आज है योगिनी एकादशी, पापों से मुक्ति पाने के लिए जानें व्रत कथा और विधि

आज आषाढ़ कृष्ण एकादशी है जिसे योगिनी एकादशी के नाम से भाई जाना जाता हैं। माना जाता हैं कि आज के दिन की गई भगवान विष्णु की पूजा समस्त दुखों और पापों का नाश करती हैं और पुण्य की प्राप्ति करवाती हैं। इसलिए कई भक्तगण भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए योगिनी एकादशी का व्रत रखते है। आपको इस व्रत का पूर्ण लाभ मिल सकें इसके लिए आज हम योगिनी एकादशी की पूर्ण व्रत कथा और पूजा-विधि से जुड़ी जानकारी लेकर आए हैं। तो आइये जानते हैं इसके बारे में।

योगिनी एकादशी व्रत कथा

यह कथा श्रीकृष्ण धर्मराज युधिष्ठिर को सुना रहे हैं। श्रीकृष्ण कथा सुनाते हुए कहते हैं कि कुबेर नाम का एक राजा रहता था जो शिव भक्‍त था। वहीं हेम नाम का एक माली था जो पूजा के लिए उसके यहां से फूल लाया करता था। एक दिन वह कुबेर के यहां फूल नहीं पहुंचा पाया। ऐसे में कुबेर गुस्‍सा हो गए और उसे बुलवाया। हेम माली राजा के डर से आया। कुबेर ने कहा- तुमने शिवजी का अनादर किया है, इस‍लिए मैं तुझे शाप देता हूँ कि तू स्त्री का वियोग सहेगा और मृत्युलोक में जाकर कोढ़ी होगा।

ऐसे में हेम माली ने दुख भोगे। परंतु शिवजी की पूजा के प्रभाव से उसको पिछले जन्म की सारी याद थी। जंगल में घूमते-घ़ूमते एक दिन वह मार्कण्डेय ऋषि के आश्रम में पहुंचा और उनके पैर पड़ गया। उसे देखकर मारर्कंडेय ऋषि ने उसे व्रत बताया। उन्‍होंने हेम को ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की योगिनी नामक एकादशी का विधिपूर्वक व्रत करने को कहा, जिससे उसके पाप नष्ट हो सकते थे। हेम माली ने यह व्रत किया और उसके प्रभाव से पुराने स्वरूप में आ गया। इसके बाद वह अपनी स्त्री के साथ सुखमय जीवन बिताने लगा।

योगिनी एकादशी व्रत विधि

- इस दिन सुबह उठ कर सबसे पहले स्‍नान कर लें। फिर साफ कपड़े पहन कर एक कुंभ की स्‍थापना करें।
- कुंभ स्‍थापित करने के बाद उस पर विष्णु भगवान की मूर्ति स्‍थापित करें।
- उसके बाद मूर्ति पर लाल फूल , अक्षत, नैवेध आदि से उनकी पूजा करें।
- इस दिन भगवान विष्‍णु को पीली चीजें चढ़ाएं। और लोगों में प्रसाद बांटे।
- फल की प्राप्‍ति के लिये भगवान विष्णु का कीर्तन और जागरण करें।
- यदि आप व्रत रख रहे हैं तो दूसरे दिन यानि द्वादशी के दिन अपना व्रत तोड़ सकते हैं।