हिन्दू धर्म में सुहागन स्त्री के लिए सिन्दूर का बड़ा महत्व हैं। सिन्दूर और मंगलसूत्र एक सुहागन के अभिन्न अंग होते हैं। आपने दीपिका पादुकोण को तो कहते ही सुना हैं "
सुहागन के सर का ताज होता हैं, एक चुटकी सिन्दूर।" जी हाँ, सच में इस एक चुटकी सिन्दूर की कीमत नहीं आंकी जा सकती। हर सुहागन सिंदूर पति की कि प्रसन्नता और लंबी उम्र के लिए लगाती है। लेकिन हम आपको बताने चाहते हैं कि सिन्दूर लगते वक़्त भी कुछ चीजों का ध्यान रखना पड़ता हैं, जिससे इसका प्रभाव अच्छे से हों। तो आइये जानते हैं सिंदूर लगाते समय ध्यान रखने वाली बातों के बारे में।
महिलाये सिंदूर अपने मस्तक के ऊपर, सीमंत पर लगाती है । जिसे आम भाषा में मांग भी कहते है । पुरुषो के मुकाबले महिलाओ का यह भाग बहुत ही कोमल रहता है। सिंदूर में अधिक मात्रा में पारा धातु पाया जाता है । जिससे शारीर की विद्युत उर्जा नियत्रण होती है और साथ ही साथ यह बाहर के दुष्प्रभावो को भी ढाल की तरह रोके रखती है और हानि होने से बचाती है। अत: वैज्ञानिक दृष्टि से भी महिलाओँ को सिंदूर लगाना लाभकारी होता है।
* सिंदूर महिला के सुहाग कि निशानी माना जाता है। हिन्दू समाज में पति को परमेश्वर का दर्जा दिया गया है। इसलिए पति की प्रसन्नता और दीर्घायु के लिए भी सिन्दूर लगाया जाता है।
* माना जाता है कि अगर पत्नी के मांग के बीचो-बीच सिंदूर लगा हुआ है, तो उसके पति की अकाल मृत्यु नहीं हो सकती है। सिंदूर विवाहिता के पति को हर संकट से बचाता है।
* सिंदूर को लेकर दूसरी मान्यता यह है कि जो स्त्री अपनी मांग में छिपा कर सिंदूर लगाती है उसका पति समाज में भी छिप जाता है। जितना ज्यादा सिंदूर दिखेगा उतना ज्यादा उसके पति का मान-सम्मान बढ़ेगा।
* सिंदूर को मांग के किनारे पर लगाने से उसका पति उससे किनारा कर लेता है। इससे पति-पत्नी के आपसी रिश्तों में मतभेद ही बना रहता है। इन पति-पत्नी के आपसी रिश्तों में मतभेद ही बना रहता है।
* जो स्त्रियाँ अपनी मांग में बीचो बीच लम्बा सा सिंदूर लगाती है उनके पति की आयु भी लम्बी हो जाती है।