वर्तमान समय में देखा जा रहा हैं कि लाखों लोगों की जान ब्रेन स्ट्रोक (Brain Stroke) की वजह से जा रही हैं। इस समस्या में मस्तिष्क में वेसेल्स के फटने से ब्लड लीकेज एवं क्लॉटिंग होने लगती हैं जिससे ऑक्सीजन का सर्कुलेशन नहीं हो पाता हैं और सांस थमने लगती हैं। ब्रेन स्ट्रोक जानलेवा होने के साथ ही कई अन्य शारीरिक और मानसिक परेशानियां भी लेकर आता हैं। देखा जा रहा हैं कि यह उम्र के किसी भी पड़ाव में हो सकती हैं। आज इस कड़ी में हम आपको इसके पनपने के कुछ कारणों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हें जान आपको सतर्क रहते हुए खुद को सुरक्षित रखने की जरूरत हैं। तो आइये जानते हैं इनके बारे में...
डायबिटीज के कारण
ब्लड शुगर लेवल बढ़ने से धमनियों में फैट जमा हो जाती है और स्ट्रोक का खतरा बढ़ता है। इसी कारण से डायबिटीज के मरीजों में स्ट्रोक खतरा ज्यादा रहता है। दरअसल, लंबे समय तक ब्लड शुगर लेवल ज्यादा रहने से ब्लड वेसेल्स को नुकसान होता है और स्ट्रोक खतरा बढ़ जाता है।
स्मोकिंग
सिगरेट पीने से खून में कार्बन मोनोऑक्साइड और निकोटिन का लेवल बढ़ता है। इससे हाइपरटेंशन बढ़ता है और इससे हार्ट रेट बढ़ता है, जिससे दिल की सेहत पर असर पड़ता है। इसके अलावा कार्बन मोनोऑक्साइड रेड ब्लड सेल्स में ऑक्सीजम ले जाने की क्षमता को घटाता है और इससे स्ट्रोक बढ़ता है।
मोटापे से
मोटापे से पीड़ित लोगों में इस्केमिक स्ट्रोक का खतरा ज्यादा रहता है। इसमें ब्रेन में ऑक्सीजन सप्लाई प्रभावित हो जाती है। इसके अलावा मोटे लोगों में बैड कोलेस्ट्रॉल और लिपिड की मात्रा भी ज्यादा होती है जिससे आर्टरी में प्लॉक जमा हो सकती है। इसकी वजह से ऑक्सीजन का सर्कुलेशन प्रभावित हो सकता है और ऑक्सीजन की कमी होने पर स्ट्रोक हो सकता है।
हाइपरटेंशन
हाइपरटेंशन के कारण ज्यादातर लोगों को ब्रेन स्ट्रोक होता है। दरअसल, हाइपरटेंशन के कारण धमनियों की दीवारों को अतिरिक्स दवाब पड़ता है, इससे ये दीवारें कमजोर हो जाती हैं और सकड़ी हो जाती हैं जिससे ब्लड प्रेशर और ब्लड क्लोटिंग की समस्या बढ़ जाती है। इससे एक्ट्रा प्रेशर के कारण कमजोर धमनियां फट जाती हैं और स्ट्रोक हो जाता है।
दिल की बीमारियां
25 प्रतिशत लोगों में दिल की बीमारियों के कारण ब्रेम स्ट्रोक होता है। आर्टिरिल फिबलिरेयशन और इररेगुलर कार्डिक रिदम दिल के वॉल्व को नुकसान पहुंचाता है। इसके कारण एथेरोस्क्लेरोसिस होता है जिसमें कि खून की नलियों में प्लॉक जम जाता है और स्ट्ऱोक का खतरा बढ़ जाता है।
वंशानुगत कारणों से
कुछ लोगों की फैमिली मेडिकल हिस्ट्री में स्ट्रोक अगर वंशानुगत चला आ रहा हो तो इससे परिवार के अन्य लोगों में भी इसका खतरा बढ़ता है। ये कुछ बीमारियों के कारण हो सकता है। जैसे कि सिकल सेल डिजीज जो कि स्ट्रोक का खतरा ज्यादा बढ़ाती है। इसके अलावा हाइपरकोलेस्ट्रोमिया और मोटापे से पीड़ित लोगों में भी इसका खतरा ज्यादा होता है।
एक्सरसाइज की कमी से
जब आप एक्टिव नहीं होते हैं और एक्सरसाइज नहीं करते हैं तो आपका ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर लेवल प्रभावित होता है। इससे ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है और ब्लड वेसेल्स अस्वस्थ होने लगते हैं जिससे कि स्ट्रोक का खतरा बढ़ता है।
ज्यादा शराब पीने से
ज्यादा शराब पीने से ब्रेन में ब्लड क्लॉटिंग का खतरा बढ़ता है। ऐसे लोगों में कम उम्र में ही स्ट्रोक का खतरा ज्यादा होता है। ये ब्लड प्रेशर बढ़ाता है और आर्टियल फ्रेबिलेशन का भी कारण बन सकता है जो कि ब्रेन स्ट्रोक का आसानी से कारण बनता है।