आज कार्तिक शुक्ल पक्ष कि षष्ठी तिथि हैं जिसे छठ पूजा के रूप में जाना जाता हैं। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, छठ पूजा में होने वाली छठी मैया भगवान ब्रह्माजी की मानस पुत्री और सूर्यदेव की बहन हैं। इन्हीं मैया को प्रसन्न करने के लिए छठ पूजा का आयोजन किया जाता है। आज के दिन छठ मैया की पूजा के साथ ही सूर्य का पूजन भी किया जाता हैं। यदि आप पर कोई ग्रह दोष है तो सूर्यदेव की पूजा नियमित रूप से करने से ग्रह दोष दूर होता है। छठ पूजा के दिन सूर्यदेव की पूजा करने का बहुत महत्व होता हैं। आज इस कड़ी में हम आपको सूर्यदेव की पूजा करने की पूर्ण विधि के बारे में बताने जा रहे हैं जिनसे ग्रह दोष से मुक्ति होगी।
इस विधि से करें सूर्यदेव की पूजा - सूर्य पूजन के लिए तांबे की थाली और तांबे के कलश का उपयोग करें।
- अब आप लाल चंदन, लाल फूल और एक दीपक लें।
- कलश में जल लेकर उसमें एक चुटकी लाल चंदन पाउडर मिला लें। साथ ही कलश में लाल फूल भी डाल लें। अब थाली में दीपक और कलश रख लें।
- अब ॐ सूर्याय नमः मंत्र का जप करते हुए सूर्य को प्रणाम करें। कलश से सूर्य देवता को जल चढ़ाएं। सूर्य मंत्र का जप करते रहें।
- इस प्रकार से सूर्य को जल चढ़ाना सूर्य को अर्घ्य प्रदान करना कहलाता है।
- ॐ सूर्याय नमः अर्घ्य समर्पयामि कहते हुए पूरा जल समर्पित कर दें।
- अर्घ्य समर्पित करते समय नजरें कलश के जल की धारा की ओर रखें। जल की धारा में सूर्य का प्रतिबिम्ब एक बिन्दु के रूप में जल की धारा में दिखाई देगा। सूर्य को अर्घ्य समर्पित करते समय दोनों भुजाओं को इतना ऊपर उठाएं कि जल की धारा में सूर्य का प्रतिबिंब दिखाई दे।
- फिर सूर्य देव की आरती करें। सात प्रदक्षिणा करें व हाथ जोड़कर प्रणाम करें।
इन उपायों से होगी ग्रह दोष से मुक्ति - यदि आप ग्रह दोष से मुक्ति पाना चाहते हैं तो सूर्य देव से संबंधित इन उपायों को करें-
- कार्तिक मास कि षष्ठी यानि छठ पर्व के दिन गुड़ एवं कच्चे चावल बहते हुए जल में प्रवाहित करना शुभ रहता है।
- अगर सूर्यदेव को प्रसन्न करना हो तो पके हुए चावल में गुड़ और दूध मिलाकर खाना चाहिए। ये उपाय करने से भी सूर्यदेव प्रसन्न होते हैं और शुभ फल प्रदान करते हैं।
- छठ पर्व पर तांबे का सिक्का या तांबे का चौकोर टुकड़ा बहते जल में प्रवाहित करने से कुंडली में स्थित सूर्य दोष कम होता है।
- यदि लाल कपड़े में गेहूं व गुड़ बांधकर दान देंगे तो जातक की हर इच्छा पूरी होगी।
- छठ पर्व की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद पूर्व दिशा में मुख करके कुश के आसन पर बैठें। - अपने सामने चौकी पर सफेद वस्त्र बिछाएं और उसके ऊपर सूर्यदेव का चित्र या प्रतिमा स्थापित करें।
- इसके बाद सूर्यदेव की पंचोपचार पूजा करें और गुड़ का भोग लगाएं। इसके बाद लाल चंदन की माला से ऊं भास्कराय नम: मंत्र का जाप करें। इससे आपको ग्रह दोष से मुक्ति मिलेगी।