Womens Day Special : यह हैं भारत की 5 सबसे खूबसूरत महिला खिलाडी

भारत में बॉलीवुड अभिनेत्रियों को सुंदरता की मिसाल माना जाता है लेकिन खेल जगत की दुनिया में भी कुछ ऐसी महिला खिलाड़ी हैं, जो अपनी सुंदरता व शरीर की फिटनेस के मामले में इन अभिनेत्रियों को टक्कर देती है। ये है भारत की 5 महिला खिलाड़ी, जिनका खेल तो शानदार है ही, साथ ही उनकी सुंदरता भी बेमिसाल है।

सानिया मिर्ज़ा

सानिया मिर्ज़ा भारत की एक टेनिस खिलाड़ी हैं। सानिया का जन्म 15 नवम्बर 1986 को मुंबई में हुआ। उनकी प्रारंभिक शिक्षा हैदराबाद के एन ए एस आर स्कूल में हुई, तत्पश्चात उन्होंने हैदराबाद के ही सेंट मैरी कॉलेज से स्नातक किया। उन्हें 11 दिसम्बर 2008 को चेन्नई में एम जी आर शैक्षिक और अनुसंधान संस्थान विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्राप्त हुई।

2003 से 2013 में लगातार एक दशक तक उन्होने महिला टेनिस संघ (डब्ल्यू टी ए) के एकल और डबल में शीर्ष भारतीय टेनिस खिलाड़ी के रूप में अपना स्थान बनाए रखने में सफल रही और उसके बाद एकल प्रतियोगिता से उनकी सेवानिवृत्ति के बाद शीर्ष स्थान पर अंकिता रैना विराजमान हुई। मात्र 18 वर्ष की आयु में वैश्विक स्तर पर चर्चित होने वाली इस खिलाड़ी को 2006 में 'पद्मश्री' सम्मान प्रदान किया गया। वे यह सम्मान पाने वाली सबसे कम उम्र की खिलाड़ी है। उन्हें 2006 में अमेरिका में विश्व की टेनिस की दिग्गज हस्तियों के बीच डब्लूटीए का 'मोस्ट इम्प्रेसिव न्यू कमर एवार्ड' प्रदान किया गया था। अपने कॅरियर की शुरुआत उन्होंने 1999 में विश्व जूनियर टेनिस चैम्पियनशिप में हिस्सा लेकर किया। इसके बाद उन्होंने कई अंतररार्ष्ट्रीय मैचों में हिस्सा लिया और सफलता भी पाई। 2003 उनके जीवन का सबसे रोचक मोड़ बना जब भारत की तरफ से वाइल्ड कार्ड एंट्री करने के बाद सानिया मिर्ज़ा ने विम्बलडन में डबल्स के दौरान जीत हासिल की। वर्ष 2004 में बेहतर प्रदर्शन के लिए उन्हें 2005 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

व्यक्तिगत जीवन में सानिया का विवादों से गहरा नाता रहा है। मुस्लिम परिवार से होने के कारण वर्ष 2005 में एक मुस्लिम समुदाय ने उनके खेलने के विरुद्ध फ़तवा तक जारी कर दिया था। उसके आरोपों-प्रत्यारोपों का सिलसिला चला और आखिरकार 'जमात-ए-इस्लामी हिन्द' नामक संगठन ने कहा कि उन्हें उनके खेलने से परहेज नहीं है, बल्कि वे चाहते हैं कि वे खेलते समय ड्रेस कोड का ध्यान रखें।

वर्ष 2009 में सानिया की सगाई उनके बचपन के दोस्त सोहराब मिर्जा से हुई, लेकिन सगाई शीघ्र ही टूट गई और वे पाकिस्तानी क्रिकेटर शोएब मलिक के साथ दिखने लगी। सानिया ने एक बयान में कहा, कि 'हम कई सालों से दोस्त हैं लेकिन मंगेतर की हैसियत से हम दोनों के बीच बात नहीं बनी। मैं सोहराब को उसकी ज़िंदगी के लिए शुभकामनाएं देती हूं।' कुछ माह पश्चात अर्थात 12 अप्रैल 2010 को उन्होने शोएब मलिक के साथ निकाह रचाया।

तानिया सचदेवा

तानिया सचदेवा एक भारतीय शतरंज खिलाड़ी है, जिन्होंने इंटरनेशनल मास्टर (आईएम) और महिला ग्रैंडमास्टर (डब्लूजीएम) के FIDE का खिताब जीता हुआ है। तानिया का जन्म २० अगस्त 1986 को दिल्ली में हुआ था। वह एक शतरंज प्रस्तोता और विवरणकार है। तानिया सचदेवा ने ६ साल की उम्र में ही अपनी माँ अंजू से शतरंज का खेल सीखना श्हुरु कर दिया था। उनके माता-पिता ने उन्हें व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान किया। और वह आठ साल की थी जब उन्होंने अपना पहला अंतरराष्ट्रीय खिताब हासिल किया। वह के.सी. जोशी द्वारा प्रशिक्षित की गई थी और अपने शुरुआती वर्षों के दौरान उन्होंने एक बच्चे के रूप में कई कार्यक्रम जीते। 2002 में, उन्होंने मारवाला में एशियाई जूनियर गर्ल्स चैम्पियनशिप जीती। उन्होने दिल्ली के वसंत विहार के मॉडर्न स्कूल से स्कूली शिक्षा प्राप्त की और श्री वेंकटेश्वर कॉलेज से स्नातक किया।

2004 में वह महिला ग्रैंडमास्टर खिताब से सम्मानित होने वाली आठवें भारतीय खिलाड़ी बनी। उन्होंने 2006 और 2007 में भारत की राष्ट्रीय महिला प्रीमियर चैंपियनशिप जीती। 2007 में उन्होंने तेहरान में नौ राउंड में 6 अंक के साथ महिला एशियाई शतरंज चैम्पियनशिप जीती। और उन्हें २००९ में प्रतिष्ठित अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। 2016 में, तानिया ने रिक्जेविक ओपन में सर्वश्रेष्ठ महिला का पुरस्कार जीता और कातालु में राष्ट्रमंडल महिला चैंपियन का खिताब जीता। उन्होंने 2008 में महिलाओं के शतरंज ओलंपियाड में भारतीय राष्ट्रीय टीम के लिए, 2009 और 2011 में महिलाओं की विश्व टीम शतरंज चैम्पियनशिप, 2003 के एशियाई महिला शतरंज चैंपियनशिप, 2006 के एशियाई खेलों में और 2009 के एशियाई इंडोर खेलों के लिए खेल खेले है। उन्होंने इस्तंबुल में 2012 में महिला शतरंज ओलंपियाड में बोर्ड-3 के लिए व्यक्तिगत कांस्य पदक जीता, 2008, 2009, 2012०र 2014 में चार टीम रजत पदक और महिलाओं की एशियाई टीम चैम्पियनशिप में चार पदक जिनमे तीन रजत और एक कांस्य पदक था हासिल किए। तानिया ने शतरंज के लिए एक फ्रित्त्ट्र्रेनर स्ट्रेट्जी डीवीडी पेश की है और वह 2013 में चेन्नई में मैग्नस कार्लसन और विश्वनाथन आनंद के बीच हुई विश्व चैम्पियनशिप मैच के लिए आधिकारिक कमेंटरी टीम का सदस्य भी रह चुकी है।

दीपिका पल्लीकल

दीपिका पल्लीकल एक भारतीय महिला स्क्वैश खिलाड़ी हैं। दीपिका का जन्म 21 सितंबर 1991 को चेन्नई में हुआ। उनका पूरा नाम दीपिका रेबेका पल्लीकल है। उनके पिता संजीव पल्लीकल एक उद्योगपति हैं और उनकी मां सुसान पल्लीकल एक क्रिकेट खिलाड़ी रही हैं, अभी वे एक ट्रेवल एंजेसी का संचालन करती हैं। दीपिका ने नौंवी तक की पढ़ाई गुड शैफर्ड स्कूल से की है। इसके बाद में लेडी एंडेल स्कूल चली गईं क्योंकि वहां खेल के लिए पर्याप्त सुविधाएं मौजूद थीं। उन्होंने चेन्नई के इतिराज कॉलेज से अपनी आगे की पढ़ाई पूरी की। दीपिका जब 6वीं कक्षा में थीं तब उन्होंने अपना पहला अंतराष्ट्रीय मैच लंदन में खेला। बचपन से ही उन्हें इस खेल के प्रति गहरी रुचि थी और महज 11 साल की उम्र में वे नेशनल चैम्पियन बन चुकी थीं। इस खेल के प्रति उनकी गजब की ललक ने उन्हें कई टूर्नामेंट का सरताज बनाया। वे कई अंतरराष्ट्रीय खिताब हासिल कर चुकी हैं।

अंडर 19 की कैटेगरी में उन्हें नंबर वन महिला स्क्वैश खिलाड़ी का दर्जा दिया गया था। अभी वे विश्व रैंकिंग में 10वें स्थान पर हैं, जो उनकी अब तक की सर्वश्रेष्ठ रैं‍किंग है। वे डब्ल्यू॰ एस॰ ए॰ रैंकिंग के अंतर्गत शीर्ष 10 में पहुँचने वाली पहली भारतीय महिला है। वे 2012 (स्क्वैश) चैंपियंस के टूर्नामेंट में उप विजेता रही थी। साथ ही ऑस्ट्रेलियन ओपन स्क्वैश-2012 महिला ऑस्ट्रेलियन ओपन स्क्वैश-2012 के सेमी फाइनल तक पहुँचने में सफल रही। उन्होने फरवरी 2013 में मिडोवूड फार्मेसी ओपन जीतकर छठा डब्ल्यू॰ एस॰ ए॰ खिताब जीता। अक्टूबर 2013 में उन्होने विश्व की पूर्व नंबर एक खिलाड़ी ऑस्ट्रेलिया की राचेल ग्रिनहैम को हराकर मकाउ में मकाउ ओपन का खिताब जीता है। दीपिका के करियर का यह सातवां महिला स्क्वाश संघ (डब्ल्यूएसए) खिताब है।

ग्लासगो में चल रहे 20 वें कामनवेल्थ खेलों में दीपिका पल्लीकल एवं जोशना चिनप्पा की जोड़ी ने 02 अगस्त 2014 को स्क्वैश में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचा। भारतीय जोड़ी ने इंग्लैंड के स्क्वैश में वर्चस्व को तोड़ते हुए फाइनल में जेनी डुनकाफ एवं लाडरा मसारो की जोड़ी को लगातार 11-6, 11-8 से हराकर सफलता हासिल की। यह जीत इसलिए भी ऐतिहासिक महत्व की रही क्योंकि भारत नें इससे पहले स्क्वैश खेल में कोई भी पदक हासिल नहीं किया था।

आकांक्षा सिंह

आकांक्षा सिंह भारतीय महिला राष्ट्रीय बास्केटबॉल टीम की वर्तमान कप्तान है। वह 2004 से अब तक राष्ट्रीय महिला टीम का सदस्य है। उनका जन्म 07 सितम्बर 1989 को वाराणसी में हुआ था। उनकी बहने दिव्य, प्रशांति सिंह और प्रतिमा सिंह ने भारतीय राष्ट्रीय महिला बास्केटबॉल टीम का प्रतिनिधित्व किया है। वह बास्केटबॉल खिलाड़ियों के परिवार से है, उनकी तीन बहनें वर्तमान में भारत महिला राष्ट्रीय बास्केटबॉल टीम का सदस्य हैं और उनकी एक और बहन प्रियंका सिंह बास्केट बॉल राष्ट्रिय इंस्टिट्यूट की कोच है। उन सब को साथ में सिंह बहनें भी कहा जाता है।

2010 में आकांक्षा को भारत की पहली व्यावसायिक बास्केटबॉल लीग, एमबीपीएल में सर्वाधिक मूल्यवान खिलाड़ी से सम्मानित किया गया था। उस समय उनका नाम भारतीय बास्केटबॉल इतिहास की किताबों में आईएमजी रिलायंस द्वारा प्रायोजित बास्केटबॉल फेडरेशन ऑफ इंडिया के "A ग्रेड " के खिलाड़ी के रूप में पहले चार फुटबॉल प्लेयर्स के रूप में पुख्ता हुआ था। उन्हें बास्केटबॉल में छोटे आश्चर्य के नाम से भी बुलाया जाता है। वह बहुत चुस्त और देश के बहुत ही कुशल गेंद संचालकों में से एक है। कई राष्ट्रीय और राज्य चैंपियनशिप में उन्हें सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी से सम्मानित भी किया गया है। दिल्ली विश्वविद्यालय में उनकी कप्तानी में उन्होंने नलौर में ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी बास्केटबॉल चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता था, जहां उन्हें अपनी बहन प्रतिमा सिंह के साथ संयुक्त सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी का पुरस्कार दिया गया था।

- भारतीय महिला वर्ग में देश भर में सर्वश्रेष्ठ चार 'ए ग्रेड खिलाड़ियों' में से एक के रूप में सम्मानित किया गया था।

- 2010 मई महाराष्ट्र में आयोजित पहले अखिल भारतीय मस्तान बास्केटबॉल प्रोफेशनल लीग में सबसे मूल्यवान खिलाड़ी का सम्मान।

- मई 2010 में एमबीपीएल, मुंबई, महाराष्ट्र में लीग मैच में सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी का पुरस्कार।

- वर्ष 2007-2008के लिए सेंट स्टीफंस कॉलेज के सदस्य के रूप में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए बास्केटबॉल में विशेष पुरस्कार।

- एसईपी 2005 में बेस्ट प्लेयर अवार्डI सेंट स्टीफंस कॉलेज में आयोजित बास्केटबॉल टूर्नामेंट में।

- लेडी श्री राम कॉलेज फॉर विमेन, नई दिल्ली में 2008 सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी पुरस्कार।

- एशियाई खेल 2014 इनचान, कोरिया, 19 सितंबर से 4 अक्टूबर 2014

- 34 वें विलियम्स जोन्स कप अन्वेषण टूर्नामेंट 2012, मियाओली काउंटी, ताइवान

- वरिष्ठ महिलाओं के लिए 25 वीं एफआईबीए एशियाई बास्केटबाल चैम्पियनशिप, 2011 नागासाकी, जापान

- 33 वें विलियम जोन्स कप 2011, सिंचुआंग जिमनैजियम, चीनी ताइपे

- एशियाई खेलों 2010 गुआंगज़ौ, चीन, 12 नवंबर से 27 नवंबर तक

- वरिष्ठ महिला, 2007 कोरिया के लिए 23 एफआईबीए एशियाई बास्केटबाल चैम्पियनशिप

मिताली राज

मिताली राज भारतीय महिला क्रिकेट की मौजूदा कप्तान हैं। वे टेस्ट क्रिकेट मैच में दोहरा शतक बनाने वाली पहली महिला है। मिताली का जन्म 3 दिसम्बर 1982 को जोधपुर, राजस्थान में हुआ था। उन्होंने 'भरतनाट्यम' नृत्य में भी ट्रेंनिग प्राप्त की है और अनेक स्टेज कार्यक्रम दिए हैं। क्रिकेट के कारण वह अपनी भरतनाट्यम् नृत्य कक्षाओं से बहुत समय तक दूर रहती थी। तब नृत्य अध्यापक ने उसे क्रिकेट और नृत्य में से एक चुनने की सलाह दी थी। उनकी माँ लीला राज एक अधिकारी थी। उनके पिता धीरज राज डोराई राज बैंक में नौकरी करने के पूर्व एयर फोर्स में थे। वे स्वयं भी क्रिकेटर रहे हैं, उन्होंने मिताली को प्रोत्साहित करने के लिए हर संभव प्रयत्न किया। उसके यात्रा खर्च उठाने के लिए अपने खर्चों में कटौती की। इसी प्रकार उसकी माँ लीला राज को भी अनेक कुर्बानियाँ बेटी के लिए देनी पड़ीं। उन्होंने बेटी की सहायता हेतु अपनी नौकरी छोड़ दी ताकि जब खेलों के अभ्यास के पश्चात थकी-हारी लौटे तो वह अपनी बेटी का ख्याल रख सके। बचपन में जब उसके भाई को क्रिकेट की कोचिंग दी जाती थी, तब वह मौक़ा पाने पर गेंद को घुमा देती थी। तब क्रिकेटर ज्योति प्रसाद ने उसे नोटिस किया और कहा कि वह क्रिकेट की अच्छी खिलाड़ी बनेगी। मिताली के माता-पिता ने उसे आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया तथा इस प्रकार की सहायता की जिसके कारण वह अपने इस मुकाम तक पहुँच सकी है।

हैदराबाद की मिताली राज ने एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच में 1999 में पहली बार भाग लिया। यह मैच मिल्टन कीनेस, आयरलैंड में हुआ था जिसमें मिताली ने नाबाद 114 रन बनाए। उन्होंने 2001-2002 में लखनऊ में इंग्लैंड के विरुद्ध प्रथम टैस्ट मैच खेला। मिताली जब प्रथम बार अंतराराष्ट्रीय टेस्ट मैच में शामिल हुईं तो बिना कोई रन बनाए डक (ज़ीरो) पर आउट हो गई। लेकिन उसने अपने कैरियर में अपनी मेहनत के दम पर आगे बढ़कर दिखाया और अंतरराष्ट्रीय महिला क्रिकेट में आज तक का सर्वाधिक स्कोर 214 रन बना कर कीर्तिमान स्थापित किया। यह इतिहास उसने इंग्लैंड के ख़िलाफ़ खेलते हुए 2002 में बनाया। यह महिला क्रिकेट का सर्वाधिक रन रिकॉर्ड है।

उन्होने 4 वर्षों के अंतराल के पश्चात जुलाई 2006 में मिताली राज के नेतृत्व में महिला क्रिकेट टीम ने पुनः इंग्लैंड का दौरा किया। सभी खिलाड़ी बहुत ट्रेनिंग लेकर वन डे इंटरनेशनल खेलने गई थीं। यह बी.सी.सी.आई. (क्रिकेट बोर्ड) तथा वीमेंस क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया के एकीकरण की ओर क़दम था। मिताली की अगुआई में भारतीय टीम ने टांटन में इंग्लैंड को दूसरे टैस्ट में पाँच विकेट से करारी शिकस्त देकर दो मैचों की शृंखला 1-0 से जीत ली। इस प्रकार मिताली के नेतृत्व में महिला क्रिकेट टीम ने इंग्लैंड को उसकी ही ज़मीन पर मात दे दी, जिससे मिताली को भरपूर प्रंशसा मिली, साथ ही जीत का श्रेय भी। 2003 की क्रिकेट उपलब्धियों के लिए 22 वर्षीय मिताली राज को 21 सितम्बर, 2004 को 'अर्जुन पुरस्कार' से सम्मानित किया गया।