रोजाना चिकन खाना सेहत के लिए सही है या नुकसानदायक, जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?

चिकन मांसाहारी लोगों की पहली पसंद होता है। इसका नाम सुनते ही कई लोगों के मुंह में पानी आ जाता है। लोग इसे अलग-अलग तरीकों से बनाकर बड़े चाव से खाते हैं। चिकन को हेल्दी फूड माना जाता है क्योंकि यह स्वादिष्ट होने के साथ ही प्रोटीन, विटामिन और मिनरल्स जैसे पोषक तत्वों से भरपूर होता है। कई लोग इसे सेहत के लिए फायदेमंद मानते हुए रोजाना चिकन खाने की आदत बना लेते हैं।

लेकिन क्या रोजाना चिकन खाना सेहत के लिए फायदेमंद है या नुकसानदायक? यह सवाल अक्सर उठता है। कुछ लोग हफ्ते में एक-दो बार चिकन खाते हैं, जबकि कुछ को इसकी इतनी आदत हो जाती है कि वे बिना चिकन के भोजन ही नहीं कर पाते। विशेषज्ञों के अनुसार, चिकन भले ही विटामिन, मिनरल्स और अमीनो एसिड से भरपूर होता है, लेकिन इसका अत्यधिक सेवन कुछ स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकता है। इनमें शामिल हैं:

हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या

चिकन का सेवन सही तरीके से किया जाए तो यह कोलेस्ट्रॉल स्तर को नहीं बढ़ाता। यह पूरी तरह इस बात पर निर्भर करता है कि आप इसे कैसे खाते हैं। यदि आप नियमित रूप से डीप-फ्राइड चिकन, चिकन नगेट्स, या हेवी क्रीम और बटर से बनी चिकन डिशेज़ खाते हैं, तो कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ने की संभावना अधिक होती है। डीप फ्राई करने से चिकन में अनहेल्दी ट्रांस फैट और सैचुरेटेड फैट की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे न केवल कोलेस्ट्रॉल बल्कि हृदय रोगों का खतरा भी बढ़ सकता है।

अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लिनिकल न्यूट्रिशन में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, सफेद मांस वाले चिकन का अधिक सेवन भी खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) के स्तर को उसी तरह बढ़ा सकता है जैसे लाल मांस करता है। इसके अलावा, यदि आप प्रोसेस्ड चिकन उत्पादों जैसे सॉसेज, सलामी, या पैक्ड चिकन खाते हैं, तो इनमें मौजूद सोडियम और प्रिजर्वेटिव्स भी आपके हृदय स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकते हैं। कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रण में रखने के लिए, ग्रिल्ड, उबला हुआ, बेक किया हुआ या स्टिर-फ्राइड चिकन खाना अधिक फायदेमंद होता है। साथ ही, चिकन का सेवन करते समय इसकी स्किन हटा देना भी अच्छा विकल्प हो सकता है क्योंकि चिकन की स्किन में फैट की मात्रा अधिक होती है। चिकन को हेल्दी बनाने के लिए इसे स्टीम्ड वेजिटेबल्स, ब्राउन राइस, या साबुत अनाज के साथ मिलाकर खाना बेहतर रहता है।

यदि आप हृदय रोगों या हाई कोलेस्ट्रॉल से पीड़ित हैं, तो चिकन का सेवन सीमित मात्रा में करें और इसे ऑलिव ऑयल, हर्ब्स और हल्के मसालों के साथ पकाकर खाएं। इसके अलावा, नियमित व्यायाम और संतुलित आहार के साथ चिकन को अपनी डाइट में शामिल करना आपके स्वास्थ्य के लिए अधिक लाभकारी साबित हो सकता है।

हाई हीट फूड

चिकन को एक हाई हीट फूड माना जाता है, जो शरीर के तापमान को बढ़ा सकता है। आसान शब्दों में, इसका अधिक सेवन शरीर में ‘गर्मी’ पैदा कर सकता है। खासतौर पर गर्मियों में, कुछ लोगों को चिकन खाने के बाद नाक बहने, सिरदर्द, एसिडिटी और त्वचा पर फोड़े-फुंसी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। यह उन लोगों के लिए अधिक दिक्कत पैदा कर सकता है जिनका शरीर पहले से ही गर्म प्रकृति का है या जिन्हें अक्सर पेट में जलन की शिकायत रहती है। चिकन में मौजूद प्रोटीन शरीर में थर्मोजेनिक प्रभाव डाल सकता है, जिससे पाचन के दौरान अधिक ऊर्जा खर्च होती है और शरीर का तापमान बढ़ जाता है। खासकर जब चिकन को ज्यादा मसालों और तेल के साथ पकाया जाता है, तो यह शरीर में और अधिक गर्मी उत्पन्न कर सकता है। इस वजह से कुछ लोगों को पसीना अधिक आने, शरीर में बेचैनी महसूस होने या डिहाइड्रेशन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। यदि आपको चिकन खाने के बाद बार-बार नाक से खून आने या अत्यधिक गर्मी महसूस होने जैसी समस्या होती है, तो रोजाना इसका सेवन करने से बचें। इसे संतुलित मात्रा में और कुछ दिनों के अंतराल पर खाएं। साथ ही, इसे ठंडी प्रकृति वाले खाद्य पदार्थों जैसे दही, खीरा, पुदीना या हरी सब्जियों के साथ मिलाकर खाने से इसकी गर्मी के प्रभाव को कम किया जा सकता है।

वजन बढ़ना

यदि आप रोज़ाना फ्राइड चिकन, चिकन बिरयानी, बटर चिकन जैसे हाई-कैलोरी डिशेज़ खाते हैं, तो यह वजन बढ़ने का कारण बन सकता है। डीप फ्राई या ज्यादा तेल-मसालों में बना चिकन खाने से शरीर में अनावश्यक फैट जमा होने लगता है, जिससे न केवल वजन बढ़ता है बल्कि कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर भी बढ़ सकता है। इससे मोटापा, हृदय संबंधी समस्याएं और हाई ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा, अधिक मात्रा में चिकन खाने से शरीर में कैलोरी सरप्लस हो जाता है, जिससे फैट बर्निंग प्रोसेस धीमा पड़ सकता है। यदि आप शारीरिक रूप से सक्रिय नहीं हैं और संतुलित डाइट नहीं ले रहे हैं, तो चिकन का अधिक सेवन पेट और कमर के आसपास चर्बी बढ़ा सकता है। साथ ही, ज्यादा चिकन खाने से भूख नियंत्रित करने वाले हार्मोन पर भी असर पड़ता है, जिससे आपको बार-बार खाने की इच्छा हो सकती है। यदि आप चिकन को अपनी डाइट में शामिल करना चाहते हैं तो इसे उबले, ग्रिल्ड, रोस्टेड या स्टीम्ड फॉर्म में खाना सबसे अच्छा विकल्प हो सकता है। साथ ही, इसे हरी सब्जियों और फाइबर युक्त आहार के साथ संतुलित मात्रा में लेना चाहिए ताकि वजन बढ़ने की समस्या से बचा जा सके।

यूटीआई का खतरा

कुछ प्रकार के चिकन का सेवन मूत्र मार्ग संक्रमण (UTI) के खतरे को बढ़ा सकता है, खासकर अगर चिकन ठीक से साफ या पकाया न गया हो। अमेरिकन सोसाइटी फॉर माइक्रोबायोलॉजी के जर्नल mBio में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, Escherichia coli (E. coli) के कुछ विशेष प्रकार चिकन के माध्यम से इंसानों में फैल सकते हैं, जिससे यूटीआई जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। Science Daily की रिपोर्ट के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने 2,452 मांस के नमूनों की जांच की, जिनमें से लगभग 80% में E. coli पाया गया, जबकि मांस खाने वाले मरीजों के 72% यूरिन और ब्लड सैंपल्स में भी यह बैक्टीरिया मौजूद था। खराब स्वच्छता, अपर्याप्त रूप से पकाया गया मांस और दूषित पानी से बना चिकन यूटीआई संक्रमण के खतरे को बढ़ा सकता है। इसके अलावा, यदि चिकन को ठीक से स्टोर नहीं किया जाता है, तो उसमें हानिकारक बैक्टीरिया तेजी से पनप सकते हैं, जो न केवल मूत्र संक्रमण बल्कि पेट से जुड़ी बीमारियों का भी कारण बन सकते हैं। संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए हमेशा अच्छी गुणवत्ता वाले और एंटीबायोटिक-फ्री चिकन का सेवन करें। चिकन को सही तापमान पर पकाना (कम से कम 75°C) और क्रॉस-कंटैमिनेशन से बचाव के लिए कच्चे मांस को अन्य खाद्य पदार्थों से अलग रखना बेहद जरूरी है। साफ-सफाई का ध्यान रखते हुए और उचित तरीके से चिकन पकाने से यूटीआई और अन्य बैक्टीरियल संक्रमणों से बचा जा सकता है।

यूरिक एसिड का बढ़ना

चिकन प्रोटीन का एक अच्छा स्रोत है, लेकिन इसका अत्यधिक सेवन यूरिक एसिड के स्तर को बढ़ा सकता है, खासतौर पर उन लोगों में जो गाउट या गठिया से पीड़ित हैं। चिकन में मौजूद प्यूरीन जब शरीर में टूटता है, तो यूरिक एसिड का निर्माण होता है, जो अधिक मात्रा में जमा होकर जोड़ों में क्रिस्टल बना सकता है। इससे जोड़ों में दर्द, सूजन और चलने-फिरने में तकलीफ जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए चिकन का संतुलित सेवन जरूरी है। हफ्ते में 2-3 बार ही इसका सेवन करना बेहतर होता है, खासकर ग्रिल्ड, बेक्ड या सूप के रूप में इसे खाना अधिक फायदेमंद हो सकता है। साथ ही, शरीर में यूरिक एसिड का स्तर नियंत्रित रखने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए और हरी सब्जियों तथा फाइबर युक्त आहार को शामिल करना चाहिए। शराब और प्रोसेस्ड फूड से बचना भी जरूरी है, क्योंकि ये यूरिक एसिड के स्तर को बढ़ा सकते हैं। रोजाना चिकन खाने से यूरिक एसिड असंतुलन हो सकता है, जिससे गठिया और जोड़ों की समस्याएं बढ़ सकती हैं, इसलिए इसे संतुलित मात्रा में ही सेवन करना फायदेमंद रहेगा।

क्या रोजाना चिकन खाना सही है? (संतुलित सेवन कैसे करें)

चिकन के स्वास्थ्य लाभों को पाने और नुकसान से बचने के लिए संतुलित मात्रा में इसका सेवन करना जरूरी है।

- हफ्ते में 2-3 बार चिकन खाएं, रोजाना नहीं।
- डीप-फ्राइड, मसालेदार और प्रोसेस्ड चिकन से बचें।
- ग्रिल्ड, बेक्ड, स्टीम्ड या हल्का स्टिर-फ्राई किया हुआ चिकन ज्यादा हेल्दी होता है।
- ज्यादा पानी पिएं और चिकन खाने के साथ हरी सब्जियां और फाइबर युक्त भोजन लें।
- एंटीबायोटिक्स-फ्री और ऑर्गेनिक चिकन को प्राथमिकता दें।