Yogini Ekadashi 2022: योगिनी एकादशी आज, भूलकर भी न करें इन अशुभ मुहूर्त में पूजा

आज योगिनी एकादशी मनाई जा रही है। आषाढ़ माह में पड़ने वाली एकादशी को योगिनी एकादशी या फिर आषाढ़ी एकादशी के नाम से जानते हैं। योगिनी एकादशी में भक्त पूरे विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं। योगिनी एकादशी के दिन उपवास रखने और साधना करने से समस्याओं का अंत हो जाता है। यहां तक कि पीपल का पेड़ काटने का पाप भी इस एकादशी पर नष्ट हो जाता है। इस व्रत को विधिपूर्वक करने से 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने जितना पुण्य प्राप्त होता है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार एकादशी के व्रत का पूर्ण फल तभी प्राप्त होता है, जब एकादशी के नियमों का सही से पालन किया जाता है। एकदाशी के व्रत पूजा शुभ मुहूर्त में की जाती है। इसलिए योगिनी एकादशी के दिन व्रत के पूर्ण फल के लिए आज के शुभ और अशुभ मुहूर्त को सही से जान लें। शुभ मुहूर्त में की गई पूजा से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर होते हैं।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार एकादशी के दिन राहु काल के साथ-साथ अशुभ मुहूर्तों में पूजा करने से बचना चाहिए। ऐसा मान्यता है कि इन अशुभ मुहूर्त में पूजा करने से व्यक्ति को पूर्ण फल की प्राप्ति नहीं होती। तो आइए जानते है अशुभ और शुभ मुहूर्त के बारे में...

योगिनी एकादशी की पूजा इन मुहूर्त में न करें

- आज राहुकाल सुबह 10:39 मिनट से दोपहर 12:24 मिनट तक रहेगा।
- यमगंड काल दोपहर 3:53 मिनट से शुरू होकर शाम 5:38 मिनट तक होगा।
- गुलिक काल सुबह 07:09 मिनट से शुरू होकर सुबह 08:54 मिनट तक है।
- विडाल योग काल सुबह 05:24 मिनट से सुबह 08:04 तक होगा।
- वर्ज्य काल शाम 6:36 मिनट से रात 8:32 मिनट तक रहेगा।
- दुमुहुर्त काल सुबह 08:12 बजे शुरू होगा और 09:08 मिनट तक रहेगा।
- गण्ड मूल सुबह 05:24 मिनट से 08:04 मिनट तक रहेगा।

योगिनी एकादशी के शुभ मुहूर्त 2022

योगिनी एकादशी 23 जून रात्रि 9 बजकर 41 मिनट से शुरू हो चुकी है। 24 जून रात्रि 11 बजकर 12 मिनट पर ये समाप्त होगी। व्रत के पारण का समय 25 जून सुबह 05 बजकर 51 से 08 बजकर 31 मिनट तक है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग 24 जून, शुक्रवार सुबह 5 बजकर 24 मिनट से लेकर सुबह 8 बजकर 4 मिनट तक है। वहीं पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 56 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 51 मिनट तक होगा।

योगिनी एकादशी व्रत के नियम


- सुबह नहाकर सूर्य देव को जल अर्पित करें।
- इसके बाद पीले कपड़े पहनकर भगवान विष्णु की पूजा करें।
- श्रीहरि को पीले फूल, पंचामृत और तुलसी दल अर्पित करें।
- इसके बाद श्री हरि और मां लक्ष्मी के मन्त्रों का जाप करें।
- किसी निर्धन व्यक्ति को जल, अनाज, कपड़े, जूते और छाते का दान करें।
- इस दिन केवल जल और फल ग्रहण करके ही उपवास रखें।