रक्षाबंधन स्पेशल : वैदिक राखी करेगी आपके भाई की रक्षा, जानें बनाने की विधि

रक्षाबंधन का पावन पर्व भाई-बहिन के पवित्र प्रेम को दर्शाता हैं जिसमें दोनों एक-दूसरे की सलामती के लिए दुआ मांगते हैं। इस रक्षासूत्र की ताकत से सभी वाकिफ हैं। इसे और शक्तिशाली बनाने के लिए आप वैदिक राखी की मदद ले सकते हैं जो कि इस कोरोनाकाल में बहुत लाभदायक हैं। यह रेशम के कपड़े से बनाई जाती हैं जिसमें 5 चीजों को सम्मिलित किया जाता हैं और फिर कलावा में पिरो दिया जाता है। महाभारत में यह रक्षासूत्र माता कुंती ने अपने पोते अभिमन्यु को बांधी थी। जब तक यह धागा अभिमन्यु के हाथ में था तब तक उसकी रक्षा हुई, धागा टूटने पर अभिमन्यु की मृत्यु हुई। तो आइये जानते हैं वैदिक राशि में शामिल की जाने वाली चीजों और उनके महत्व के बारे में।

दूर्वा

जिस प्रकार दूर्वा का एक अंकुर बो देने पर तेज़ी से फैलता है और हज़ारों की संख्या में उग जाता है, उसी प्रकार मेरे भाई का वंश और उसमे सद्गुणों का विकास तेज़ी से हो। सदाचार, मन की पवित्रता तीव्रता से बढ़ता जाए। दूर्वा गणेश जी को प्रिय है अर्थात हम जिसे राखी बांध रहे हैं, उनके जीवन में विघ्नों का नाश हो जाए और उन्‍हें धन, वैभव और ऐश्‍वर्य की प्राप्ति हो।

अक्षत

अक्षत यानी कभी न क्षय होने वाली वस्‍तु। जिस प्रकार से अक्षत के गुण होते हैं, उन्‍हीं गुणों के साथ हम भाई-बहन का प्रेम भी कभी कम न हो। हमारी गुरुदेव के प्रति श्रद्धा कभी क्षत-विक्षत ना हो सदा अक्षत रहे।

केसर

केसर की प्रकृति तेज़ होती है अर्थात हम जिसे राखी बांध रहे हैं, वह तेजस्वी हो। उनके जीवन में आध्यात्मिकता का तेज, भक्ति का तेज कभी कम ना हो। भगवान कृष्‍ण, मां लक्ष्‍मी और शिवजी की कृपा उन पर सदैव बनी रहे।

चंदन

चंदन की प्रकृति तेज होती है और यह सुगंध के साथ ही शीतलता देता है। उसी प्रकार उनके जीवन में शीतलता बनी रहे, कभी मानसिक तनाव ना हो। साथ ही उनके जीवन में परोपकार, सदाचार और संयम की सुगंध फैलती रहे।

सरसों के दाने

सरसों की प्रकृति तीक्ष्ण होती है अर्थात इससे यह संकेत मिलता है कि समाज के दुर्गुणों को, कंटकों को समाप्त करने में हम तीक्ष्ण बनें और सदैव सच्‍चाई के मार्ग पर अडिग रहें।