‘तख्त’ — क्या भंसाली जैसा नजरिया ला पाएंगे करण जौहर?

हाल ही में बॉलीवुड के बड़बोले और स्वयंभू ‘शो मैन’ करण जौहर ने ‘तख्त’ नामक फिल्म के साथ ही दो साल बाद स्वयं को बतौर निर्देशक पुन: लाँच करने की घोषणा की है। करण जौहर के अनुसार उनकी यह फिल्म दो दशक पूर्व निर्देशित ‘कभी खुशी कभी गम’ होगी।

मुगलकाल के आखिरी सम्राट औरंगजेब की अन्तिम लड़ाई पर आधारित इस फिल्म को वे भव्य स्तर पर बनाने की तैयारियाँ कर रहे हैं। बकौल करण जौहर यह उनके बैनर धर्मा प्रोडक्शन्स की अब तक की सबसे महंगी फिल्म होगी। हालांकि उन्होंने इस फिल्म के लिए जिन सितारों के नामों की घोषणा की है वे महंगे नहीं अपितु चर्चित जरूर हैं।

स्टार वैल्यू के हिसाब से इन सितारों में मात्र दो सितारे—आलिया भट्ट और रणवीर सिंह—ऐसे हैं जो वर्तमान में अपने सहारे दर्शकों को सिनेमाघरों की ओर खींचते हैं। ‘तख्त’ 2020 में प्रदर्शित होगी लेकिन किस त्यौहार के मौके पर प्रदर्शित होगी अभी यह तय नहीं है।

मुगलकाल पर आधारित ‘तख्त’ की जब से घोषणा हुई है यह चर्चाओं में आ गई है। वैसे भी करण जौहर अपने बैनर की फिल्मों को बहुप्रचारित करते हैं, जिसका नतीजा कई बार उल्टा निकलता है (कभी अलविदा ना कहना)। पिछले एक सप्ताह से जिस अंदाज-ए-बयान में ‘तख्त’ को प्रचारित किया जा रहा है उसे देखकर ऐसा महसूस हो रहा है करण जौहर अपने इस महत्त्वाकांक्षी प्रोजेक्ट को लेकर कुछ ज्यादा ही आशान्वित नजर आ रहे हैं। या फिर करण जौहर यह चाहते हैं कि मीडिया उनको भी उसी तरह से प्रचारित करे जिस तरह से उसने (मीडिया) ने संजय लीला भंसाली को (पद्मावत के लिए) किया था।

‘तख्त’ मुगल सल्तनत के बादशाह शाहजहाँ के अंतिम दिनों की कहानी होगी। बादशाह बीमार हो गए थे और उनके बेटों के बीच ‘तख्त’ को लेकर लड़ाई शुरू हो गई थी। ज्ञातव्य है कि शाहजहाँ के बाद औरंगजेब हिंदुस्तान के बादशाह बने थे। वह शाहजहाँ के चार पुत्रों में सबसे छोटे पुत्र थे। इतिहास में औरंगजेब की छवि कट्टर मुसलमान शासक की है, जिसने भारत में इस्लाम को फैलाने की शुरूआत की थी। औरंगजेब ने अपने समय में असंख्य हिन्दू मंदिरों को नेस्तनाबूद करते हुए मस्जिदों का निर्माण करवाया था। औरंगजेब की इसी छवि से मुगलकाल की नींव हिली और फिर देखते-देखते मुगल साम्राज्य खत्म हो गया।

जब से इस फिल्म की घोषणा हुई है तभी से बॉलीवुड गलियारों और भारतीय सिने दर्शकों के ‘जहन’ (दिमाग) में एक प्रश्न उठ खड़ा हुआ है कि क्या करण जौहर इस विषय की गम्भीरता को उतनी ही शिद्दत के साथ परदे पर पेश कर पाएंगे जिस तरह से संजय लीला भंसाली ने अपनी पिछली दो फिल्मों ‘बाजीराव मस्तानी’ और ‘पद्मावत’ को किया था। इसकी उम्मीद बहुत कम नजर आती है। करण जौहर का सिनेमा और बनाने का तरीका दोनों अलग है। करण ‘डॉलर’ के लिए फिल्में बनाते हैं और भंसाली अपने ‘रूपये’ के लिए।

अपने 20 साल लम्बे निर्देशकीय करियर में करण जौहर ने एक भी ऐसी फिल्म नहीं बनाई है, जिसे भारतीय सिने इतिहास की यादगार फिल्मों में शामिल किया जा सके। सम्भवत: करण जौहर ‘तख्त’ के जरिये स्वयं को श्रेष्ठ निर्देशकों की श्रेणी में शामिल करवाना चाहते हैं। ‘तख्त’ मुगल राज परिवार की कहानी है। इसमें छल, कपट, ईष्र्या, महत्वाकांक्षा, धोखा, मोहब्बत और ‘तख्त’ हथियाने का ड्रामा है। करण जौहर परिवार की कहानी से आगे बढ़ कर राज परिवार की कहानी सुनाने-दिखाने जा रहे हैं।

दो वर्ष बाद प्रदर्शित होने वाली ‘तख्त’ दो भाईयों की लड़ाई है, जिसमें एक सबसे बड़ा दारा शिकोह और सबसे छोटा औरंगजेब है। बादशाह शाहजहाँ औरंगजेब के दिमाग, इरादे और हरकतों से वाकिफ थे। उन्होंने औरंगजेब को अपनी नजरों से दूर भी रखा था। उनकी ख्वाहिश थी कि ‘तख्त’ का वारिस उनका बड़ा बेटा दारा हो। दारा का पूरा नाम दारा शिकोह था। वे संत और सूफी मिजाज के इन्सान थे। यह सिर्फ औरंगजेब और दारा शिकोह के संघर्ष और विजय की कहानी नहीं है। इसमें उनकी दोनों बहनें जहांआरा और रोशनआरा की भी भूमिकाएं हैं। जहांआरा विदुषी और दारा के मिजाज की थीं, इसलिए वह बड़े भाई के समर्थन में थीं और रोशनआरा महल में रहते हुए औरंगजेब की मदद कर रही थीं। इतिहास इस बात का साक्षी है ‘सल्तनत’ कोई भी हो, ‘बादशाहत’ के लिए भाइयों और रिश्तेदारों में खूनी संघर्ष होते रहे हैं। औरंगजेब ने अपने पिता शाहजहां की ख्वाहिश के खिलाफ जाकर दारा को बंदी बनाया और सजा-ए-मौत दी। वह खुद बादशाह बना और उसने शाहजहां को भी कैदी बना दिया। उसने देश की रियाया (जनता) पर जुल्म किये। इन्हीं का नतीजा रहा जब भारत से ‘मुगल काल’ का अन्त हुआ।

हिन्दू शास्त्रों में दारा की रूचि को औरंगजेब ने इस्लाम के खिलाफ कह कर प्रचार किया और मुल्लों को लामबंद किया। उसने यह बात फैलाई कि काफिर दारा ‘तख्त’ पर बैठा तो हिंदुस्तान से इस्लाम का नाम-ओ-निशां मिट जाएगा। औरंगजेब ने ‘धर्म’ के नाम पर ‘तख्त’ हथियाने की साजिशें कीं और कामयाब रहा। अगर दारा शिकोह को ‘तख्त’ मिला होता तो हिन्दुस्तान आज कुछ और नजर आता। धर्म के नाम पर चल रही लड़ाइयाँ सदियों पहले खत्म हो गयी होतीं। करण जौहर की इस फिल्म से यही बड़ा सवाल उभरता है कि क्या करण जौहर अपनी बहुप्रचारित और महत्त्वाकांक्षी फिल्म में इस पक्ष को दिखाने की हिम्मत पैदा कर पाएंगे। हालांकि इसकी सम्भावना कम ही नजर आती है। करण जौहर किसी भी हालत में ऐसा नहीं चाहेंगे कि उनके निर्देशन व बैनर में बनी ‘तख्त’ को लेकर किसी प्रकार का विरोधी स्वर उभरे। वे नहीं चाहेंगे कि विरोध के स्वर इतने मुखर हो जाएं कि उन्हें फिल्म प्रदर्शित करने में कठिनाइयाँ पैदा हों।

इस फिल्म में रणवीर सिंह, करीना कपूर खान, आलिया भट्ट, विकी कौशल, भूमि पेडणेकर, जान्हवी कपूर और अनिल कपूर मुख्य भूमिकाओं में हैं।

- Rajesh Bhagtani