Holi Special 2019: इस तरह करें होली पूजन, मिलेगी भगवान विष्णु की असीम कृपा

हर साल फाल्गुन महीने की पूर्णिमा को होली का त्यौहार पूरे देश में बड़े धूमधाम और आस्था के साथ मनाया जाता हैं। इससे जुड़ी सबसे प्रमुख कथा विष्णु भक्त प्रह्लाद और उनकी बुआ होलिका से जुड़ी हैं। आस्था के इस पर्व का आध्यात्मिक रूप से बड़ा महत्व माना जाता है और इस दिन किये गए पूजन से भगवान विष्णु की असीम कृपा प्राप्त होती हैं। इसलिए आज हम आपके लिए होली पूजन की पूरी विधि लेकर आए है ताकि आप इसे जानकार पूर्ण लाभ उठा सकें। तो आइये जानते है किस तरह किया जाता है होली पूजन।

* होली पूजन सामग्री


रोली, कच्चा सूत, चावल, फूल, साबूत हल्दी, मूंग, बताशे, नारियल, बड़कुले (छोटे-छोटे उपलों की माला) आदि।

* होली पूजा विधि

- एक थाली में पूजा की सारी सामग्री लें और साथ में एक पानी से भरा लोटा भी लें। इसके बाद होली पूजन के स्थान पर पहुंचकर नीचे लिखे मंत्र को बोलते हुए स्वयं पर और पूजन सामग्री पर थोड़ा जल छिड़कें-
ऊं पुण्डरीकाक्ष: पुनातु,
ऊं पुण्डरीकाक्ष: पुनातु,
ऊं पुण्डरीकाक्ष: पुनातु।

- अब हाथ में पानी, चावल, फूल एवं कुछ दक्षिणा लेकर नीचे लिखा मंत्र बोलें-

- ऊं विष्णु: विष्णु: विष्णु: श्रीमद्भगवतो महापुरुषस्य विष्णोराज्ञया अद्य दिवसे सौम्य नाम संवत्सरे संवत् 2073 फाल्गुन मासे शुभे शुक्लपक्षे पूर्णिमायां शुभ तिथि रविवासरे -गौत्र (अपने गौत्र का नाम लें) उत्पन्ना-(अपना नाम बोलें) मम इह जन्मनि जन्मान्तरे वा सर्वपापक्षयपूर्वक दीर्घायुविपुलधनधान्यं शत्रुपराजय मम् दैहिक दैविक भौतिक त्रिविध ताप निवृत्यर्थं सदभीष्टसिद्धयर्थे प्रह्लादनृसिंहहोली इत्यादीनां पूजनमहं करिष्यामि।

* गणेश-अंबिका पूजन

- हाथ में फूल व चावल लेकर भगवान गणेश का ध्यान करें-
"ऊं गं गणपतये नम: आह्वानार्र्थे पंचोपचार गंधाक्षतपुष्पाणि समर्पयामि।।"

- अब भगवान गणपति को एक फूल पर रोली एवं चावल लगाकर समर्पित कर दें।
"ऊं अम्बिकायै नम: आह्वानार्र्थे पंचोपचार गंधाक्षतपुष्पाणि सर्मपयामि।।"

- मां अंबिका का ध्यान करते हुए पंचोपचार पूजा के लिए गंध, चावल एवं फूल चढ़ाएं।
"ऊं नृसिंहाय नम: आह्वानार्थे पंचोपचार गंधाक्षतपुष्पाणि समर्पयामि।।"

- भगवान नृसिंह का ध्यान करते हुए पंचोपचार पूजा के लिए गंध, चावल व फूल चढ़ाएं।
"ऊं प्रह्लादाय नम: आह्वानार्थे पंचोपचार गंधाक्षतपुष्पाणि समर्पयामि।।"

- प्रह्लाद का स्मरण करते हुए नमस्कार करें और गंध, चावल व फूल चढ़ाएं।

- अब नीचे लिखा मंत्र बोलते हुए होलिका के सामने दोनों हाथ जोड़कर खड़े हो जाएं तथा अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए निवेदन करें-
"असृक्पाभयसंत्रस्तै: कृता त्वं होलि बालिशै: अतस्त्वां पूजयिष्यामि भूते भूतिप्रदा भव:।।"

- अब गंध, चावल, फूल, साबूत मूंग, साबूत हल्दी, नारियल एवं बड़कुले (भरभोलिए) होली के समीप छोड़ें। कच्चा सूत उस पर बांधें और फिर हाथ जोड़ते हुए होली की तीन, पांच या सात परिक्रमा करें। परिक्रमा के बाद लोटे में भरा पानी वहीं चढ़ा दें।