कोरोना ने किया जीना मुहाल... करेंगे इन व्यवस्थाओं का पालन तो निपटना हो जाएगा आसान

चूंकि अब कोरोना के मरीज़ तेज़ी से बढ़ रहे हैं, रोगियों की डबलिंग रेट काफ़ी तेज़ हो गई है तो हमें कोरोना को लेकर और सतर्क होने की आवश्यकता है। पॉज़िटिव रोगी अब गांवों में भी निकल रहे हैं। ग्रीन ज़ोन कुछ ही दिनों में ऑरेंज में बदल गए हैं। अब हमें यह स्वीकार करना चाहिए कि हम एक ग़रीब और अल्प साधन युक्त देश हैं। हमें कोरोना उपचार का तरीक़ा बदलना चाहिए। हम अमीर देशों की तरह इससे नहीं निपट सकते। हमें अपनी स्थिति देखते हुए उचित कदम उठाना ही चाहिए।


पहली स्ट्रैटजी

जिन कोरोना पॉज़िटिव रोगियों में कोई लक्षण नहीं हैं और उनकी आयु 50 से कम है उन्हें घर पर रहकर ही उपचार देना चाहिए। यह सुनिश्चित हो कि उनके घर में एक अलग कमरा हो, जहां वे ख़ुद को आइसोलेशन में रख सकें और बाहर ना निकलें। ऐसा करके हम अस्पतालों पर 60 से 70 प्रतिशत भार कम कर देंगे।

दूसरी स्ट्रैटजी

जिन रोगियों को हल्के लक्षण हों, लेकिन आयु 40 के अंदर हो उन्हें भी घर पर ही रहने दिया जाए। लेकिन यदि कोई इमरजेंसी हो तो उन्हें तुरंत एम्बुलेंस सुविधा उपलब्ध हो यह सुनिश्चित किया जाए।


तीसरी स्ट्रैटजी

जिन पॉज़िटिव रोगियों की आयु 50 से ज़्यादा हो और लक्षण मामूली हो उन्हें एक सामान्य से अस्पताल में ठीक होने तक भर्ती रखा जाए। अस्पतालों को दो भागों में बांटा जाए-सामान्य और विशेष।

चौथी स्ट्रैटजी

जिन पॉज़िटिव रोगियों को पहले से कोई जटिल रोग हो जैसे टीबी, अस्थमा, मधुमेह, हृदय रोग, कैंसर या जिनकी आयु 60 से अधिक हो उन्हें सुपरस्पेशलिटी कोविड सेंटर (विशेष अस्पताल) में रखा जाए, जहां वेंटिलेटर भी हो।


पांचवीं स्ट्रैटजी

रोगियों को भर्ती रखने का समय भी कम किया जाए (जैसा कि निर्णय लिया गया है सरकार द्वारा कि अब थ्री टियर डिस्चार्ज प्लान फ़ॉलो किया जाएगा)।

छठी स्ट्रैटजी

सामूहिक क्वारंटाइन की जगह होम क्वारंटाइन को प्राथमिकता देना चाहिए, जिससे सरकार पर ख़र्च कम आए और लोगों में डर भी कम हो। घर पर वे सकारात्मक भी रहेंगे और पोषक आहार भी ले पाएंगे। लोगों का भय भी दूर होगा क्योंकि अधिकांश ग़रीब और अनपढ़ लोग इस प्रक्रिया से भयभीत हैं।


सातवीं स्ट्रैटजी

कोरोना को कलंक ना मानें लोग ऐसे अभियान चलाए जाने चाहिए। इसके लिए फ़िल्मी और खेल जगत की सेलेब्रिटीज़ की मदद लेना चाहिए।

आठवीं स्ट्रैटजी

देश एक होकर लड़े इस महामारी से ऐसे अभियान भी चलाएं। देश में साम्प्रदायिकता कम करने के विशेष उपाय हो ताकि इस महामारी को आसानी से हराया जा सके।

नौवीं स्ट्रैटजी

राज्य और केंद्र सरकार यह कह चुकी हैं कि लोगों को कोरोना के साथ ही जीना सीखना होगा तो आखि़र हम कबसे उन्हें इसकी ट्रेनिंग देना शुरू करेंगे? शायद आज से ही उन्हें इसकी शिक्षा देना शुरू कर देना चाहिए।