गर्भावस्था के बाद हर 8 में से एक महिला को होती है यह समस्या, क्या आप भी महसूस कर रही हैं ऐसे लक्षण?

गर्भावस्था और प्रसव का समय महिलाओं के लिए शारीरिक और मानसिक दोनों रूपों में चुनौतीपूर्ण होता है। इस दौरान शरीर में हो रहे रासायनिक बदलावों और शारीरिक थकावट के कारण महिलाओं को विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इनमें से एक गंभीर समस्या है पोस्टमार्टम डिप्रेशन (पीपीडी), जिसे प्रसवोत्तर अवसाद भी कहा जाता है। यह एक मानसिक स्वास्थ्य विकार है, जो अधिकतर प्रसव के बाद के पहले वर्ष में विकसित होता है। अगर इसे समय रहते पहचान और इलाज न किया जाए तो यह जीवन को काफी प्रभावित कर सकता है।

पोस्टमार्टम डिप्रेशन की पहचान कैसे करें?

प्रसव के बाद महिलाओं को शारीरिक थकान और मानसिक अस्थिरता का अनुभव होना आम बात है, लेकिन अगर ये समस्याएं लगातार बढ़ती जाएं तो यह पोस्टमार्टम डिप्रेशन का संकेत हो सकता है। यह गंभीर मूड स्विंग्स, अत्यधिक चिंता और उदासी का कारण बन सकता है, जिससे महिला का जीवन प्रभावित होता है। इसके प्रमुख लक्षणों में शामिल हैं:

अत्यधिक उदासी और निराशा: गर्भावस्था और प्रसव के बाद महिलाएं अपने आप को दुखी और दोषी महसूस करती हैं।
मूड स्विंग्स: कई बार अचानक से रोने का मन करता है और सामान्य रूप से चीजों में रुचि कम हो जाती है।
अत्यधिक थकान और नींद की कमी: हर वक्त थकान का अहसास होना और कोई काम करने की ऊर्जा नहीं मिलती।
भूख की कमी और ऊर्जा में कमी: खाने का मन न करना और शरीर में कमजोरी महसूस करना।
सोचने और ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई: कामों को पूरा करने में परेशानी आना।
आत्महत्या के विचार: यह गंभीर लक्षण है, अगर ऐसे विचार आ रहे हैं तो तुरंत विशेषज्ञ से संपर्क करें।

पोस्टमार्टम डिप्रेशन से राहत पाने के उपाय

पोस्टमार्टम डिप्रेशन का निदान जल्दी करना बहुत जरूरी है। यदि आप इनमें से कोई लक्षण महसूस कर रही हैं, तो विशेषज्ञ से सलाह लेना आवश्यक है। इसके अलावा, निम्नलिखित उपाय भी डिप्रेशन के लक्षणों को कम करने में सहायक हो सकते हैं:

मेडिकल उपचार और थेरेपी: डॉक्टर दवाइयां और थेरेपी की सलाह दे सकते हैं। इस संयोजन से लक्षणों में राहत मिल सकती है।
स्वस्थ आहार और जीवनशैली: स्वस्थ आहार और नियमित शारीरिक गतिविधि शरीर को मानसिक तनाव से लड़ने के लिए मजबूत बनाती है।
समय का ध्यान रखें: खुद के लिए समय निकालना और आराम करना जरूरी है। मानसिक शांति के लिए ध्यान और योग का अभ्यास करें।
समर्थन प्राप्त करें: परिवार और दोस्तों से समर्थन प्राप्त करें। अपने विचारों और भावनाओं को साझा करें।

नोट : यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है और पेशेवर चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। किसी भी स्वास्थ्य समस्या के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।