एक्टर अर्जुन कपूर की फिल्म ‘सिंघम अगेन’ इस समय सिनेमाघरों में लगी हुई है। दिवाली के मौके पर 1 नवंबर को रिलीज हुई इस फिल्म में अर्जुन ने विलेन का रोल कर सबकी तारीफ लूटी है। अर्जुन पिछले कुछ समय से मलाइका अरोड़ा से ब्रेकअप को लेकर भी सुर्खियों में हैं। अब अर्जुन ने पीठ पर एक टैटू गुदवाया है, जिसे उन्होंने अपनी दिवंगत मां मोना शौरी कपूर को डेडिकेट किया है। अर्जुन अक्सर मां को याद करते हैं और उनके लिए इमोशनल पोस्ट शेयर करते रहते हैं। अर्जुन ने इंस्टाग्राम पर जो तस्वीरें शेयर की हैं, उनमें वे शर्टलेस दिख रहे हैं और टैटू बनवा रहे हैं।
टैटू के रूप में उन्होंने ‘रब राखा’ लिखवाया है। अर्जुन ने भावुकता भरे कैप्शन में लिखा, “चाहे अच्छा समय हो या फिर बुरा, मेरी मां हमेशा ये बात कहती थीं कि रब राखा यानी ईश्वर हमेशा तुम्हारे साथ हैं और आज भी मुझे भी लगता है कि वह मेरे साथ हैं। मुझे गाइड कर रही हैं और मुझे देख रही हैं। मैंने यह टैटू ‘सिंघम अगेन’ की रिलीज की शाम को बनवाया था और अब जब मैं इस नए चैप्टर की शुरुआत कर रहा हूं तो ऐसा लग रहा है कि मानो वह मेरे पीछे खड़ी हैं।
मुझे याद दिला रही है कि ब्रह्मांड के पास एक योजना है। धन्यवाद मां मुझे विश्वास सिखाने के लिए। रब राखा, हमेशा।” अर्जुन की इस पोस्ट पर परिणीति चोपड़ा से लेकर कई सेलेब्स ने रिएक्ट किया है। बता दें अर्जुन की मां का साल 2012 में उनकी डेब्यू फिल्म 'इश्कजादे' की रिलीज से कुछ दिन पहले ही निधन हो गया था। वह कैंसर से पीड़ित थीं।
जोधपुर हाईकोर्ट ने सलमान-शिल्पा के खिलाफ दर्ज FIR की रद्दसुपरस्टार सलमान खान और एक्ट्रेस शिल्पा शेट्टी को आज गुरुवार (21 नवंबर) को राजस्थान के जोधपुर हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ एससी-एसटी एक्ट के तहत दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि बिना मंजूरी और जांच के एससी-एसटी एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज नहीं की जा सकती। बता दें यह मामला साल 2013 में सलमान और शिल्पा के एक इंटरव्यू का है।
याचिकाकर्ता ने एक टीवी इंटरव्यू में सलमान और शिल्पा की ओर से ‘भंगी’ शब्द का इस्तेमाल करने पर आपत्ति जताई थी। उनका कहना है कि इस शब्द से वाल्मीकि समुदाय के लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंची है। साल 2017 में इस मामले में एफआईआर दर्ज की गई थी। शिल्पा ने इस मामले में उसी साल माफी मांग ली थी। शिल्पा ने कहा था कि अगर मैंने ऐसा किया है तो मैं माफी मांगती हूं। मुझे ऐसे देश से होने पर गर्व है जहां अलग-अलग जातियां और धर्म हैं। मैं उनमें से प्रत्येक का सम्मान करती हूं।
आज याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि कानून की यह स्थापित धारणा है कि जब तक एफआईआर में देरी का कारण नहीं बताया जाता, तब तक यह अपने आप में घातक है। वहीं हाईकोर्ट की बेंच ने कहा कि बिना मंजूरी और जांच के एससी-एसटी एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज नहीं की जा सकती। कोर्ट ने 3 साल से अधिक की देरी से दर्ज एफआईआर पर सवाल उठाते हुए कहा कि इसमें असाधारण देरी से आरोपों की सच्चाई पर गंभीर संदेह होता है और यह अक्सर बात को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने का नतीजा होती है, जिससे मामले की विश्वसनीयता कमजोर हो जाती है।