मकान बनाते समय ध्यान रखें वास्तु से जुड़ी इन बातों को

वास्तुशास्त्र का व्यक्ति के जीवन में बहुत बड़ा योगदान होता हैं। क्योंकि एक वास्तु संगत घर शुभ फलदायक होता हैं। वहीँ अगर घर वास्तु के अनुरूप नहीं हो तो यह व्यक्ति के जीवन में असुविधा उत्पन्न करता हैं। इसलिए व्यक्ति को मकान बनाते समय कई वास्तुसंगत चीजों का ध्यान रखने की आवश्यकता होती हैं। आज हम आपको कुछ ऐसी ही ध्यान रखने योग्य बातें बताने जा रहे हैं, जो कि बहुत उपयोगी हैं। तो आइये जानते हैं मकान बनाते समय ध्यान रखने वाली वास्तु की चीजों के बारे में।

* गृह के समीपस्थ वृक्ष : आग्नेय दिशा में वट, पीपल, सेमल, पाकर तथा गूलर का वृक्ष होने से पीड़ा और मृत्यु होती है। दक्षिण में पाकर वृक्ष रोग उत्पन्न करता है। उत्तर में गूलर होने से नेत्ररोग होता है। बेर, केला, अनार, पीपल और नीबू- ये जिस घर में होते हैं, उस घर की वृद्धि नहीं होती। घर के पास कांटे वाले, दूध वाले और फल वाले वृक्ष हानिप्रद हैं। पाकर, गूलर, आम, नीम, बहेड़ा, पीपल, कपित्थ, बेर, निर्गुण्डी, इमली, कदम्ब, बेल तथा खजूर- ये सभी वृक्ष घर के समीप अशुभ हैं।

* मुख्य द्वार : जिस दिशा में द्वार बनाना हो, उस ओर मकान की लंबाई को बराबर नौ भागों में बांटकर पांच भाग दाएं और तीन भाग बाएं छोड़कर शेष (बाईं ओर से चौथे) भाग में द्वार बनाना चाहिए। दायां और बायां भाग उसको माने, जो घर से बाहर निकलते समय हो। पूर्व अथवा उत्तर में स्थित द्वार सुख-समृद्धि देने वाला होता है। दक्षिण में स्थित द्वार विशेष रूप से स्त्रियों के लिए दु:खदायी होता है। द्वार का अपने आप खुलना या बंद होना अशुभ है। द्वार के अपने आप खुलने से उन्माद रोग होता है और अपने आप बंद होने से दुख होता है।

* द्वार-दोष : मुख्य द्वार के सामने मार्ग या वृक्ष होने से गृहस्वामी को अनेक रोग होते हैं। कुआं होने से मृगी तथा अतिसार रोग होता है। खंभा एवं चबूतरा होने से मृत्यु होती है। बावड़ी होने से अतिसार एवं संनिपात रोग होता है। कुम्हार का चक्र होने से हृदय रोग होता है। शिला होने से पथरी रोग होता है। भस्म होने से बवासीर रोग होता है।

* गृह निर्माण की सामग्री-
ईंट, लोहा, पत्थर, मिट्टी और लकड़ी- ये नए मकान में नए ही लगाने चाहिए। एक मकान में उपयोग की गई लकड़ी दूसरे मकान में लगाने से गृहस्वामी का नाश होता है। मंदिर, राजमहल और मठ में पत्थर लगाना शुभ है, पर घर में पत्थर लगाना शुभ नहीं है। पीपल, कदम्ब, नीम, बहेड़ा, आम, पाकर, गूलर, रीठा, वट, इमली, बबूल और सेमल के वृक्ष की लकड़ी घर के काम में नहीं लेनी चाहिए।

* गृह के समीपस्थ अशुभ वस्तुएं : देव मंदिर, धूर्त का घर, सचिव का घर अथवा चौराहे के समीप घर होने से दु:ख, शोक तथा भय बना रहता है।