महिलाओं के लिए सुरक्षित काम का माहौल बनाए जाने के बारे में बहुत कुछ कहा जा रहा है। वहीं अभिनेत्री सोनाक्षी सिन्हा का कहना है कि काम के दौरान कोई असुरक्षित महसूस करे, यह उचित नहीं है और कार्यस्थल की संस्कृति में बदलाव की जरूरत है।
वह इस बात से खुश हैं कि महिलाएं खुलकर अपनी बात रख रही हैं, लेकिन उनका मानना है कि यह बहस काफी पहले ही शुरू हो जानी चाहिए थी। अभिनेत्री सोनाक्षी सिन्हा ने एक साक्षात्कार में कहा, "मुझे लगता है कि यह बेहद जरूरी है। इसे बहुत पहले हो जाना चाहिए था। काम के दौरान किसी का भी असुरक्षित महसूस करना उचित नहीं। इसमें कुछ करने के लिए तत्पर होना चाहिए। मुझे खुशी है कि महिलाएं अब खुलकर बात कर रही हैं।"
यह हॉलीवुड में मूवी मुगल के नाम से प्रसिद्ध हार्वे वाइन्स्टीन पर कई मशहूर अभिनेत्रियों द्वारा आरोप लगाए जाने के साथ शुरू हुआ, जब केविन स्पेसी, जेम्स टोबेक, बेन एफ्लेक, ब्रेट रटनर और डस्टिन हॉफमैन जैसी दिग्गजों ने खुलकार अपनी बात सामने रखी।
इसके बाद अक्षय कुमार ने कॉमेडियन मल्लिका दुआ पर टिप्पणी की- 'आप घंटी बजाओ, मैं आपको बजाता हूं।' इसके बाद यह मामला उछला। पेशवर सोनाक्षी मनोरंजन दुनिया को आसान नहीं मानती कि किस तरह उन्हें अपने अधिक वजन और बॉक्स-ऑफिस पर असफलता का सामना करना पड़ा। 'दबंग' की सफलता के बाद उन्होंने 'राउडी राठौर', 'लुटेरा' और 'हॉलीडे : ए सोल्जर इज नेवर ऑफ ड्यूटी' जैसी हिट फिल्में दीं, लेकिन 'तेवर', 'अकीरा' और 'नूर' जैसी फिल्मों की असफलता से वह पीछे चली गई। इसके लिए उन्होंने 'इत्तेफाक' के साथ वापसी की। सोनाक्षी का कहना है कि उन्हें असफलता से डर नहीं लगता।
उन्होंने कहा, "मेरी प्राथमिकता हमेशा खुश रहने की होती है, चाहें काम हो या घर में रहना। दूसरों को खुश करने के लिए अंदर से खुश होना जरूरी है। मैं सकारात्मक रहने की कोशिश करती हूं, ताकि मेरा काम प्रभावित न हो।" उनका मानना है कि विफलता एक व्यक्ति को सफलता से बहुत अधिक सिखाती है।
फिल्म 'इत्तेफाक' के बारे में सोनाक्षी ने कहा, "मेरी भूमिका का सबसे अच्छा हिस्सा दो पक्षों को निभाने में सक्षम होना है, एक बुरा और अच्छा।" यह फिल्म बीते शुक्रवार को रिलीज हुई है। इसमें सिद्धार्थ मल्होत्रा और अक्षय खन्ना जैसे सितारे प्रमुख भूमिकाओं में हैं।