बॉलीवुड में नहीं मिली पहचान, अब सफल बिजनेसमैन हैं मनोज कुमार के बेटे कुणाल गोस्वामी

बॉलीवुड के दिग्गज और देशभक्ति फिल्मों के प्रतीक माने जाने वाले अभिनेता मनोज कुमार अब हमारे बीच नहीं रहे। 87 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया, जिससे पूरा देश शोक में डूब गया है। सोशल मीडिया पर फैंस और फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े लोग उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं। मनोज कुमार अपने पीछे पत्नी और बच्चों का परिवार छोड़ गए हैं। उनके बेटे कुणाल गोस्वामी ने भी एक समय फिल्मों में अपनी किस्मत आजमाई थी, लेकिन वह अपने पिता जैसा मुकाम नहीं हासिल कर सके। कई फ्लॉप फिल्मों के बाद कुणाल ने फिल्म इंडस्ट्री को अलविदा कह दिया और दूसरी राह चुन ली। आइए जानते हैं मनोज कुमार की फैमिली और बेटे कुणाल की जर्नी के बारे में।

एक्टिंग से लेकर 'भारत कुमार' बनने तक का सफर


मनोज कुमार ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत फिल्म ‘फैशन’ से की थी, जिसमें उन्होंने एक 80 साल के बुजुर्ग का किरदार निभाया था। इसके बाद ‘हरियाली और रास्ता’ जैसी फिल्मों से उनकी किस्मत ने करवट ली और वह दर्शकों के दिलों में छा गए। उन्होंने अपने करियर में 45 से अधिक फिल्मों में काम किया, जिनमें अधिकांश देशभक्ति से जुड़ी कहानियां थीं। यही कारण है कि उन्हें ‘भारत कुमार’ की उपाधि दी गई। इस नाम से वह घर-घर में पहचाने जाने लगे। उनके बेहतरीन योगदान के लिए उन्हें 1992 में पद्मश्री और 2015 में दादासाहब फाल्के अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था।

कुणाल गोस्वामी का अधूरा फिल्मी सफर

मनोज कुमार के बेटे कुणाल गोस्वामी ने भी अभिनय में हाथ आजमाया और फिल्म ‘लव स्टोरी’, ‘कल का खिलाड़ी’ जैसी फिल्मों में नजर आए। हालांकि, उनकी फिल्मों को दर्शकों का प्यार नहीं मिल सका और एक के बाद एक कई प्रोजेक्ट फ्लॉप हो गए। हालांकि, फिल्म ‘नीले नीले अंबर पर’ का गाना जबरदस्त हिट हुआ था, लेकिन फिल्म खुद बॉक्स ऑफिस पर नहीं चली। फिल्मों से उम्मीदें टूटने के बाद कुणाल ने टीवी की ओर रुख किया, लेकिन वहां भी उन्हें खास सफलता नहीं मिल सकी।

बिजनेस में मिली नई पहचान

एक्टिंग में असफलता के बाद कुणाल ने दिल्ली में कैटरिंग का बिजनेस शुरू किया, जिसे उन्होंने पूरी लगन और मेहनत से आगे बढ़ाया। यह बिजनेस देखते ही देखते चल पड़ा और आज वह एक सफल बिजनेसमैन बन चुके हैं। वह अब परिवार के साथ एक शांत और खुशहाल जीवन बिता रहे हैं और फिल्मी चकाचौंध से दूर, अपनी खुद की पहचान में व्यस्त हैं।