अक्सर देखा जाता है कि घर में अकारण ही किसी ना किसी बात पर परिवार के सदस्यों में अनबन बनी रहती हैं जो धीरे-धीरे कलह में परिवर्तित होती जाती हैं। परिवार के सदस्यों के अथाह प्रयास के बाद भी स्थिति में सुधार नहीं हो पाता हैं जो कि चिंता का विषय हैं। अगर आपके घर में भी ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है तो आपको जरूरत है आपके घर का वास्तु देखने की। क्योंकि कई वास्तुदोष की वजह से घर में नकारात्मकता उत्पन्न होती है और ये कलह का कारण बनती हैं। तो आइये हम बताते हैं आपको किन वास्तुदोषों की वजह से घर में होती है कलह।
* घर का ईशान भाग (उत्तर-पूर्व) से उठा होना अशुभ माना जाता हैं। अगर यह उठा हुआ है तो पिता-पुत्र संबंधों में मधुरता व नजदीकी की कमी रहती है। इसलिए घर बनवाते समय इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए।
* घर का ईशान कोण यानी उत्तर-पूर्वी कोना खंडित होने से पिता-पुत्र में आपसी मामलों को लेकर हमेशा झगड़े होते हैं। इसलिए घर के उत्तर-पूर्वी कोने को हमेशा ठीक रखना चाहिए।
* ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) में स्टोर रूम, टीले या पर्वत के समान आकृति के निर्माण से भी पिता-पुत्र के संबंधों में परेशानियां आती हैं और दोनों में अविश्वास बना रहता है। घर के उत्तर-पूर्वी कोने में स्टोर रूम आदि नहीं बनवाना चाहिए।
* उत्तर-पूर्व दिशा में रसोई घर या शौचालय का होना भी घर के लोगों के संबंधों को प्रभावित करता है। साथ ही स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बनी रहती है। घर की उत्तर-पूर्व दिशा में रसोई घर या शौचालय नहीं होना चाहिए।
* इलेक्ट्रॉनिक सामान, ज्वलनशील पदार्थ या गर्मी उत्पन्न करने वाले अन्य उपकरणों को ईशान (उत्तर-पूर्व) में रखने से पुत्र पिता की आज्ञा नहीं मानता है और घर-परिवार को अपमानित करता है। घर की उत्तर-पूर्वी दिशा में इन चीजों को नहीं रखना चाहिए।
* यदि कोई प्लाट उत्तर व दक्षिण में संकरा तथा पूर्व व पश्चिम में लंबा है तो ऐसी जगह को सूर्यभेदी कहते हैं, ऐसी जगह पर पिता-पुत्र के संबंधों में अनबन की स्थिति सदैव रहती है। ऐसी जगह पर कभी घर नहीं बनाना चाहिए।
* घर की उत्तर-पूर्व दिशा में कूड़ेदान बनाने या कूड़ा रखने से भी घर के लोगों में मन-मुटाव और जलन आदि भावना रखते हैं। इस दिशा में कूड़ादान भूलकर भी नहीं रखना चाहिए।