क्या वाकई उल्टे जन्मे व्यक्ति की लात से ठीक होती है कमर की चिक (Slip Disc)? जानें साइंस क्या कहता है

भारत में सदियों से चली आ रही कुछ अजीबोगरीब और अनोखी मान्यताओं में से एक बेहद दिलचस्प और आज भी चर्चा में बनी हुई है — “अगर कमर की हड्डी यानी चिक (Slip Disc) चटक जाए या असहनीय दर्द हो तो उल्टे पैदा हुए व्यक्ति की लात मारने से वह ठीक हो जाती है।” यह सुनने में भले ही हास्यास्पद लगे, लेकिन भारत के कई ग्रामीण इलाकों में लोग आज भी इस मान्यता को पूरी गंभीरता से मानते हैं। कुछ तो इसे कारगर भी बताते हैं और दावा करते हैं कि इससे दर्द में राहत मिलती है। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या इस मान्यता के पीछे कोई वैज्ञानिक आधार है या यह केवल एक सदियों पुराना मिथक है? आइए जानते हैं इस पर आधारित तथ्य और सच्चाई:

1. उल्टे पैदा होने का मतलब क्या है?


'उल्टे पैदा होना' यानी ब्रीच डिलीवरी (Breech Delivery) — जिसमें बच्चा सामान्य तरीके से सिर के बल नहीं बल्कि पैरों के बल जन्म लेता है। यह एक मेडिकल स्थिति है, न कि कोई अद्भुत शक्ति या खास ताकत की निशानी। इस अवस्था का किसी व्यक्ति की शारीरिक ताकत या किसी चमत्कार से कोई लेना-देना नहीं होता।

2. कमर की चिक क्या होती है?

कमर की चिक खिसकने की स्थिति को मेडिकल भाषा में स्लिप डिस्क या हर्निएटेड डिस्क (Herniated Disc) कहा जाता है। इसमें रीढ़ की हड्डियों के बीच की कुशन जैसी डिस्क अपनी जगह से खिसक जाती है, जिससे कमर या पैरों में तेज़ दर्द और अकड़न हो सकती है।

3. उल्टे पैदा हुए इंसान की लात से जुड़ी मान्यता क्या है?

विशेषज्ञों के अनुसार, पुराने ज़माने में जब MRI, एक्स-रे या फिजियोथेरेपी जैसी सुविधाएं नहीं थीं, तब लोग घरेलू उपायों पर भरोसा करते थे। किसी के लात मारने से डिस्क में हल्का झटका लगकर वह अपनी जगह पर आ भी सकती थी। लेकिन इस घरेलू उपाय को उल्टे जन्म की शक्ति से जोड़ दिया गया और धीरे-धीरे यह एक पौराणिक देसी इलाज के रूप में फैल गया।

4. विज्ञान क्या कहता है?

विज्ञान स्पष्ट रूप से कहता है कि किसी की लात या झटके से स्लिप डिस्क का इलाज संभव नहीं है। उल्टा इससे नसों, रीढ़ की हड्डी या पीठ को और गंभीर चोट पहुंच सकती है। यह तरीका न केवल अवैज्ञानिक है बल्कि खतरनाक भी हो सकता है।

5. इलाज क्या है?


स्लिप डिस्क के इलाज के लिए डॉक्टर की सलाह जरूरी होती है। आमतौर पर इसका उपचार फिजियोथेरेपी, हल्की एक्सरसाइज, दर्द निवारक दवाएं और ज़रूरत पड़ने पर सर्जरी के ज़रिए किया जाता है। इन तरीकों से मरीज को राहत मिलती है और उसकी हालत में सुधार होता है।

डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है। किसी भी सुझाव को अपनाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लेना जरूरी है।