कम उम्र में लोग क्यों हो रहे हैं हार्ट अटैक का शिकार, जानें मुख्य कारण

कम उम्र में फिट बॉडी, खुशहाल जिंदगी के बावजूद अचानक हार्ट अटैक आना आजकल आम बात हो गई हैं। दुनिया के मुकाबले भारतीयों में हार्ट अटैक 8-10 साल पहले आ जाता है। हार्ट अटैक की समस्या प्रमुख रूप से कोलेस्ट्रॉल बढ़ने से होती है। कोलेस्ट्रॉल के लिए डाइबिटीज, हाइपरटेंशन, मोटापा, ओवर ईटिंग, स्मोकिंग जैसे फैक्टर्स जिम्मेदार हैं। शरीर में कोलेस्ट्रॉल बढ़ने से हार्ट की नसों में ब्लॉकेज आना शुरू हो जाता है। 40% तक ब्लॉकेज ज्यादा प्रॉब्लम नहीं करता। जब ये ब्लॉकेज 70% से ज्यादा बढ़ जाता है तो हार्ट का ब्लड फ्लो धीमा पड़ जाता है और ब्लड की पंपिंग बंद हो जाती है। इसे ही हार्ट अटैक कहते हैं। दिल की बीमारियों से दुनिया भर में 1.7 करोड़ लोगों की मौत हर साल हो जाती है। भारत में करीब 30 लाख लोग हर साल कार्डियो वस्कुलर बीमारियों का शिकार होते हैं। इसमें सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि देश में कुल हार्ट अटैक केसेस में 50% मामले 50 साल से कम उम्र के लोगों के हैं और 25% लोग 40 साल से कम उम्र के हैं। हार्ट अटैक से पहले कई मामलों में लक्षण दिखाई देते हैं। जैसे- सीने में दर्द, भारीपन और जकड़न, एसिडिटी जैसा महसूस होना, बाएं कंधे या बाएं हाथ में दर्द महसूस होना, सांस फूलना। लाइफ स्टाइल में बदलाव से प्रीमैच्योर हार्ट अटैक का रिस्क काफी कम किया जा सकता है। वॉकिंग, साइकिलिंग, जॉगिंग और स्विमिंग करने से हार्ट अटैक का खतरा 30% तक कम हो जाता है। रोजाना कम से कम 10 हजार स्टेप्स पैदल चलना चाहिए।

आज के समय में युवाओं में या फिर कम उम्र के लोगों में भी हार्ट अटैक के मामले सामने आ रहे हैं। जिसके ये कारण हो सकते हैं।

स्मोकिंग

युवाओं में कोरोनरी धमनी की बीमारी के लिए सबसे बड़े जोखिम कारकों में से एक स्मोकिंग भी है। धूम्रपान करने वाले युवाओं में दिल का दौरा पड़ने की संभावना को कई गुना अधिक बढ़ जाती है। विभिन्न रिसर्चों के मुताबिक,स्मोकिंग करने से हार्ट अटैक का जोखिम 8 गुना बढ़ जाता है। सिगरेट के धुएं में मौजूद टार फेफड़ों में जमा होकर ब्लॉकेज पैदा करता है। इससे थकान, ब्रीदलैसनेस, सीटी जैसी आवाज आने लगती है। साथ ही सिगरेट का धुआं रेस्पिरेटरी सिस्टम में जमा होने लगता है। इससे ब्रॉंकाइटिस, अस्थमा जैसी प्रॉब्लम हो सकती है।

हाई कोलेस्ट्रॉल

कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना हार्ट डिसीज का एक मुख्य कारण है। विशेषज्ञों का मानना है किकोलेस्ट्रॉल एक लिपिड है, जिसकी हमारे शरीर को सही ढंग से काम करने के लिए जरूरत होती है। यह एक फैट जैसा पदार्थ है, जो ब्लड आर्टरीज के जरिए शरीर में घूमता रहता है। पानी में नहीं घुलने के कारण कोलेस्ट्रॉल को लिपोप्रोटीन नामक एक कण के माध्यम से शरीर के विभिन्न भागों में पहुंचाया जाता है, जिसकी सतह पर एक प्रकार का प्रोटीन होता है। जब कोलेस्ट्रॉल हाई फैट और कम प्रोटीन सामग्री वाले लिपोप्रोटीन के साथ मिलकर एलडीएल (LDL) बनाता है, तो यह शरीर के लिए हानिकारक होता है। यह समस्या आमतौर पर तब पैदा होती है, जब आपका आहार अनहेल्दी फैटी फूड से भरपूर हो। एलडीएल यानि लिपोप्रोटीन आर्टरीज में निर्माण शुरू कर देता है, जो समय के साथ दिल का दौरा और स्ट्रोक का कारण बनता है। रिसर्च के मुताबिक, 190 मिलीग्राम से ऊपर 'खराब' या LDL कोलेस्ट्रॉल वाले लोगों में हार्ट संबंधित बीमारी जैसे हार्ट अटैक या स्टोक का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए हमेशा कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल रखें।

जंक फूड

जंक फूड के लगातार सेवन से अतिरिक्त वसा, सामान्य कार्बोहाइड्रेट और प्रसंस्कृत चीनी का सेवन बढ़ जाता है जिससे मोटापा और हृदय रोगों का खतरा बढ़ सकता है। परिणामस्वरूप मोटापा धमनियों का रुकना शुरू कर सकता है जिसकी वजह से दिल का दौरा पड़ सकता है। आज की अधिकतर युवा पीढ़ी भूख मिटाने के लिए घर के खाने की जगह जंक फूड खाना अधिक पसंद कर रही है। उनकी थाली में प्रोटीन, फाइबर वाले फूड्स की जगह जंक और तली-भुनी चीजें अधिक होती हैं, जिससे शरीर में काफी अधिक कैलोरी जाती है, जिसका बुरा असर हार्ट पर पड़ता है।

डिप्रेशन

डिप्रेशन सिर्फ दिमाग ही नहीं बल्कि पूरे शरीर पर बुरा प्रभाव डालता है। डिप्रेशन मानसिक तौर से जुड़ा हुआ एक रोग है, जिसका यदि समय पर इलाज न कराए जाए तो समय के साथ बढ़ता रहता है और एक समय आने पर व्यक्ति को इतनी निराशा और हताशा से भर देता है कि उसे अपने सामने सिर्फ अंधकार दिखाई देता है और ऐसी अवस्था से रोगी को वापस ला पाना मुश्किल हो जाता है। डिप्रेशन तनाव हार्मोन जारी करता है और जिससे धमनियों पर बुरा असर पड़ता है और वे सिकुड़ना शुरू हो जाती है। एक्सपर्ट्स की माने तो डिप्रेशन का जीवनशैली पर काफी प्रभाव पड़ता है और यह हार्ट संबंधित बीमारियां उत्पन्न करता है।

हाई ब्लड प्रेशर

हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल ना किया जाए, तो यह हार्ट अटैक, स्ट्रोक, किडनी फेलियर के जोखिम को बढ़ा सकता है। ब्लड को सर्कुलेट करने के लिए शरीर को भी अधिक दबाव की आवश्यकता होती है। इसलिए हाई ब्लड प्रेशर भी दिल के दौरे का एक सामान्य कारण है।

मोटापा

मोटापा हार्ट अटैक की वजह बन सकता है। जैसे-जैसे बीएमआई (BMI) बढ़ता है, वैसे ही ब्लड प्रेशर, लो डेन्सिटी वाले लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल, अन्य फैट, ब्लड शुगर और सूजन में वृद्धि होती है। इन परिवर्तनों से हार्ट अटैक, स्ट्रोक और हृदय रोग से मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है।