सावन स्पेशल : भोलनाथ को क्यों नहीं चढ़ाए जाते केतकी के फूल? शिवपुराण से जानें इसका राज

सावन के इस महीने में सभी शिव को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद पाते हैं। शिव का अभिषेक कर उन्हें कई चीजे अर्पित की जाती हैं। लेकिन जरा संभलकर, क्योंकि शिव को केतकी के फूल अर्पित नहीं किए जाते हैं और यह गलती आपको शिव का प्रकोप झेलने पर मजबूर कर सकती हैं। शिवजी को केतकी के फूल अर्पित करने से वह नाराज हो जाते हैं। इसके पीछे एक पौराणिक कथा हैं जो कि शिवपुराण में वर्णित हैं। आज हम आपको उसी के बारे में बताने जा रहे हैं।

शिवपुराण में बताया गया है कि भगवान विष्णु और भगवान ब्रह्माजी में एक बार विवाद हो गया था कि दोनों में से कौन अधिक बड़ा है। इस बात का फैसला करने के लिए उन्होंने भगवान शिव को न्यायकर्ता बनाया और तभी एक ज्योतिर्लिंग प्रकट हुआ। भगवान शिव ने कहा कि जो भी शिवलिंग का आदि और अंत बता देगा वही बड़ा माना जाएगा। इसके बाद भगवान विष्णु ज्योतिर्लिंग को पकड़कर ऊपर अंत का पता लगाने गए और भगवान ब्रह्मा नीचे आदि का पता लगाने गए। जब भगवान विष्णु अंत का पता ना लगा सके तो वह वापिस आ गए और हार मान ली। मगर, भगवान ब्रह्मा अपने साथ केतकी के फूल को साक्षी बनाकर भगवान शिव के पास पहुंचे और कहा कि उन्होंने आदि ढूंढ लिया है।

ब्रह्माजी ने कहा कि मुझे पता चल गया है कि ज्योतिर्लिंग कहां से उत्पन्न हुआ। अपनी बात साबित करने के लिए उन्होंने केतकी के फूलों से झूठी गवाही दिलवाई। ब्रह्माजी के झूठ पर भगवान शिव क्रोधित हो गए और उनका एक सिर काट दिया। उसके बाद से ही भगवान ब्रह्मा पंचमुख से चार मुख वाले हो गए। क्योंकि भगवान ब्रह्मा के झूठ में केतकी के फूल भी शामिल थे इसलिए भगवान शिव ने उन्हें अपनी पूजा में से वर्जित कर दिया। यही वजह है कि शिवलिंग या भोलेनाथ मूर्ति पर भी केतकी के फूल अर्पित नहीं किए जाते।