आखिर क्यों मकर संक्रांति त्यौहार की तारीख को लेकर हो रहा संशय, आइये जानें यहां

हर साल अधिकतर मकर संक्रांति का त्यौहार 14 जनवरी को मनाया जाता हैं लेकिन साल 2020 में यह 15 जनवरी को मनाया जाना है। संक्रांति का शास्त्रानुसार तात्पर्य होता हैं सूर्य का राशि परिवर्तन अर्थात गोचर। सूर्य का यह गोचर प्रतिमाह होता है और जब यह गोचर मकर राशि में होता हैं तो उसे मकर संक्रांति के रूप में जाना जाता है। आपने देखा होगा कि मकर संक्रांति त्यौहार की तारीख को लेकर संशय बना हुआ हैं कि यह 14 जनवरी को मनाया जाना है या 15 जनवरी को। तो आइये आज हम बताते हैं आपको इसके बारे में।

हमारे शास्त्रों में जिन व्रतों व पर्वों में दिन में पूजा, व्रत, स्नान व अनुष्ठान होता है उनमें सदैव सूर्योदयकालीन तिथि ही ग्राह्य होती है। 14 व 15 जनवरी को पंचांग अनुसार सूर्योदय का समय 7 बजकर 31 मि। पर है। जबकि सूर्य का मकर राशि में प्रवेश 14 जनवरी की मध्यरात्रि 1 बजकर 55 मिनट पर होगा। अत: सूर्योदय के समय सूर्य मकर राशि में 15 जनवरी को होंगे।

पंचांग के अनुसार सूर्य का मकर राशि में प्रवेश 14 जनवरी की मध्यरात्रि 1 बजकर 55 मिनट पर होगा। इस आधार ईसवी कैलेंडर के अनुसार रात्रि 12 बजे से 15 जनवरी होगी किन्तु ज्योतिष शास्त्र व पंचांग की गणना सूर्योदय से अगले सूर्योदय 1 दिन (अहोरात्र) की होती है। अत: पंचांग के सिद्धांत अनुसार 14 जनवरी को प्रात: 7 बजकर 31 (सूर्योदयकाल) से 15 जनवरी को 7 बजकर 31 मि। (सूर्योदय) काल तक एक ही दिन माना जाएगा एवं 15 जनवरी को सूर्योदयकालीन सूर्य के मकर राशिगत होने से पंचांग अनुसार 14 जनवरी को अहोरात्र की संज्ञा देते हुए कुछ पंचांग व विद्वान 14 जनवरी को मकर-संक्रांति होने का निर्णय दे रहे हैं जो मूलत: पंचांग आधारित है, ईसवी कैलेंडर के अनुसार मकर-संक्रांति का पर्व 15 जनवरी 2020 को ही मनाया जाना शास्त्रसम्मत है।