बच्चों का मन पढ़ाई में नहीं लगता तो वास्तु के इन उपायों से होगा फायदा

बच्चे भगवान का रूप होते हैं जो कुछ शांत होते हैं तो कुछ शरारती और नटखट जैसे बाल गोपाल थे नटखट और शैतान। अगर बच्चे शैतानी नहीं करेंगे तो कौन करेगा। हांलाकि शैतानी के साथ पढाई भी उतनी ही जरूरी हैं। लेकिन बच्चों का स्वभाव चंचल होने से वे हर घड़ी खेलकूद ही करते रहते हैं। जिससे माता-पिता उनके भविष्य के बारे में फिक्रमंद होते हैं और उनकी पढाई पर जोर देते हैं। तो ऐसे में माता-पिता को कुछ वास्तु उपाय करने चाहिए जिससे बच्चे पढाई से जी न चुराए और समय-समय पर पढाई भी करें। तो आइये जानते हैं कुछ ऐसे ही वास्तु उपयों के बारे में।

* बच्चों का अध्ययन कक्ष शौचालय के नीचे नहीं बनाना चाहिए। कमरे में शीशा ऐसी जगह पर न लगाएं जहां पुस्तकों पर उसकी छाया पड़ती हो। ऐसा होने से बच्चों पर पढ़ाई का बोझ बढ़ता है।

* घर के जिस कमरे में बैठकर बच्चे पढ़ाई करते हैं, बहुत जरूरी है कि वह कमरा घर के पूर्वी, उत्तर या उत्तर-पूर्वी दिशा में स्थित हो। इस दिशा में बैठकर पढ़ाई करने से बच्चों की एकाग्रता बढ़ती है और उनका दिमाग तेज चलता है। बेहतर होगा अगर कमरे का दरवाजा भी इसी दिशा में खुले तो।

* स्टडी टेबल को सदैव उत्तर दिशा में रखने से बच्चे में सकारात्मक ऊर्जा आती है। उसकी स्मरण शक्ति में भी बढ़ौतरी होती है। पढ़ते समय उसका मुख भी उत्तर दिशा की अोर होना चाहिए। जिससे उसकी थकान दूर होकर ऊर्जा का संचार होता है।

* पढ़ाई के कमरे में रोशनी और प्राकृतिक उजाले का होना बहुत जरूरी है। अगर ऐसा होता है इसका सकारात्मक प्रभाव बच्चे की पढ़ाई पर साफ नजर आएगा।

* अगर आप अपने बच्चों के कमरे का रंग हरा रखेंगे तो इससे उसका मस्तिष्क भी शांत रहेगा और उसका मन भी पढ़ाई में लगेगा।

* आपके बच्चे के कमरे में जो भी फर्नीचर हों, ध्यान रखें कि वो कमरे की दीवार से कुछ दूरी पर ही रहें। इससे कमरे में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहता है।

* स्टडी रूम में विद्या की देवी मां सरस्वती का चित्र या प्रतिमा ऐसे स्थान पर लगाएं जहां से बच्चे की नजर उन पर पड़ती रहें। इससे कमरे में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होगा अौर बच्चे पर भी मां की कृपा बनी रहेगी।

* जिस बच्चे का मन पढ़ाई में न लगे, वह उत्तर दिशा की ओर पैर करके सोएं।

* बच्चे को प्रेरणा देने के लिए स्टडी रूम में दौड़ने वाले घोड़ों या उगते हुए सूरज का चित्र, बच्चे के सर्टिफिकेट और ट्राफी सजाएं। ध्यान रहे किसी भी तरह के हिंसा या दु:ख देने वाली तस्वीर न लगाएं। इससे बच्चे के दिमाग पर बुरा असर पड़ता है।