आप सोने किस वक्त जाते हैं, यह तो आपके लाइफ स्टाइल पर निर्भर करता है, लेकिन महत्व इस बात का है कि आपको कितने घंटे की नींद की जरूरत है। अकसर कहा जाता है कि दिन में आठ घंटे की नींद लेनी ही चाहिए। आपके शरीर को जिस चीज की जरूरत है, वह नींद नहीं है, वह आराम है। अगर आप पूरे दिन अपने शरीर को आराम दें, अगर आपका काम, आपकी एक्सरसाइज सब कुछ आपके लिए एक आराम की तरह हैं तो अपने आप ही आपकी नींद के घंटे कम हो जाएंगे। लोग हर चीज तनाव में करना चाहते हैं।
अक्सर ये देखा जाता है कि लोग पार्क में टहलते वक्त भी तनाव में होते हैं। अब इस तरह का व्यायाम तो आपको फायदे की बजाय नुकसान ही करेगा, क्योंकि आप हर चीज को इस तरह से ले रहे हैं जैसे कोई जंग लड़ रहे हों। आप आराम के साथ क्यों नहीं टहलते चाहे टहलना हो या जॉगिंग, उसे पूरी मस्ती और आराम के साथ करना चाहिए। तो सवाल घूमफिर कर वही आता है कि हमारे शरीर को कितनी नींद की जरूरत है यह इस बात पर निर्भर है कि आप किस तरह का शारीरिक श्रम करते हैं। आपको न तो भोजन की मात्रा तय करने की जरूरत है और न ही नींद के घंटे। हमे इतनी कैलरी ही लेनी है, हमे इतने घंटे की नींद ही लेनी है, जीवन जीने के लिए ये सब बेकार की बातें हैं। आज आप जो शारीरिक श्रम कर रहे हैं, उसका स्तर कम है, तो आप कम खाएं। कल अगर आपको ज्यादा काम करना है तो आप ज्यादा खाएं। नींद के साथ भी ऐसा ही है। जिस वक्त आपके शरीर को पूरा आराम मिल जाएगा, यह उठ जाएगा चाहे सुबह के 3 बजे हों या 8। आपका शरीर अलार्म की घंटी बजने पर नहीं उठना चाहिए। एक बार अगर शरीर आराम कर ले तो उसे खुद ही जग जाना चाहिए।