मस्जिद एक ऐसी जगह जहां मुस्लिम सम्प्रदाय के लोग खुदा या अल्लाह की इबादत करते हैं और नमाज अदा करते हैं। आपने अक्सर मस्जिद से अजान की आवाज आते सुनी होगी। लेकिन अधिकतर लोग इस अजान का मतलब खुदा की इबादत करने की प्रक्रिया से जोड़ते हैं, जबकि ऐसा नहीं हैं। शायद ही आप में ये किसी के पास इस बात का जानकारी होगी। मुस्लिम लोग इस बारे में जानकारी रखते होंगे लेकिन आज हम चाहते हैं कि इस लेख के माध्यम से आप सभी को अज़ान का मतलब ज्ञात हो पाए। तो आइये आज हम बताते हैं आपको अजान का क्या है मतलब।
अधिकांश लोगों से अज़ान का मतलब पूछने पर वो इसे खुदा को पुकारने का तरीका, खुदा को याद करने का एक नियम बताते हैं वही कुछ लोग तो इसे अकबर बादशाह से भी जोड़कर देखते हैं लेकिन आपको बता दें कि अगर आपको भी अज़ान के बारे में ये ही जानकारियां हैं तो आप ग़लत हैं क्योकि सच ये है कि अज़ान में न तो खुदा को पुकारा जाता है ना ही खुदा से फरियाद की जाती है और ना ही ये इबादत का कोई तरीका है बल्कि इसके ज़रिए लोगों को नमाज़ के समय की सूचना दी जाती है ताकि सभी लोग मस्जिद में इकट्ठा हो सकें और एक साथ मिलकर खुद की इबादत कर सकें।आपके लिए शायद ये जानकारी नई होगी लेकिन ये बात सच है।
इस्लाम धर्म में पांच वक्त की नमाज़ पढ़ना बहुत ज़रूरी माना गया है। ऐसे में कईं बार ऐसा होता है कि नमाज़ के वक्त लोग किसी काम में लगे हुए होते हैं। इस स्थिति में अज़ान एक ऐसा माध्यम है कि जिसके ज़रिए नमाज़ पढ़ने वाले लोगों को नमाज़ के विषय में सूचित किया जाता है। वैसे आपको बता दूं कि अज़ान का काम सिर्फ नमाज़ के वक्त के बारे में सूचना देना ही नहीं है बल्कि उसमें मानव के लिए पाठ भी होता है। अगर आप अज़ान के शब्दों को समझेंगे और जानेंगे तो आपको ये बात बखूबी समझ में आ जाएगी।
जी हां, अज़ान ना केवल इस बात की जानकारी देती है कि नमाज़ का समय हो गया है और सभी नमाज़ी तय वक्त पर मस्जिद में आकर अपनी मौजूदगी दर्ज करवाएं और खुदा की इबादत करें, अल्लाह का शुक्र अदा करें। अज़ान में कहा जाता है कि अल्लाह सबसे महान है और उसके अतिरिक्त कोई भी ऐसा नहीं है जिसकी इबादत की जाए। साथ ही नमाज़ किस प्रकार श्रेष्ठ है ये भी बताया जाता है।
अज़ान के शाब्दिक अर्थ पर अगर गौर फरमाए तो इसका शाब्दिक अर्थ होता है ‘पुकारना या घोषणा करना‘। अज़ान के प्रथम बोल हैं: ‘अल्लाहु अकबर’ जिनको अक्सर लोग बादशाह अकबर के साथ जोड़कर देखते हैं जो कि पूरी तरह से गलत है। असल में इसका अर्थ है कि अल्लाह बहुत बड़ा/सबसे बड़ा है।
यूं तो इस्लाम में ‘नमाज़’ नामक उपासना व्यक्तिगत रूप से की जाती है लेकिन ऐसा माना जाता है कि इसको अगर एकत्रित रूप से किया जाए तो इसके परिणाम ज्यादा प्रभावशाली होते हैं। इसलिए मस्जिद में नमाज़ का चलन शुरू हुआ और ज्यादा से ज्यादा लोग इसका फायदा उठा सकें, इसलिए अज़ान दी जाती है। भारत में ही नहीं, पूरी दुनिया में नमाज़ियों को मस्जिद में बुलाने के लिए लगभग डेढ़ हज़ार साल से निरंतर यह आवाज़ लगाई जाती रही है।