आज से नहीं बल्कि बिंदी लगाने प्रथा बहुत पहले से ही चली आ रही है। बिंदी शब्द का प्रयोग संस्कृत भाषा से लिया गया है। यह एक छोटा सा गोल चिन्ह होता है जो हर स्त्री या महिला अपने माथे पर लगाती है।
इसके बिना औरत का श्रृगांर अधुरा माना जाता है। हम चाहे कितन भी महंगा आभूषण पहन ले लेकिन बिंदी के हमारा आकर्षण अधुरा ही रह जाता है। बिंदिया भी कई तरह से लगाई जताई है जो कई प्रकार की होती है।
आइये जानते है इन बिंदियो के प्रकार......
1. तिलक बिंदी
इसे हम कुमकुम से लगते है, लेकिन इसमें कुमकुम को गिला कर के लगाना होता है। कुमकुम के द्वारा यह बिंदी माथे पर लम्बी लगाई जाती है।
2. स्टीकर बिंदी
इस बिंदी मे गोंद लगा होता है जिसे लगाने के लिए स्टीकर को हटाकर माथे पर लगाया जाता है।
3.सुखी बिंदी
यह बिंदी भी कुमकुम के द्वारा लगाई जाती है जिसे सुखा ही माथे पर लगाया जाता है।
4. गीली बिंदी
इसमें लिक्विड की मात्रा होती है जिसे भी माथे पर लगाया जाता है।