जमीन पर बैठकर भोजन करने के ये 7 फायदे जान रह जाएंगे दंग!

प्राचीन समय से देखा जा रहा हैं कि घरों में नीचे बैठकर ही भोजन का सेवन किया जाता हैं। यहां तक कि किसी शादी-समारोह में भी नीचे बैठकर भोजन किया जाता था। हांलाकि आजकल कई लोगों को नीचे बैठकर भोजन करने में शर्म आती हैं और वे टेबल-चेयर या खड़े होकर भोजन करना पसंद करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जमीन पर बैठकर भोजन करने के पीछे साइंटिफिक कारण छुपा हैं जो आपको सेहतमंद बनाने का काम करता हैं। आज इस कड़ी में हम आपको उन्हीं फायदों के बारे में बताने जा रहे हैं जो जमीन पर बैठकर भोजन करने से मिलते हैं

पाचन क्रिया सही रहती है

जमीन पर हम सुखासन में या पालथी मारकर बैठते हैं, शरीर की यह स्थिति खाना पचाने में मदद करती है। जब हम खाने के लिए आगे प्लेट की ओर झुकते हैं और फिर वापस सीधे बैठते हैं, इस तरह बार-बार करने से पेट की मांसपेशियाँ अच्छे से काम करती हैं जिससे पेट में एसिड का स्राव बढ़ता है जो खाना पचाने में मदद करता है। साथ ही पेट की कई समस्याओं जैसे- एसिडिटी, गैस, सीने में जलन, कब्ज और अपच से छुटकारा मिलता है।

हाई ब्लड प्रेशर होगा कंट्रोल

हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों को जमीन पर बैठकर ही भोजन करना चाहिए। असल में, इस पोज में बैठने से रीढ़ की हड्डी के निचले भाग पर दबाव पड़ता है। इससे शरीर को आराम का अहसास होता है। सांस थोड़ी धीमी होने से मांसपेशियों का खिंचाव कम होने लगता है। ऐसे में हाई ब्लड प्रेशर कम होने में मदद मिलती है।

दिल को मिलेगी मजबूती

जमीन पर बैठने से शरीर का पोस्चर एकदम सही होता है। वहीं सही तरीके से बैठने से शरीर में खून का प्रवाह बेहतर तरीके से होता है। वहीं नाड़ियों में दबाव कम पड़ने से पाचन शक्ति दुरुस्त रहती है। इसके अलावा पाचन क्रिया सही तरीके से चलाने में दिल अहम भूमिका निभाता है। असल में, भोजन सही व जल्दी पचने से दिल को कम मेहनत करने की जरूरत पड़ती है। ऐसे में दिल स्वस्थ रहता है।


वजन नियंत्रण में रहता है

जब जमीन पर पालथी मारकर बैठते हैं तो हमारा दिमाग अपने आप शांत हो जाता है। जिससे जब हम भोजन करते हैं तो दिमाग भोजन पर केन्द्रित हो जाता है। इससे हमें पता चलता है कि हम क्या खा रहे हैं और क्या नहीं। डाइनिंग टेबल की जगह नीचे बैठकर खाने से खाने की गति भी धीमी हो जाती है। इससे पेट और दिमाग को पेट भरने का अहसास जल्दी हो जाता है जिससे जरूरत से ज्यादा खाने से भी बच जाते हैं।

शरीर का पोश्चर सही होता है

पालथी लगाकर बैठने से शरीर की स्थिति यानि पोश्चर में सुधार होता है। जब हम सुखासन में बैठते हैं तो रीढ़ की हड्डी और पीठ सीधी रहती है जिससे वहाँ की मांसपेशियों को मजबूती मिलती है और रक्त का संचार भी सही से होता है। कई लोग कंधे झुकाकर बैठते हैं जिसके कारण वे कंधों के दर्द और जकड़न से परेशान रहते हैं। इस आसन से पोश्चर में आई गड़बड़ी भी दूर होती है।

जोड़ों को लचीला बनाता है

सुखासन में बैठना जोड़ों को (खासकर कूल्हों, घुटनों और पंजों) को लचीला और वहाँ के आसपास की मसल्स को मजबूत बनाता है। बार बार नीचे उठने – बैठने से शरीर के जोड़ लचीले बने रहते हैं और गठिया या हड्डियों की कमजोरी जैसी समस्याएँ परेशान नहीं करतीं।


रक्त का संचार सही करता है

जब हम जमीन पर बैठकर खाते हैं तो रक्त का प्रवाह सही से होता है। नीचे बैठकर पालथी मारकर खाने से रक्त का प्रवाह पाचन के लिए जिम्मेदार अंगों तक होता है जिससे खाना आसानी से और जल्दी पचता है। इससे हमारे हार्ट को कम मेहनत करनी पड़ती है और वह स्वस्थ रहता है। जबकि डाइनिंग टेबल पर बैठकर खाने से ब्लड सर्कुलेशन पैरों की तरफ हो जाता है जिससे खाना पचाने में अधिक मेहनत करनी पड़ती है और समय भी अधिक लगता है।