गुनीत मोंगा अपनी फिल्म ‘पीरियड, एंड ऑफ सेंटेंस’ के चलते विश्व सिनेमा में एक जाना पहचाना चेहरा बन गई हैं। इस फिल्म के लिए उन्होंने विश्व सिनेमा के सबसे बड़े और प्रतिष्ठित पुरस्कार ऑस्कर को प्राप्त किया है, जिससे भारत का सर ऑस्कर में सम्मान से ऊंचा हो गया है। कितने अफसोस की बात है कि जिस फिल्म ने भारत का सर सम्मान से ऊँचा किया है, उसको ऑस्कर के मंच तक पहुंचाने में भारत सरकार की ओर से कोई सपोर्ट नहीं किया गया था। खुद गुनीत मोंगा ने एंट्री से पहले भारत सरकार से डॉक्युमेंटरी को बैक करने की माँग की थी। इसके लिए बाकायदा प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र भी लिखा गया था, पर पीएमओ की तरफ से इसे कोई रिस्पांस नहीं मिला था।
हालांकि ऑस्कर तक फिल्म का सफर आसान नहीं था। वहाँ पहुंचने और अपनी जगह बनाने से पहले उसे दुनिया भर के दर्जनों फिल्म समारोहों से गुजरना पड़ा था, तब जाकर इसे लेकर एक बज और क्रेडिबिलिटी क्रिएट हुई थी। गुनीत मोंगा की ऑस्कर विजेता यह फिल्म बॉफ्टा में बेस्ट फिल्म नॉट इन द इंग्लिश लैंग्वेज कैटेगरी के लिए भी नॉमिनेट हो चुकी है। गुनीत मोंगा को खुशी इस बात की है कि उन्होंने आज तक जो भी फिल्में निर्मित कीं वे सभी सवालों के घेरे में रहती थी, पर वे अपनी दिल की आवाज सुनकर उन्हें बैक करती रही थीं। फाइनली जो भरोसा उन्होंने इन्वेस्ट किया था, वह अब उन्हें परिणाम दे रहा है।
अब जब डॉक्युमेंटरी ने इतिहास रचा है तो गुनीत मोंगा को उम्मीद है कि आगे से सरकार और बाकी अथॉरिटीज सोशल कंसर्न की डॉक्युमेंटरीज, शॉर्ट फिल्म और फीचर फिल्मों को हल्के में नहीं लेगी। फिल्म से जुड़ी टीम का कहना है कि अब सरकार जरूर इस शॉर्ट डॉक्युमेंटरी का महत्त्व समझ गई है और इसे सरकारी कॉलेजेस और स्कूल में दिखाया जाएगा। एजुकेशन और हेल्थ मिनिस्ट्री को भी फिल्म के साथ इनकॉरपोरेट किया जाएगा।