आजकल के दौर में डेस्क जॉब बहुत बढ़ गई हैं जहां कई घंटों लगातार कंप्यूटर या लैपटॉप पर काम करना पड़ता हैं। इस दौरान लंबे समय तक बैठे रहने, सही बॉडी पोश्चर ना होने जैसे कारणों की वजह से गर्दन दर्द की समस्या होने लगती हैं। कई लोग इस गर्दन दर्द को नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन यह बढ़कर विक्राल रूप ले सकती हैं। ऐसे में आपको समय रहते समझदारी दिखाते हुए गर्दन दर्द को ठीक करने के प्रयास करने चाहिए। ऐसे में आप योगासन की मदद भी ले सकते हैं जिनके नियमित अभ्यास से नसों का तनाव कम होता हैं और दर्द में आराम मिलता हैं। यहां हम आपको ऐसे कुछ योग बताने जा रहे हैं जो गर्दन दर्द में आराम दिलाने का काम करेंगे। आइये जानते हैं इन योगासन के बारे में...
कुर्मासनटर्टल पोज करने के लिए सबसे पहले अपने पेट के बल योगा मैट पर लेट जाएं। अपने हाथों को अपने कूल्हों के नीचे रखें और इन्हें जमीन में मजबूती से लगाएं। अपने सिर को जमीन से ऊपर उठाएं, इसे अपनी कोहनी पर टिकाएं। इस मुद्रा को पूरा करने के लिए अपनी ठुड्डी को अपनी छाती से लगाएं। अपनी गर्दन और कंधों की मांसपेशियों को आराम देने पर ध्यान केंद्रित करते हुए इस स्थिति में 20 सेकंड के लिए रहें।
मार्गरी आसन इस योग मुद्रा को करने के लिए कलाई कंधे के नीचे और घुटने कूल्हों के नीचे होते हैं। सभी चौकों पर समान रूप से संतुलन बनाने के साथ ऊपर देखते हुए, श्वास लें और पेट को फर्श की ओर आने दें। सांस छोड़ते हुए ठुड्डी को छाती से स्पर्श करें और नाभि को रीढ़ की ओर खींचे। इस आसन को दोहराएं। यह आसन गर्दन और कंधों को मजबूत करता है।
कोबरा मुद्राइस मुद्रा में आने के लिए सबसे पहले फर्श पर मुंह के बल लेट जाएं। अपने हाथों को सीधे अपने कंधों के नीचे रखें, हथेलियां नीचे की ओर हों और उंगलियां आगे की ओर हों। अपने शरीर को तब तक ऊपर की ओर धकेलें जब तक कि ये सिर से पैर तक एक सीधी रेखा में न आ जाए। अगरआप सक्षम हैं तो 30 सेकंड से एक मिनट या इससे अधिक समय तक रुकें।
बालासनघुटने के बल जमीन पर बैठ जाएं और शरीर का सारा भार एड़ियों पर डालें। गहरी सांस लेते हुए आगे की ओर झुकें। आपका सीना जांघों से छूना चाहिए और अपने माथे से फर्श को छूने की कोशिश करें। कुछ सेकंड इस अवस्था में रहें और वापस उसी अवस्था में आ जाएं। इस आसन से केवल गर्दन और पीठ के दर्द से ही आराम नहीं मिलता बल्कि मन भी शांत होता है। यह आसन कूल्हों, जांघों और पिंडलियों को लचीला बनाकर ताजगी का अहसास कराता है। यह गर्दन, पीठ और रीढ़ को आराम देता है और कंधों पर तनाव कम करता है।
वीरभद्रासनआप वीरभद्रासन का सहारा ले सकते हैं। इस योग को करने से भी कंधे और गर्दन को दूर करने में मदद मिलती है। वीरभद्रासन तीन प्रकार के होते हैं। इनमें पहली मुद्रा को करने से कंधे और गर्दन के दर्द से छुटकारा मिलता है। इसके लिए सबसे पहले ताड़ासन मुद्रा में आ जाएं। अब अपने दोनों हाथों को धड़ की सीध में ऊपर उठाएं। इस दौरान अपना ध्यान हाथों पर रखें। इसके बाद अपने दाहिने पैर को आगे करें। इस अवस्था में कुछ देर तक रहें। इसके बाद पुन: पहली अवस्था में आ जाएं।
नटराज आसनअपनी पीठ को सीधे रखते हुए ज़मीन पर लेट जाएँ। धीरे से अपने सीधे पैर को उठा कर बाएँ पैर के उपर ले आएँ। बायां पैर सीधा ही रखें। ध्यान रहे कि दाहिना पैर ज़मीन पर एक सीधा कोण बनाए। अपने दोनों हाथों को शरीर के दाहिने और बाएँ तरफ फैला कर रखें। चेहरे को दाहिनी तरफ मोड़ लें। कुछ गहरी लंबी श्वास लें और छोड़ें और इसी मुद्रा में तीस सेकंड्स तक स्थिर रहें।बाएँ पैर से इसी आसन की पुनरावृति करें। यह आपकी मांसपेशियों को तो लचीला बनाती ही है साथ ही आपको पूर्णता और आनंद का अनुभव कराती है। यह शिव के नृत्य की मुद्रा है। शिव तत्व को अपने भीतर व चारों ओर महसूस करें।
सलंब भुजंगासनअपने कंधों के नीचे अपनी कोहनी के साथ अपने पेट के बल लेट जाएं, अपनी हथेलियों और फोरआर्म्स को दबाएं। अपने ऊपरी धड़ और सिर को ऊपर उठाते हुए अपनी पीठ के निचले हिस्से, नितंबों और जांघों को सहारा देने के लिए कस लें। अपनी आंखों को सीधे आगे रखें और सुनिश्चित करें कि आप अपनी रीढ़ को लंबा कर रहे हैं। इस मुद्रा में 2 मिनट तक रहें।
बीतिलीआसनअपनी पिंडलियों को ज़मीन पर रखें और बाकी शरीर को टेबल टॉप मुद्रा में रखें, यानि कि अपनी जांघों, धड़ और हाथों की सहायता से एक मेज़ का रूप धारण करें। अपने घुटने और कूल्हों को एक ही लाइन में रखें। अपनी कमर, कोहनियों तथा कंधों को भी एक लाइन में ज़मीन से सटा कर रखें। आपका धड़ ज़मीन के समानांतर हो। इस मुद्रा में रहते हुए सांस भरें और अपने पेट को ज़मीन की तरफ अंदर खींचें। अब अपने सिर को उपर की तरफ उठाएँ। इसी मुद्रा में थोड़ी देर तक रहें और फिर मार्जरिआसन में आ जाएँ।