पीलिया में बरती लापरवाही हो सकती हैं खतरनाक, जानें इस बीमारी में क्या खाएं और क्या नहीं

दैनिक जीवन में कई बीमारियां परेशान करती हैं जिसमें से एक हैं पीलिया जो नवजात शिशुओं में भी होने का डर बना रहता हैं। यह किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है। पीलिया या जॉन्डिस एक ऐसा रोग है, जो रक्त में बिलीरुबिन के बढ़ने से होता है। इससे पीड़ित की त्वचा और आंखें पीली पड़ जाती हैं, साथ ही शरीर में रक्त की कमी होने लगती है। इस बीमारी को होने और उसके बाद भी खानपान का उचित ध्यान रखना पड़ता हैं क्योंकि इसमें बरती गई लापरवाही घातक साबित हो सकती हैं। खानपान गलत होने पर जॉन्डिस लीवर को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है। इसलिए आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि पीलिया के दौरान आपको अपने आहार में किन चीजों को शामिल करना चाहिए और किनसे परहेज। तो आइये जानते हैं इसके बारे में...

इन चीजों का करें सेवन

नीम की पत्तियां

आयुर्वेद में नीम को औषधि माना जाता है। इसमें कई औषधीय गुण पाए जाते हैं, जो सेहत और सुंदरता के लिए फायदेमंद होते हैं। इसके सेवन से कई तरह की बीमारियां दूर हो जाती हैं। खासकर रक्त संबंधी बीमारियों में यह रामबाण साबित होता है। इसके लिए पीलिया के मरीज नीम की पत्तियों का सेवन कर सकते हैं। इसके अलावा, नीम की पत्तियों को पीसकर रस बनाकर सेवन कर सकते हैं।

नारियल पानी

जैसा कि हमने ऊपर बताया है कि लीवर से जुड़े रोग की वजह से पीलिया हो सकता है और गंभीर स्थिति में लीवर तक खराब हो सकता है। ऐसे में नारियल पानी आपकी मदद कर सकता है। एक वैज्ञानिक शोध के अनुसार, नारियल पानी से बना विनेगर सूजन को कम कर और एंटीऑक्टीडेंट प्रभाव को बढ़ाकर लीवर डैमेज के जोखिम को कम कर सकता है।

हरी सब्जियां

पीलिया के मरीजों के लिए आहार में हरी सब्जियां शामिल करना फायदेमंद होता है। इन सब्जियों में पत्ता गोभी, चुकंदर, गाजर, ब्रोकली, केल आदि का सेवन करना चाहिए। इनमे भरपूर मात्रा में पोषक तत्व मौजूद है जो आपको प्रोटीन प्रदान करते है साथ ही लिवर को स्वस्थ रखने में मदद करते है।

गन्ने का जूस

जॉन्डिस के लिए गन्ने का जूस लाभकारी माना जाता है। गन्ने का रस स्वस्थ पाचन को बढ़ावा देने के साथ-साथ लीवर की कार्यप्रणाली में मदद करता है। इसके लिए आप एक गिलास गन्ने के जूस में कुछ बूंदे नींबू के रस की मिलाकर पी सकते हैं। बेहतर परिणाम के लिए आप इस उपाय को रोजाना दो बार कर सकते हैं।

दही और छाछ

जैसा की आपको पता है पीलिया मरीजों के लिए दही और छाछ बहुत उपयोगी होते है। इनमे कई पोषक तत्व है जो लिवर के लिए फायदेमंद होता है। लिवर में जमे फैट को कम करने के लिए दिन में दो बार दही या छाछ का सेवन कर सकते है।

नींबू पानी

नींबू में विटामिन सी मौजूद होता है। इसलिए नींबू पानी पीलिया के रोगियों के लिए बहुत ज्यादा लाभदायक है। यह पीलिया का एक बहतु ही अच्छा घरेलू उपचार माना जाता है। इसके अलावा इसमें सूजन को कम करने के गुण भी मौजूद होते हैं, जो पित्त नली से ब्लाक या जाम को हटाने में मदद करते हैं। इसप्रकार नींबू पानी पीलिया को ठीक करने में मदद करता है।

इन चीजों से करें परहेज

केला

पीलिया के रोगियों को केला नहीं खाना चाहिए। केला में बहुत अधिक फाइबर मौजूद होते हैं, जो आपके पाचन क्रिया को बहुत ज्यादा प्रभावित करते हैं। इसके अलावा यह आपके शरीर में बिलीरुबिन के स्तर को भी बढ़ाते हैं, जिससे पीलिया की समस्या और बढ़ जाती है।

मीट

जॉन्डिस रोगियों को किसी भी प्रकार का मीट नहीं खाना चाहिए। मटन में बहुत अधिक मात्रा में संतृप्त वसा होती है, जो पीलिया के ठीक होने के समय को बढ़ाती है। जॉन्डिस पूरी तरह से ठीक होने के बाद आप मटन खा सकते हैं।

चाय और कॉफी

चाय और कॉफी में कैफीन पाया जाता है, जो सेहत के लिए नुकसानदेह होता है। खासकर पीलिया के मरीजों को भूलकर भी कॉफी सेवन नहीं करना चाहिए। इसमें पाया जाने वाला कैफ़ीन काफी खतरनाक साबित होता है।

जंक फूड्स

पीलिया के मरीजों को जंक फूड्स का सेवन करने से बचना चाहिए। इस प्रकार के भोजन में हाइजीन और पोषक तत्वों की कमी होती है, जो आपके स्वास्थ्य को बिगाड़ सकते हैं। इस बीमारी में लीवर में फैट बढ़ने लगता है। इसलिए, पीलिया के मरीज को हाई फैट युक्त भोजन से भी बचना चाहिए।

तला-भुना

तला-भुना और मिर्च मसालेदार भाेजन का असर लिवर पर पड़ता है। इसलिए पीलिया हाेने पर आपकाे पूरी तरह से तला-भुना भाेजन करना छाेड़ देना चाहिए। साथ ही खाने में अधिक मिर्च और मसाले से भी परहेज करें। जितना संभव हाे साधा भाेजन करने का प्रयास करें।

चीनी

रिफाइंड चीनी में बहुत अधिक मात्रा में फ्रुकटोज कॉर्न सिरप होता है, जो आपके लीवर में फैट जमा करता है। अधिकतर प्रोसेस्ड फूड में अधिक मात्रा में चीनी और वसा होती है, जो लीवर को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचाती है। पीलिया में सीमित मात्रा में कृतिम स्वीटनर खाएं, क्योंकि इसे अधिक खाने से लीवर को इसे पचाने में मुश्किल होती है।