प्रदोष व्रत से पूर्ण होती हैं भक्तों की सभी मनोकामनाएं, जानें इसकी पूजन विधि

हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत मनाया जाता हैं जो कि भगवान् शिव को समर्पित होता हैं। मान्यताओं के अनुसार प्रदोषकाल के दौरान भगवान शिव कैलाश पर्वत पर प्रसन्न मुद्रा में नृत्य करते हैं और भक्तों से खुश होकर उनकी सभी मनोकामनाओं की पूर्ती करते हैं। आज 19 मई को ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी हैं और मंगलवार होने के कारण आज मंगल प्रदोष का व्रत रखा जाता हैं। आज के व्रत से भगवान शिव की कृपा होती हैं और तमाम तरह के कष्टों और दुखों से छुटकारा मिल जाता है। आज हम आपको प्रदोष व्रत की पूजन विधि के बारे में बताने जा रहे हैं। तो आइये जानते हैं इसके बारे में।

प्रदोष व्रत पूजन विधि

- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
- इसके बाद भगवान का ध्यान कर व्रत का संकल्प लें।
- फिर स्वच्छ वस्त्र धारण कर भगवान शिव की पूजा करें।
- भगवान शिव का गंगाजल से अभिषेक करें।
- उन्हें पुष्प अक्षत्, भांग, धतूरा, सफेद चंदन, गाय का दूध, धूप आदि अर्पित करें।

- ॐ नम: शिवाय का जप करें।
- शिव चालीसा का पाठ करें और अंत में शिव आरती करें।
- भगवान शिव को अपनी इच्छानुसार भोग लगाएं।
- पूजा संपूर्ण होने के बाद प्रसाद सभी में बांट दें।