वास्तु के अनुसार आइए जानतें है कौनसी दिशा में क्या रखना चाहिए और कौनसा स्थान खाली छोडऩा चाहिए

अक्सर हम जब भी अपने घर को बनाते हैं और सजाते हैं तो हमे वास्तु का ध्यान पहले आता है कि कौन सी चीज कहां पर रखने से अच्छा या बुरा होगा तभी हम बस्तुओं को सही स्थान पर रखते हैं। कई मकानों में दिशा के अनुसार बस्तुएं नहीं रखी जाती जिससे की घर में कलह और परेशानियां बढऩे की सम्भावना रहती है। तो आइये बताते हैं आपको की कौनसी दिशा में क्या रखना चाहिए और कौनसा स्थान खाली छोडऩा चाहिए।

# अधिकांश घरों में देखा है कि पूर्व या उत्तर दिशा के मकानों में टांड बना लिए जाते हैं और कई तरह का बेकार सामान भर दिया जाता है, जबकि इस प्रकार करने से अनेक कष्टों का सामना भी करना पड़ता है और हमें इसका भान तक नहीं हो पाता।

# अकसर देखने में आता है कि हमारे घर का सामान चाहे जो होए ईशान में या उत्तर-पूर्व की दिशा में रख दिया जाता है। कभी-कभी मशीन भी इस दिशा में रख दी जाती है। ऐसी स्थिति में हमें लाभ के बजाय नुकसान ही मिलता है व निरंतर हानि का सामना करना पड़ता है।

# हम यदि दक्षिण-पश्चिम में टांड बनाएं तो सामान रखने में अधिक सुविधा होकर अनावश्यक परेशानियों से बचा जा सकता है।

# इसी प्रकार मशीन या भारी वस्तु को दक्षिण दिशा में आग्नेय कोण से लेकर नैऋत्य कोण तक रखा जाये, तो अधिक सुचारु रूप से चलेगी। मशीनी कार्य करने वाले कारीगरों को भी इसी दिशा में बिठाना चाहिए।

# अक्सर ये देखने में आता है कि रहवासी मकानों में ऊपरी मंजिलों में रेडीमेड की सिलाई की जाती है, ऐसा गलत है। इस प्रकार करने से मकान की उम्र कम होती है। निरंतर कंपन होने से तनाव भी बढ़ता है। उपरोक्त बातों का ध्यान रखें तो अनावश्यक परेशानियों से बचा जा सकता है।

# घर में महापुरुषों के चित्र, पालतू जानवरों के चित्र प्राकृतिक सौंदर्य वाले चित्र तथा पेंटिंग्स बच्चों के कमरे में हो सकती हैं। भगवान गणेश तथा सरस्वतीजी का चित्र कमरे के पूर्वी भाग की ओर होना चाहिए। इन दोनों ही देवी-देवताओं को बुद्धिदाता माना जाता है अत: सौम्य मुद्रा में श्रीगणेश तथा सरस्वती की पेंटिंग या चित्र बच्चों के कमरे में अवश्य लगाएं।

# सुकून के घर के लिए सबसे पहले दिशा का चयन करना चाहिए। हमारे अनुसार सबसे उत्तम दिशा-पूर्व, ईशान और उत्तर है। वायव्य और पश्चिम है। आग्नेय, दक्षिण और नैऋत्य दिशा सबसे खराब होती है।

# घर वास्तु के अनुसार होना चाहिए जिसमें आगे और पीछे आंगन हो। खुद की भूमि और खुद की ही छत हो। चंद्र और गुरु से युक्त वृक्ष या पौधें हो। घर के अंदर भी वास्तु अनुसार ही वस्तुएं एकत्रित की गई हो। कोई भी वस्तु अनावश्यक न हो। प्रवेश द्वार सुंदर और सजावटी हो। दरवाजा और खिड़कियां दो पुड़ वाली हो। उचित हवा और प्रकाश के सुगम रास्ते हों।

# उत्तर से दक्षिण की ओर ऊर्जा का खिंचाव होता है। शाम ढलते ही पक्षी उत्तर से दक्षिण की ओर जाते हुए दिखाई देते हैं। अत: पूर्व, उत्तर एवं ईशान की ओर जमीन का ढाल होना चाहिए। मकान के लिए भूमि का चयन करना सबसे ज्यादा महत्व रखता है। शुरुआत तो वहीं से होती है। भूमि कैसी है और कहां है यह देखना जरूरी है। भूमि भी वास्तु अनुसार है तो आपके मकान का वास्तु और भी अच्छे फल देने लगेगा।