बेसिक की तरफ़ लौटने के इस युग में आयुर्वेद एक बेसिक है, जिस ओर लोग तेज़ी से लौट रहे हैं। संतुलित और पौष्टिक आहार, मालिश, प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल और हल्का-फुल्का योगासन इन सभी को साथ मिला दें तो आयुर्वेद का एक क्लासिक पैकेज पूरा हो जाता है।
1. आयुर्वेद आपको ऊर्जावान बनाए रखता है
क्या आप दिनभर के
काम के बाद शाम को एनर्जी लेस महसूस करने लगते हैं? या सुबह उठने के बाद
उतना फ्रेश महसूस नहीं करते, जितना करना चाहिए? इस चक्कर में आपकी योगा
क्लास और जिम मिस हो जाता है। कई लोग सुबह की सुस्ती भगाने के लिए चाय,
कॉफ़ी या स्टेरॉइड को समाधान समझते हैं, पर ऐसा है नहीं। आपके शरीर को सही
मायने में ऊर्जावान बनाने का काम करती हैं आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां।
अश्वगंधा, ब्राह्मी और तुलसी जैसी जड़ी-बूटियां, शारीरिक और मानसिक तनाव को
कम करने के लिए जानी जाती हैं। सुबह इन जड़ी-बूटियों के गर्म काढ़े से दिन
की शुरुआत करें। पूरे दिन शरीर ऊर्जावान बना रहेगा।
2. आयुर्वेद स्टैमिना बढ़ाता है
स्टैमिना
का अर्थ है हमारी काम करने की क्षमता। जब हम काम करते हैं तब हमारा
स्टैमिना धीरे-धीरे कम होता है। पर स्टैमिना का संबंध महज़ शारीरिक गतिविधि
से नहीं होता। तनावग्रस्त दिमाग़ स्टैमिना की कमी महसूस करता है। ऐसे में
अश्वगंधा, ब्राह्मी और शतावरी जैसी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां स्टैमिना
बढ़ाने के काम आती हैं। इनके सेवन से मांसपेशियों में ऑक्सीजन की सप्लाई
बढ़ती है, जिसके चलते आपको थकान महसूस नहीं होती। अपने रोज़ाना के खानपान
में धनिया के बीज, दालचीनी, जीरा और बादाम जैसे ड्रायफ़ूट्स शामिल करें।
इनका सही अनुपात में सेवन स्टैमिना बढ़ाने का कारगर तरीक़ा साबित हो सकता
है।
3. आयुर्वेद से बढ़ता है मेटाबॉलिज़्म
यदि आपका
मेटाबॉलिज़्म बेहतरीन है तब आप बिना अधिक प्रयास के भी फ़िट बने रह सकते
हैं। यदि आपको फ़िट रहने के लिए बहुत ज़्यादा व्यायाम करना पड़ता है और
खानपान पर अतिनियंत्रण रखना पड़ता है, तब आपको वज़न कम करने और नियंत्रित
रखने के लिए आयुर्वेद की मदद लेनी चाहिए। कई जड़ी-बूटियां है, जो
मेटाबॉलिज़्म को बढ़ाने का काम करती हैं। जैसे गुडूची हमारी आंतों के
स्वास्थ्य के लिए काफ़ी फ़ायदेमंद है।
यह शरीर में वसा के जमाव को भी कम
करने में सहायक है। वहीं दालचीनी जैसे मसाले शरीर में फ़ैट सेल्स को बनने
से रोकते हैं। हल्दी में मौजूद करक्यूमिन फ़ैट बर्न में सहायक है। यदि आपका
मेटाबॉलिज़्म काफ़ी कम है तो खानपान में जीरा, काली मिर्च शामिल करें।
जल्द ही इन आयुर्वेदिक नुस्ख़ों के परिणाम दिखने लगेंगे।
4. आयुर्वेद शरीर की कोशिकाओं को रिपेयर करता है
प्राचीन
आयुर्वेदाचार्यों ने बलार्ध की अवधारणा के बारे में बताया था। इसका अर्थ
होता है शरीर कड़े से कड़े परिश्रम का बाद भी अपने शरीर की केवल 50% शक्ति
का इस्तेमाल करता है। बाक़ी वह बचा लेता है, ताकि शरीर की कोशिकाओं की
मरम्मत में मदद मिले। आधुनिक फ़िटनेस विशेषज्ञ भी ज़ोरदार व्यायाम सत्रों
के बीच 24 घंटे के आराम की सलाह देते हैं, ताकि शरीर पूरी तरह से ठीक हो
सके। तिल के तेल के साथ मालिश करने से जोड़ों, मांसपेशियों और कॉम्पलेक्स
टिशूज़ को रिपेयर होने में मदद मिलती है।
दर्द और दर्द से राहत के
लिए एक पारंपरिक प्रक्रिया है हल्दी और अदरक जैसी जड़ी-बूटियां। ये सूजन को
कम करने में मदद करती हैं, जबकि अश्वगंधा मांसपेशियों को मज़बूत बनाने और
पोषण करने में जादुई है। प्रोटीन से भरपूर फलियों को शामिल करने से आपकी
मांसपेशियां मजबूत होती हैं। बादाम, खजूर, केसर और घी आपको पर्याप्त रूप से
फिर से जीवंत करते हैं और कठिन और कठोर ववर्कआउट सत्रों से तेज़ी से उबरने
में मदद कर सकते हैं। आयुर्वेद मांसपेशियों के साथ-साथ हड्डियों के
स्वास्थ्य के लिए बेहद फ़ायदेमंद है।
हडजोड, सलाई गुग्गुल,
अश्वगंधा और बाला जैसी जड़ी-बूटियां हड्डियों की कोशिका के होमियोस्टेसिस
को बहाल करने तथा हड्डी के खनिज घनत्व में सुधार और सूजन को कम करने के लिए
चिकित्सकीय रूप से प्रमाणित हैं। दशमूल (10 जड़ी-बूटियों की जड़ें) तेल भी
जोड़ों के लिए रामबाण का काम करता है। जोड़ों के मूवमेंट में इससे काफ़ी
आराम मिलता है।
5. अच्छी नींद की भी गारंटी देता है आयुर्वेदअच्छी
नींद हमेशा तन-मन के लिए महत्वपूर्ण है। जब आपका शरीर ख़ुद को ठीक करने और
उसकी मरम्मत करने में सक्षम हो, तो आपकी फ़िटनेस व्यवस्था को अच्छी नींद
के साथ संतुलित करना चाहिए, ताकि आप अगले दिन एक बार फिर से मैट हिट करने
के लिए दौड़ें। ब्राह्मी, शंखपुष्पी, सर्पगंधा, वचा और अश्वगंधा ऐसी आवश्यक
जड़ी-बूटियां हैं, जो आपके नर्वस सिस्टम को आराम देती हैं, मानसिक थकान से
राहत दिलाती हैं और आपके दिमाग़ पर शांत प्रभाव डालती हैं। इस प्रकार
आयुर्वेद हमारी ओवरऑल हेल्थ के लिए बेहद ज़रूरी और उपयोगी है।