शनिवार (25 जनवरी) को इंडोनेशियाई प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा आयोजित रात्रि भोज में 'कुछ कुछ होता है' फिल्म का टाइटल सॉन्ग गाया। इस फिल्म की एक्ट्रेस काजोल ने इसे एक बड़ा सम्मान माना है। काजोल ने सोशल मीडिया पर इस घटना पर अपनी खुशी व्यक्त की। उन्होंने लिखा, “बॉलीवुड की एकजुटता की ताकत फिर से चमकी! इंडोनेशियाई प्रतिनिधिमंडल द्वारा 'कुछ कुछ होता है' गाना एक दिल को छू लेने वाला ट्रिब्यूट है। सच में सम्मानित महसूस कर रही हूं।”
गीत को जतिन-ललित ने संगीतबद्ध किया था और इसे उदित नारायण और अलका याग्निक ने अपनी मधुर व खनकती आवाज से सजाया था। इस गाने में काजोल के साथ शाहरुख खान और रानी मुखर्जी भी थे। यह गाना आज भी लोगों की जुबान पर चढ़ा हुआ है। साल 1998 में आई करण जौहर की यह फिल्म सुपरहिट रही थी। इसने देश के साथ विदेश में भी लोगों का दिल जीता। इसके सभी गाने शानदार थे।
बता दें भारत और इंडोनेशिया के बीच सांस्कृतिक संबंधों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से यह भोज इंडोनेशियाई राष्ट्रपति प्रबोवो सुबीआंटो के सम्मान में आयोजित किया गया था। इसमें उच्च स्तरीय इंडोनेशियाई मंत्री भी शामिल थे। भारत में 76वां गणतंत्र दिवस पूरे जोश और उत्साह के साथ मनाया गया। इस खास मौके पर इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया।
सायरा बानो ने ‘लीडर’ और ‘क्रांति’ में दिलीप के कभी न भूल पाने वाले सीन शेयर किएवेटरन एक्ट्रेस सायरा बानो अक्सर अपने दिवगंत पति महान एक्टर दिलीप कुमार को याद करती नजर आती हैं। वह सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी भावनाएं जाहिर करती हैं। उन्होंने आज गणतंत्र दिवस के मौके पर दिलीप को याद करते हुए इंस्टाग्राम पर फिल्म ‘लीडर’ और ‘क्रांति’ में उनके कभी न भूल पाने वाले सीन शेयर कर लंबी-चौड़ी पोस्ट लिख डाली। सायरा ने लिखा, “मैंने हमेशा माना है कि एक राष्ट्र की ताकत उसकी विविधता में होती है, लेकिन यह केवल एक चीज से संतुलित होती है और वह है समानता।
यह केवल मेरा विश्वास नहीं है, बल्कि यह मेरे साहिब के दिल के करीब था। वे अक्सर कहते थे कि भारत में भाषा, संस्कृति और विश्वासों में हमारे बीच के बड़े अंतर को पाटा जा सकता है। बड़े अंतर के बावजूद राष्ट्र का असली सार सभी के साथ समान व्यवहार करना है। यह उनके जीवन और कार्य की आधारशिला थी और यह एक ऐसा सिद्धांत है, जिसे मैं हमेशा संजोकर रखती हूं। साहिब अपने अधिकारों और कर्तव्यों को पूरा करने में दृढ़ विश्वास रखते थे, हमेशा समानता के अधिकार को सबसे ऊपर रखते थे।
उनका मानना था कि समानता केवल एक संवैधानिक अधिकार नहीं है, यह एक नैतिक कर्तव्य है जो हम सभी को मनुष्य होने के नाते एक-दूसरे के प्रति करना चाहिए। मुझे ‘लीडर’ में वैजयंती माला अक्का के साथ उनके कभी न भूल पाने वाले दृश्यों में से एक याद आ रहा है, जहां वे एकता की ताकत के बारे में बात करते हैं। आइए, हम याद रखें कि हममें से हर कोई मानवता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।”