध को कम करने का गुण होता है। साथ ही यह दांतों के टेक्सचर में सुधार ला सकता है। इससे दांतों की गहराई से क्लीनिंग होती है।