होश उड़ा देने वाला खुलासा... इस कारण 30 लाख से अधिक बच्चों की हो चुकी मौत

अगर आप भी बिना डॉक्टर की सलाह के एंटीबायोटिक दवाएं लेते हैं, तो अब सतर्क हो जाना चाहिए। एक ताजा शोध में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि दुनिया भर में एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR) के कारण 30 लाख से ज्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है। यह आंकड़े ऑस्ट्रिया के विएना में आयोजित ईएससीएमआईडी ग्लोबल 2025 सम्मेलन में पेश किए गए हैं। शोध में बताया गया है कि दक्षिण-पूर्व एशिया और अफ्रीका जैसे क्षेत्रों में एंटीबायोटिक दवाओं की खपत बेहद तेजी से बढ़ रही है, जो एक गंभीर चिंता का विषय है। साल 2019 से 2021 के बीच दक्षिण-पूर्व एशिया में एंटीबायोटिक उपयोग 160% और अफ्रीका में 126% तक बढ़ गया है। इसके साथ ही, रिजर्व एंटीबायोटिक – जो आमतौर पर गंभीर संक्रमणों में अंतिम विकल्प के तौर पर दी जाती हैं – उनका उपयोग भी इन क्षेत्रों में क्रमशः 45% और 125% तक बढ़ गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि लोग बिना डॉक्टर की सलाह के, अपनी मर्जी से एंटीबायोटिक्स ले रहे हैं, जिससे एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस यानी दवाओं के प्रति शरीर की प्रतिरोधक क्षमता खतरनाक रूप से बढ़ रही है। इससे इलाज की सामान्य पद्धतियां भी बेअसर हो सकती हैं और गंभीर संक्रमणों पर काबू पाना मुश्किल हो सकता है।

क्या है एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR)? क्यों हो रही है यह खतरनाक समस्या?

दिल्ली के जीटीबी अस्पताल में मेडिसिन विभाग के विशेषज्ञ डॉ. अजीत कुमार बताते हैं कि जब किसी बीमारी के कारण बनने वाले बैक्टीरिया या वायरस बार-बार दी जा रही एंटीबायोटिक दवाओं के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता (रेजिस्टेंस) विकसित कर लेते हैं, तो उस बीमारी का इलाज करना बेहद कठिन हो जाता है। यही स्थिति एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR) कहलाती है। चौंकाने वाली बात यह है कि इसी वजह से अब तक दुनिया भर में 30 लाख से ज्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है। समस्या यह भी है कि मेडिकल साइंस में इस प्रतिरोध को तोड़ने के लिए जो नई दवाएं विकसित की जा रही हैं, उनका विकास बहुत धीमी गति से हो रहा है। शोधकर्ताओं ने चेताया है कि अगर दक्षिण पूर्व एशिया और अफ्रीका जैसे क्षेत्रों में एंटीबायोटिक्स के प्रयोग की यही स्थिति बनी रही, तो भविष्य में हालात और भी भयावह हो सकते हैं।

बिना डॉक्टर की सलाह एंटीबायोटिक लेना पड़ सकता है भारी

शोध में यह भी जोर दिया गया है कि रिजर्व एंटीबायोटिक दवाएं, जो कि गंभीर और आपातकालीन स्थितियों के लिए होती हैं, उन्हें पहली पंक्ति के उपचार में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। दुर्भाग्यवश, आज कई लोग बिना डॉक्टर की सलाह खुद ही एंटीबायोटिक दवाएं ले रहे हैं – यह आदत खतरनाक है और इसे तुरंत रोका जाना चाहिए। एंटीबायोटिक दवाओं को लेने के कुछ नियम होते हैं – जैसे पूरा कोर्स करना, सही समय पर लेना और उचित मात्रा में लेना। यदि इन नियमों का पालन नहीं किया गया, तो शरीर के भीतर मौजूद बैक्टीरिया या वायरस उन दवाओं के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर लेते हैं। इसका सीधा असर यह होता है कि यदि भविष्य में वही रोग फिर से होता है, तो उसका इलाज मुश्किल हो जाता है और जान को खतरा बढ़ जाता है।