शाहरुख ने बेटे और पत्नी के साथ मनाया स्वतंत्रता दिवस, वीडियो किया शेयर, ‘घूमर’ देख अमिताभ के आए आंसू

फिल्मी सितारों ने आज मंगलवार को 77वें स्वतंत्रता दिवस को यादगार बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। सबने अलग-अलग अंदाज में आजादी के इस महापर्व का जश्न मनाया। सभी ने सोशल मीडिया पर सेलिब्रेशन की तस्वीरें शेयर की और देशवासियों को इंडिपेंडेंस डे की बधाई दी। अब बॉलीवुड के बादशाह माने जाने वाले शाहरुख खान का भी एक वीडियो सामने आया है। शाहरुख ने घर पर तिरंगा फहराया।

उन्होंने उस दौरान का एक वीडियो और फोटो अपने अकाउंट पर शेयर किया है। जो फोटो सामने आई है उसमें शाहरुख के साथ उनकी पत्नी गौरी और बेटे अबराम भी नजर आ रहे हैं। वीडियो में इन तीनों के साथ और भी कुछ लोग दिख रहे हैं। सभी तिरंगे को सलामी दे रहे हैं। शाहरुख ने स्वतंत्रता दिवस की बधाई देते हुए बताया कि उनके छोटे बेटे अबराम ने घर पर तिरंगा फहराने का ये ट्रेडिशन चालू किया है।

उन्होंने लिखा, “सभी को प्यार, हमारा देश समृद्ध बने।” फिल्म इंडस्ट्री के एक और दिग्गज स्टार सलमान खान ने तिरंगा लहराते हुए एक तस्वीर शेयर की और सभी को विश किया। बात अगर शाहरुख के वर्कफ्रंट की करें तो इसी साल आई उनकी पिछली फिल्म पठान सुपरहिट रही थी। अब वे 7 सितंबर को रिलीज होने वाली फिल्म जवान को लेकर सुर्खियां बटोर रहे हैं। फिल्म में नयनतारा, दीपिका पादुकोण, विजय सेतुपति भी हैं।

अमिताभ ने अपने ब्लॉग में ‘घूमर’ फिल्म के लिए लिखी ये बातें

आर बाल्की द्वारा निर्देशित फिल्म 'घूमर' जल्द ही रिलीज होने वाली है। इसमें अभिषेक बच्चन और सैयामी खेल की मुख्य भूमिकाएं हैं। यह एक ऐसी लड़की की कहानी है जो दायां हाथ खोने के बाद फिर से क्रिकेट खेलती है। अब सदी के महानायक अमिताभ बच्चन ने यह खुलासा किया है कि वे इस फिल्म को देखकर इतने इमोशनल हो गए कि उनके आंसू निकल आए।

अमिताभ ने ब्लॉग में लिखा, ''फिल्मग 'घूमर' को रविवार दोपहर और रात में दो बार देखा। इसका उल्लेसख करना मुश्किल है। पहले ही फ्रेम से आंखों से पानी बहने लगा। जब फिल्म में अपनी संतान शामिल होती है, तो यह पल थोड़ा ज्याादा भावुक हो जाता है। उनके विचारों, शब्दों और कार्यों से आश्चर्य होता है जो बहुत प्यारा और आकर्षक है। फिल्म की भावनाएं क्रिकेट से जुड़ी हैं।

यह एक लड़की और उसकी महत्वाकांक्षा की कहानी है। इसमें दिखाया गया है कि खेल का प्रभाव सिर्फ खेल पर ही नहीं पड़ता, बल्कि पूरे परिवार पर पड़ता है। आर. बाल्की ने बेहद ही सरल तरीके से हमारे सामने एक सबसे जटिल विचार बुना है। मैं जानता हूं कि एक हारने वाला क्या महसूस करता है और क्या अनुभव करता है। मैं जानना चाहता हूं कि एक विजेता क्या महसूस करता है और क्या अनुभव करता है।

हममें से प्रत्येक ने अपने जीवन में किसी न किसी बिंदु पर विफलता का सामना किया है और हम जानते हैं कि यह कैसा लगता है। यह वह चुनौती है जिसका हम सभी सामना करते हैं। हम सभी इसके लिए प्रयास करते हैं। हम सभी इसके लिए संघर्ष करते हैं, और फिर जब हम पाते हैं कि दरवाजा बंद है, तो हम इसे तोड़ देते हैं और प्रवेश करते हैं। यही सीखने का आदर्श है।