ए.आर. रहमान: ‘रोजा’ नहीं, ‘रंगीला’ थी पहली फिल्म, टाइटल ट्रैक ने मचाई धूम

हिन्दी भाषी क्षेत्रों के श्रोता संगीतकार ए.आर.रहमान की पहली हिन्दी फिल्म ‘रोजा’ मानते हैं। हालांकि यह फिल्म मणिरत्नम ने तमिल भाषा में बनाई थी जो ‘आतंकवाद’ के भयावह अंजाम को शिद्दत के साथ दर्शाती है। मणिरत्नम ने जितनी सफाई से इस फिल्म के प्रेम कथानक को आतंकवाद से जोडा, उतनी ही होशियारी से उन्होंने इसके संगीत को थामा, जिसे ए.आर. रहमान ने संवारा था।

वैसे हम अपने सुधि पाठकों को इस बात की जानकारी देना चाहेंगे कि हिन्दी फिल्मों में बतौर संगीतकार ए.आर. रहमान ने निर्माता निर्देशक रामगोपाल वर्मा की फिल्म ‘रंगीला’ से शुरूआत की थी। जबकि इस फिल्म से पहले उनकी जितनी हिन्दी में फिल्में आईं वे सब तमिल, मलयालम और तेलुगु फिल्मों का डब वर्जन थी।

वर्ष 1995 में आई ‘रंगीला’ का निर्माण झामू सुगंध ने किया था, जबकि इस फिल्म की कथा-पटकथा और निर्देशन रामगोपाल वर्मा का था। ‘रंगीला’ ने 1995 के फिल्मफेयर पुरस्कार में 7 पुरस्कार अपनी झोली में डाले थे। यह पुरस्कार थे—सर्वश्रेष्ठ सहनायक (जैकी श्रॉफ), कोरियोग्राफर (अहमद खान), बेस्ट कास्ट्यूम डिजाइनिंग (मनीष मल्होत्रा), बेस्ट स्टोरी (रामगोपाल वर्मा), सर्वश्रेष्ठ संगीतकार (ए.आर. रहमान), गीतकार मेहबूब को आर.डी. बर्मन पुरस्कार और गायिका आशा भौंसले को ‘तन्हा तन्हा यहाँ पे जीना ये कोई बात है’ के लिए विशेष जूरी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

‘रंगीला’ के गीत मेहबूब ने लिखे थे, जिन्होंने ए.आर.रहमान की कई फिल्मों के हिन्दी डब वर्जन के गीतों को हिन्दी में अनुवादित किया था। इस फिल्म के यूं तो सभी गीत खासे लोकप्रिय हुए थे लेकिन इसका टाइटल ट्रैक सबसे बेहतरीन था। इस गीत का संगीत ऐसा है जो आज भी युवाओं को कदम थिरकाने के लिए मजबूर करता है। शायद रहमान पहले ऐसे संगीतकार रहे हैं जिन्होंने आशा भौंसले की आवाज का इतना खूबसूरत इस्तेमाल अपने गीतों में किया। इसी फिल्म के गीत ‘तन्हा तन्हा’ के लिए उन्हें विशेष जूरी पुरस्कार मिला था।